लखनऊ : समय-समय पर अपने कामों और विवादों को लेकर चर्चा में रहीं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रेणुका कुमार को सरकार ने उनके वीआरएस के आवेदन पर स्वीकृति दे दी है. इसके बाद में वे अब अपनी नौकरी छोड़ देंगी और उनको रिटायरमेंट के बाद के तमाम लाभ मिल सकेंगे. हाल ही में सरकार ने उनके आवेदन पर रजामंदी दी है. जुलाई में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से रेणुका कुमार की उत्तर प्रदेश में वापसी हुई थी, जिसके बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ने के लिए आवेदन कर दिया था.
योगी सरकार में रेणुका के पास हमेशा अहम विभाग रहे. 2017 में उनके पास महिला कल्याण एवं वन विभाग का जिम्मा था. अगले साल उनको महिला कल्याण के साथ ही राजस्व और खनन विभाग का भी प्रशासनिक मुखिया बना दिया गया. कुछ महीनों बाद उनको राजस्व के साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई. पिछले साल 30 जून को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रिलीव होने तक उनके पास ये दोनों विभाग थे. इस साल जुलाई में उनकी उत्तर प्रदेश में वापसी हो गई थी. अहम विभागों के साथ ही रेणुका को कई अहम मामलों की जांच की भी जिम्मेदारी दी गई थी. देवरिया में शेल्टर होम की घटना, सोनभद्र के उम्भा कांड से लेकर पंचायती राज विभाग के कोरोना किट घोटाले जैसे अहम प्रकरणों की जांच सीएम ने रेणुका को ही सौंपी थी. इसके बाद उनके ही समकक्ष एक आईएएस अधिकारी ने उनके खिलाफ लोकायुक्त में अनेक तरह की शिकायतें भी की थीं.
नियुक्ति विभाग के सूत्रों ने बताया कि 1987 बैच की आईएएस अधिकारी रेणुका कुमार के वीआरएस आवेदन को सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वीकृति दी है. केंद्र सरकार से यूपी लौटने के बजाय रेणुका कुमार ने अगस्त महीने में सरकार से वीआरएस मांगा था. सीएम योगी ने वीआरएस आवेदन को मंजूरी दी है.