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SGPGI creates history again : डॉ. ज्ञान चंद ने रोबोटिक्स विधि से निकाला थायरॉइड कैंसर का ट्यूमर - PGI Lucknow

एसजीपीजीआई (SGPGI creates history again) के डॉ. ज्ञान चंद की अगुवाई में रोबोटिक्स विधि से युवती के गले में थायरॉइड कैंसर का ट्यूमर निकालने में सफलता मिली है. दावा है कि उत्तर प्रदेश में पहली एवं भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी है, जिसमें थायरॉइड कैंसर को रोबोट की मदद से निकाला गया है.

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Published : Jan 14, 2023, 8:57 PM IST

Updated : Jan 14, 2023, 10:44 PM IST

लखनऊ : प्रयागराज निवासी 21 वर्षीय युवती के गले में थायरॉइड की गांठ हो गई थी. गांठ लगातार बढ़ रही थी, जिसके इलाज के लिए युवती अपने भाई के साथ पहले प्रयागराज के कमला नेहरू कैंसर अस्पताल पहुंची. जांच के बाद डाक्टरों ने गांठ काफी बढ़ने और कैंसर होने की बात बताई. जटिलताओं के चलते इसकी सर्जरी बिना गले में चीरा लगाये संभव नहीं थी. ऐसे में डाॅक्टरों ने बिना गले में चीरा लगाए सर्जरी कराने के लिए उसे एसजीपीजीआई लखनऊ के रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द के पास रेफर कर दिया. डॉ. ज्ञान चंद ने जांच के बाद पैपिलरी थायरॉइड कैंसर का निदान बताया और रोबोटिक विधि द्वारा सर्जरी की सलाह दी. युवती ने परिवार की सहमति के बाद डॉ ज्ञान चंद ने बीते शुक्रवार को चार घंटे चले ऑपरेशन में गले में कैंसर से ग्रसित थायरॉइड ग्रंथि समेत कई गांठों को सफलतापूर्वक निकाल दिया.

डॉ. ज्ञान चंद ने रोबोटिक्स विधि से निकाला थायरॉइड कैंसर का ट्यूमर
डॉ. ज्ञान चंद ने रोबोटिक्स विधि से निकाला थायरॉइड कैंसर का ट्यूमर

ऑपरेशन में डॉ. ज्ञान चंद के साथ उनकी टीम में डॉ. अभिषेक प्रकाश, डॉ. सारा इदरीस व डॉ. रीनेल शामिल रहे. साथ ही एनेस्थीसिया में डॉ. सुजीत गौतम और उनकी टीम ने सहयोग किया. डॉ ज्ञान चन्द ने बताया कि रोबोटिक थायरॉइड कैंसर सर्जरी में थायरॉइड ग्रंथि के साथ-साथ गले में कैंसर की गांठों को भी निकाला जाता है. पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल है, लेकिन मरीज़ को भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से राहत देने वाली है. अमूमन मरीज़ को शल्य चिकित्सा के बाद पड़ने वाले निशान के साथ ही जीना होता है. जिससे कम उम्र में ऐसी बीमारी हो जाने के बाद महिलाओं को तमाम सामाजिक दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है. मरीज़ अवसाद का भी शिकार हो जाता है, लेकिन रोबोटिक सर्जरी में ऐसा नहीं होता है.


डॉ. ज्ञान चंद बताते हैं कि ऐसी कठिन सर्जरी करने की प्रेरणा उन्हें एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान से मिली. डॉ. धीमन लंबे समय से चाहते थे कि संस्थान में मरीज़ों के लिए जो कुछ भी बेहतर हो उसे संभव किया जाए. साथ ही डॉ. ज्ञान चंद ने अपने विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन को भी सराहा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की पहली रोबोटिक सर्जरी हुई है. संपूर्ण भारत में किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी है. जिसमें थायरॉइड कैंसर को रोबोट से निकाला गया है.

यह भी पढ़ें : Plastic surgery facility : बलरामपुर अस्पताल में जल्द तैनात होंगे प्लास्टिक सर्जन

लखनऊ : प्रयागराज निवासी 21 वर्षीय युवती के गले में थायरॉइड की गांठ हो गई थी. गांठ लगातार बढ़ रही थी, जिसके इलाज के लिए युवती अपने भाई के साथ पहले प्रयागराज के कमला नेहरू कैंसर अस्पताल पहुंची. जांच के बाद डाक्टरों ने गांठ काफी बढ़ने और कैंसर होने की बात बताई. जटिलताओं के चलते इसकी सर्जरी बिना गले में चीरा लगाये संभव नहीं थी. ऐसे में डाॅक्टरों ने बिना गले में चीरा लगाए सर्जरी कराने के लिए उसे एसजीपीजीआई लखनऊ के रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द के पास रेफर कर दिया. डॉ. ज्ञान चंद ने जांच के बाद पैपिलरी थायरॉइड कैंसर का निदान बताया और रोबोटिक विधि द्वारा सर्जरी की सलाह दी. युवती ने परिवार की सहमति के बाद डॉ ज्ञान चंद ने बीते शुक्रवार को चार घंटे चले ऑपरेशन में गले में कैंसर से ग्रसित थायरॉइड ग्रंथि समेत कई गांठों को सफलतापूर्वक निकाल दिया.

डॉ. ज्ञान चंद ने रोबोटिक्स विधि से निकाला थायरॉइड कैंसर का ट्यूमर
डॉ. ज्ञान चंद ने रोबोटिक्स विधि से निकाला थायरॉइड कैंसर का ट्यूमर

ऑपरेशन में डॉ. ज्ञान चंद के साथ उनकी टीम में डॉ. अभिषेक प्रकाश, डॉ. सारा इदरीस व डॉ. रीनेल शामिल रहे. साथ ही एनेस्थीसिया में डॉ. सुजीत गौतम और उनकी टीम ने सहयोग किया. डॉ ज्ञान चन्द ने बताया कि रोबोटिक थायरॉइड कैंसर सर्जरी में थायरॉइड ग्रंथि के साथ-साथ गले में कैंसर की गांठों को भी निकाला जाता है. पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल है, लेकिन मरीज़ को भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से राहत देने वाली है. अमूमन मरीज़ को शल्य चिकित्सा के बाद पड़ने वाले निशान के साथ ही जीना होता है. जिससे कम उम्र में ऐसी बीमारी हो जाने के बाद महिलाओं को तमाम सामाजिक दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है. मरीज़ अवसाद का भी शिकार हो जाता है, लेकिन रोबोटिक सर्जरी में ऐसा नहीं होता है.


डॉ. ज्ञान चंद बताते हैं कि ऐसी कठिन सर्जरी करने की प्रेरणा उन्हें एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमान से मिली. डॉ. धीमन लंबे समय से चाहते थे कि संस्थान में मरीज़ों के लिए जो कुछ भी बेहतर हो उसे संभव किया जाए. साथ ही डॉ. ज्ञान चंद ने अपने विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव अग्रवाल के मार्गदर्शन को भी सराहा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की पहली रोबोटिक सर्जरी हुई है. संपूर्ण भारत में किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी है. जिसमें थायरॉइड कैंसर को रोबोट से निकाला गया है.

यह भी पढ़ें : Plastic surgery facility : बलरामपुर अस्पताल में जल्द तैनात होंगे प्लास्टिक सर्जन

Last Updated : Jan 14, 2023, 10:44 PM IST
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