लखनऊ : पहले सत्तारूढ़ दल कहते थे कि 'हमें वोट दो, हम तुम्हे नकल का अधिकार देंगे'. इसकी वजह से शिक्षा व्यवस्था चौपट हुई, लेकिन अब ऐसा नहीं है. यह बातें प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहीं. वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि बोल रहे थे. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 'अगर बच्चों को संस्कार दिए गए होते कि राष्ट्र ईष्ट देवता और भारत माता ईष्ट देवी है, तो विश्वविद्यालयों में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे नहीं लगते.' उन्होंने कहा कि 'शिक्षकों को विद्यार्थियों में देश के प्रति समर्पित होने का भाव जागृत करना चाहिए.'
योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि 'शिक्षा का उद्देश्य संस्कारों को बढ़ाना है. अब शिक्षा को तकनीक और प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता है. नई शिक्षा नीती मातृभाषा में शिक्षा पर ज़ोर देती है और हमारी भाषा हमें संस्कारों से जोड़ती है.' उन्होंने कहा कि 'शिक्षकों को विद्यार्थियों में देश के प्रति समर्पित होने का भाव जागृत करना चाहिए. आगे उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के लिए अत्यंत गौरव की बात है कि हम जी 20 का नेतृत्व कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है, विशेषकर उच्च शिक्षा में प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों की दशा एवं दिशा दोनों में सकारात्मक परिवर्तन आया है.'
प्रदेश की राज्यपाल और राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने बुधवार को कहा कि 'ज्ञान का आधार अंग्रेजी भाषा नहीं है. समाज को इस सोच से बाहर लाने के लिए मातृभाषा में पाठ्यक्रमों के विकास पर ध्यान देना होगा. वह ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रही थीं.' उन्होंने कहा कि 'सफलता प्राप्त करने के बाद जीवन में अपने माता-पिता को अकेला या वृद्धाश्रमों में न छोड़ें. उनके योगदान को याद रखें और वृद्धावस्था में अपने साथ रखें.' उन्होंने दीक्षान्त स्मारिका व उत्तर प्रदेश के लोकगीतों का संग्रह पुस्तक का विमोचन किया. विवि की नवनिर्मित पार्किंग स्थल का लोकापर्ण भी किया.
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