लखनऊः कहते हैं विज्ञान की प्रगति से ही इंसान की प्रगति है, स्वास्थ्य हो या फिर अन्य सहूलियत विज्ञान की प्रगति से इंसानों ने बहुत कुछ पाया है. प्रगतिशील समाज प्रगतिशील विज्ञान की ही देन है. कुछ ऐसा ही SGPGI में कार्यरत डॉक्टर्स ने कर दिखाया है. दरअसल वैज्ञानिकों ने ऐसे जीन की खोज की है, जिससे इंसानी शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित किया जा सकता है.
क्या होता है कोलेस्ट्रॉल?
कोलेस्ट्रोल एक ऐसा पदार्थ है, जो इंसानी शरीर में प्राकृतिक रूप से भी बनता है. साथ ही साथ हम जैसा भोजन खाते हैं उसके जरिए अगर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा हमारे शरीर में ज्यादा हो जाए तो जिन नसों में हमारा रक्त प्रवाहित होता है, वह अवरोधित हो जाता है.
क्या होता है जीन और डीएनए?
डीएनए यानी डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड के जरिए ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में गुणों का स्थानांतरण होता है. यानी कि मां-बाप के गुणों का स्थानांतरण उनके बच्चे में इसी अनुवांशिक पदार्थ की वजह से होता है और इस प्रक्रिया को अनुवांशिकी कहते हैं. अगर हम जीन की बात करें तो जीन डीएनए का एक छोटा सा खंड होता है, जो किसी भी शारीरिक गुड़ के लिए जिम्मेदार होता है. उदाहरण के तौर पर अगर बात करें तो अगर किसी की आंखों का रंग काला है तो उसके लिए व्यक्ति के डीएनए में मौजूद जीन ही जिम्मेदार है.
बीमारियों को भी स्थानांतरित करता है डीएनए
डीएनए सिर्फ अनुवांशिक गुणों को ही स्थानांतरित नहीं करता बल्कि, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बीमारियों को भी स्थानांतरित करने का काम करता है. अगर किसी व्यक्ति में कोई बीमारी है तो उसके बच्चों में वह बीमारी हो सकती है.
किस चीज की हुई है खोज?
एसजीपीजीआई के डॉक्टर्स और इटली और सिंगापुर के रिसर्चस ने साथ मिलकर एक ऐसे जीन को खोजा है, जिससे इंसान की शरीर में कोलेस्ट्रॉल बनने की क्षमता को कम किया जा सके. यह खोज मानव जाति के लिए एक बेहतरीन खोज मानी जा रही है.
डॉक्टर रोहित सिन्हा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि यह पूरी प्रक्रिया मानव शरीर के बाहर की गई है, जिससे इन विट्रो प्रोसेस कहते हैं. इस प्रक्रिया का प्रयोग चूहों पर किया गया है, क्योंकि उनकी मेटाबॉलिक एक्टिविटी इंसानों से काफी मिलती है. डॉक्टर रोहित सिन्हा का कहना है कि आने वाले समय में मानव जाति के लिए यह एक बेहतरीन खोज है, जिससे लोगों को हार्ट अटैक जैसी बीमारी से निजात मिल सकेगी.