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दारुल उलूम के वरिष्ठ शिक्षक मौलाना नजरुल हफीज का निधन

राजधानी लखनऊ स्थित दारुल उलूम नदवतुल उलमा के वरिष्ठ शिक्षक मौलाना नजरुल हफीज नदवी अजहरी का शुक्रवार को निधन हो गया. 1939 में बिहार के मधुबनी के पास मुलामल कस्बे में जन्मे मौलाना नजरुल आलिमे दीन के साथ साथ उर्दू के बड़े शायर भी थे.

maulana nazrul hafeez  passed away in lucknow
मौलाना नजरुल हफीज नदवी अजहरी .
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Published : May 29, 2021, 4:50 AM IST

लखनऊः राजधानी स्थित दारुल उलूम नदवतुल उलमा के वरिष्ठ शिक्षक मौलाना नजरुल हफीज नदवी अजहरी का शुक्रवार को निधन हो गया. मौलाना नजरुल हफीज लगभग 82 वर्ष के थे और पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. शुक्रवार को पेट दर्द और सांस फूलने के बाद मौलाना को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया. नजरुल हफीज के निधन के बाद से दीनी शिक्षा से जुड़े लोगों में शोक की लहर है.

शिक्षक के साथ उर्दू के नामी शायर थे मौलाना नजरुल
इशा की नमाज के बाद दारुल उलूम नदवतुल उलमा में मौलाना की नमाजे जनाजा हुई और फिर डालीगंज कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया. 1939 में बिहार के मधुबनी के पास मुलामल कस्बे में जन्मे मौलाना नजरुल हफीज एक आलिमे दीन होने के साथ साथ उर्दू के बड़े शायर भी थे. उन्होंने बिहार के मदरसे अजीजिया के अलावा जौनपुर, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद में भी तालीम हासिल की थी.

यह भी पढ़ें-इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज और एकेटीयू के बीच हुआ एमओयू



इस्लामिक शिक्षा जगत में शोक की लहर
पिता से कुरान हिफ्ज करने के बाद मौलाना नजरुल हफीज एशिया के बड़े इस्लामिक शिक्षण संस्थानों में शुमार दारुल उलूम नदवतुल उलमा आगे की शिक्षा लेने आए थे. यहां उन्होंने मौलाना सय्यद अबुल हसन अली हुसैनी नदवी, मौलाना अबुल ओवैस नगरामी नदवी, अबुल इरफान खान नदवी, अब्दलु हफीज बलियावी और मौलाना मो. राबेह हसनी नदवी आदि आलिमों से शिक्षा ग्रहण की. मौलाना के निधन पर जमीयत उलमा हिन्द, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित इस्लामिक शिक्षा से जुड़े नामचीन हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

लखनऊः राजधानी स्थित दारुल उलूम नदवतुल उलमा के वरिष्ठ शिक्षक मौलाना नजरुल हफीज नदवी अजहरी का शुक्रवार को निधन हो गया. मौलाना नजरुल हफीज लगभग 82 वर्ष के थे और पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. शुक्रवार को पेट दर्द और सांस फूलने के बाद मौलाना को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया. नजरुल हफीज के निधन के बाद से दीनी शिक्षा से जुड़े लोगों में शोक की लहर है.

शिक्षक के साथ उर्दू के नामी शायर थे मौलाना नजरुल
इशा की नमाज के बाद दारुल उलूम नदवतुल उलमा में मौलाना की नमाजे जनाजा हुई और फिर डालीगंज कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया. 1939 में बिहार के मधुबनी के पास मुलामल कस्बे में जन्मे मौलाना नजरुल हफीज एक आलिमे दीन होने के साथ साथ उर्दू के बड़े शायर भी थे. उन्होंने बिहार के मदरसे अजीजिया के अलावा जौनपुर, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद में भी तालीम हासिल की थी.

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इस्लामिक शिक्षा जगत में शोक की लहर
पिता से कुरान हिफ्ज करने के बाद मौलाना नजरुल हफीज एशिया के बड़े इस्लामिक शिक्षण संस्थानों में शुमार दारुल उलूम नदवतुल उलमा आगे की शिक्षा लेने आए थे. यहां उन्होंने मौलाना सय्यद अबुल हसन अली हुसैनी नदवी, मौलाना अबुल ओवैस नगरामी नदवी, अबुल इरफान खान नदवी, अब्दलु हफीज बलियावी और मौलाना मो. राबेह हसनी नदवी आदि आलिमों से शिक्षा ग्रहण की. मौलाना के निधन पर जमीयत उलमा हिन्द, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित इस्लामिक शिक्षा से जुड़े नामचीन हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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