लखनऊ : शिव महापुराण कथा में बुधवार को भगवान शिव के अवतार रुद्र के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया. स्वामी अनंतानंद जी महाराज निर्वाणी अखाड़ा हरीद्वार उत्तराखंड ने बताया कि सेवा परम धर्म है. अर्थात सेवा कर्म ही मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा धर्म है. इसी के रास्ते मनुष्य का उद्धार संभव है.
लखनऊ में सीतापुर रोड स्थित गोदावरी बैंक्विट हॉल में शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया है. शिव महापुराण कथा के छठे दिन श्री हनुमान जी की सेवा भक्ति का रस बरसा. स्वामी अनंतानंद महाराज ने बताया कि इंसान का सबसे बड़ा धर्म दूसरों की सेवा करना है. इंसान को किस तरह बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सेवा करनी चाहिए. इसका सजीव चित्रण शिव जी के द्वारा लिए गए अपने 11वें रुद्र अवतार हनुमान जी रूप में देखने को मिलता है. हनुमान जी का अवतार दशरथ जी के सबसे बड़े पुत्र श्री राम जी की सेवा करने के लिए हुआ था. हनुमान जी ने श्री राम जी की सेवा के साथ साथ ऋषि मुनि, साधु संन्यासी और समस्त मानव जाति का कल्याण करने के लिए कई लीलाएं कीं. हनुमान जी सेवा का दूसरा नाम हैं.
स्वामी अनंतानंद जी महाराज ने बताया कि भगवान भक्ति में ही मनुष्य का उद्धार संभव है. इन्सान को मोह और माया से दूर होकर दूसरों की सेवा करनी चाहिए. शिव जी कल्याणकारी हैं, वह निर्गुण निराकार स्वरूप ब्रह्म हैं. शिवजी जन्म और मृत्यु के देवता हैं. मनुष्य का जन्म कई योनि जन्म लेने के बाद होता है. जिसमें सोचने और समझने की शक्ति है. इसलिए मनुष्य को मोह माया से दूर रहकर ईश्वर की शरण में जाना चाहिए. ईश्वर की लीलाओं का अनुसरण करना चाहिए. तभी मनुष्य का कल्याण संभव है. शिव महापुराण कथा में पूजा पंडित हेमंत पांडेय ने करवाई. कार्यक्रम का संचालन चंद्रकांत द्विवेदी, नीलम द्विवेदी, शिवम द्विवेदी और शुभम द्विवेदी द्वारा किया जा रहा है.