लखनऊ : हमेशा से अक्टूबर महीने में हल्की सर्दी की शुरुआत होती है, लेकिन इन दिनों जलवायु परिवर्तन (heat in month of October) के कारण इतना नुकसान हुआ है कि अपने निर्धारित समय पर किसी भी मौसम का आगमन नहीं हो रहा है. इस समय गुलाबी सर्दियों की शुरुआत हो जानी चाहिए, लेकिन इन दिनों चिल्लाती धूप से लोगों का हाल बेहाल है. दिन-ब-दिन गर्मी रिकॉर्ड तोड़ हो रही है. अगर पिछले कुछ वर्षों की तुलना करें तो अक्टूबर के महीने में इस तरह से गर्मी से लोगों का हाल बेहाल नहीं हुआ.
लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुव सेन सिंह ने कहा कि 'यह बदलाव मानसून की वापसी के बाद बनी परिस्थितियों की वजह से आया है. आसमान साफ है और हवा की गति काफी धीमी है. इस वजह से दिन का तापमान ऊपर चढ़ने लगा है. साथ ही 'एल नीनो' के असर से सामान्य रूप से भी तापमान औसत से ऊपर बना हुआ है. नतीजतन बाहर निकलने वालों के तेज धूप से पसीने छूट रहे हैं. बीते बुधवार को दर्ज अधिकतम तापमान सामान्य से 2.4 डिग्री अधिक रहा. दिन में 37 डिग्री सेल्सियस रहा. इसी तरह रात का न्यूनतम तापमान सामान्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस अधिक 24.7 दर्ज किया गया. उन्होंने कहा कि अभी एक सप्ताह तक दिन में धूप परेशान करेगी. फिलहाल वातावरण में कोई ऐसा क्षेत्र भी नहीं बन रहा है जिससे बदलाव हो. स्थानीय स्तर पर रोजाना तेज धूप निकलने से बादल हो सकते हैं. यह स्थिति भी दो से तीन दिन बाद ही बन सकती है.' वहीं, मौसम केन्द्र के वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि 'इस वर्ष एल नीनो का असर है. इसका प्रभाव अपने देश के ऊपर सबसे सघन होता है. इस वजह से पूरे अक्तूबर का तापमान भी सामान्य से एक या दो डिग्री ज्यादा बना रहने की संभावना है.' उन्होंने कहा कि 'जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में परिवर्तन हो रहा है. एक तरफ 'एल नीनो' है, जिसके कारण तापमान गर्म होता है तो वहीं 'ला नीना' के कारण तापमान ठंडा. प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को 'अल-नीनो' कहा जाता है. आसान भाषा में समझें तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है.'
दोपहर में कड़क धूप : उन्होंने कहा कि 'मौसम गर्म होने का एक कारण यह भी है कि हाल ही में बारिश का मौसम बीता है. इस दौरान वातावरण में मौजूद धूल के कण नीचे बैठ जाते हैं. अब आसमान बिल्कुल साफ है. धूप से बचाव के लिए बादलों की भी आवाजाही नहीं है, इसलिए धूप का असर सीधा धरती पर पड़ रहा है.'
पिछले वर्षों में अक्टूबर में अधिकतम पारा (डिग्री से.) | |
12 अक्टूबर 2023 | 37.1 |
04 अक्तूबर 2022 | 34.6 |
17 अक्तूबर 2021 | 35.6 |
13 अक्तूबर 2020 | 37.5 |
13 अक्तूबर 2019 | 34.4 |
03 अक्तूबर 2018 | 35.7 |
23 अक्तूबर 2017 | 35.6 |
क्या है 'एल नीनो' का मतलब : प्रो. ध्रुव सेन सिंह ने कहा कि 'प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र की उस समुद्री घटना का नाम है, जो दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित इक्वाडोर और पेरु देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ वर्षों के अंतराल पर घटित होती है. यह समुद्र में होने वाली उथल-पुथल है और इससे समुद्र के सतही जल का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है. 'एल नीनो' वातावरण और महासागर के बीच एक कॉम्प्लेक्स इंटरेक्शन के कारण होता है. इसके कारण इफेक्ट के प्राइमरी ड्राइवर भूमध्य रेखा के पास स्थिर पूर्वी हवाएं हैं, जो भूमध्य रेखा और ध्रुवों के बीच सोलर सीट में अंतर के कारण होती है. आम तौर पर यह हवाएं पश्चिमी प्रशांत महासागर में गर्म पानी को बनाए रखने में मदद करती है, जोकि वर्तमान में हो रहा है.
'नवंबर के शुरुआत से शुरू होगी गुलाबी ठंड' : प्रो. ध्रुव सिंह ने कहा कि 'जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार निर्धारित मौसमों में परिवर्तन हो रहा है. इस समय 'एल नीनो' सक्रिय है, जिसके चलते मौसम गर्म बना हुआ है. नवंबर के शुरुआती दिनों में 'ला नीना' सक्रिय होगा. 'ला नीना' के सक्रिय होने के बाद मौसम ठंडा होगा और गुलाबी सर्दियों की शुरुआत होगी. फिलहाल अभी अक्टूबर तक मौसम गर्म ही बना रहेगा.'