लखनऊ : कोरोना के खतरे को देखते हुए तीज त्योहारों में योगी सरकार कोई लापरवाही बरतने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि आगामी त्योहार मोहर्रम (Muharram Festival) को लेकर सरकार की तरफ से गाइडलाइन जारी की गई है. 10 से शुरु होकर 19 अगस्त तक देशभर में मोहर्रम मनाया जाएगा लेकिन मोहर्रम को लेकर सरकार की तरफ से जारी किए सर्कुलर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
दरअसल, यूपी डीजीपी कार्यालय (UP DGP Office) की ओर से प्रदेश के पुलिस अफसरों को जारी निर्देश और गोपनीय सर्कुलर में इस्तेमाल की गई भाषा पर विवाद खड़ा हो गया है.
वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद (Maulana Kalbe Jawad) ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि यह पुलिस प्रशासन की ओर से मुहर्रम (Muharram Festival) की गाइडलाइन नहीं बल्कि मुहर्रम मनाने वालों के लिए चार्जशीट जारी की गई है.
उन्होंने इस पत्र को वापस लेने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई करने की मांग की है. शिया धर्मगुरु और इमामे जुमा मौलाना कल्बे जवाद (Maulana Kalbe Jawad) ने सोमवार को कहा कि डीजीपी कार्यालय की ओर से जारी इस पत्र में झूठे इल्जाम लगाए गए है.
उन्होंने कहा कि यह गम का महीना है और इसमें शोक के जुलूस निकाले जाते हैं. मुहर्रम में किसी को भी भला-बुरा नहीं कहा जाता है. मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि इस पत्र में मोहर्रम को अति संवेनशील बताया है. यानी अधिकारी मुहर्रम को झगड़े की जड़ मान रहें हैं.
वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद (Maulana Kalbe Jawad) ने कहा कि वह इस सिलसले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे.
उन्होंने कहा कि हम जानेंगे की क्या वह भी यही चाहते हैं जो डीजीपी चाहते हैं. मौलाना ने आगे बोलते हुए कहा कि सरकार की कार्रवाई से पता चल जाएगा कि हुकूमत कि पॉलिसी और पुलिस की पॉलिसी में कितना फर्क है.
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बता दें कि इस साल मोहर्रम 10 अगस्त से शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा. मातम का यह पर्व मुस्लिमों के दोनों समुदायों (शिया-सुन्नी) द्वारा मनाया जाता है.
इसकी वजह से आपसी विवाद की आशंका बनी रहती है. 7वीं, 8वीं, 9वीं और 10वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर ताजिये रखे जाते हैं. अलम के जुलूस निकालकर मातम किया जाता है.