ETV Bharat / state

पर्व-त्योहार ग्रह और नक्षत्रों पर आश्रित: डाॅ. अनिल पोरवाल

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से शनिवार को 'सामाजिक समरसता में ग्रहों का योगदान' विषय पर व्याख्यान गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर संस्थान के निदेशक पवन कुमार सिंह, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश कुमार मिश्रा और संस्थान के कर्मचारी उपस्थित रहे.

author img

By

Published : Jan 17, 2021, 3:31 PM IST

इंदिरा भवन में सेमिनार का आयोजन.
इंदिरा भवन में सेमिनार का आयोजन.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान ने मकर संक्रांति के अवसर पर शनिवार को इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में विचार गोष्ठी और खिचड़ी भोज का आयोजन किया. गोष्ठी का विषय था 'सामाजिक समरसता में ग्रहों का योगदान'. गोष्ठी में डॉ. अनिल पोरवाल लखनऊ विश्वविद्याल और डॉ. विनोद कुमार मिश्र ने व्याख्यान दिया.

पर्व-त्योहार ग्रह-नक्षत्रों पर आश्रित
गोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय, ज्योतिष विभाग के प्रवक्ता डाॅ.अनिल पोरवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार, पर्व-त्योहार इत्यादि पूर्ण रूप से ग्रह और नक्षत्रों पर आश्रित हैं. यह पर्व और त्योहार कब मनाए जाने चाहिए, इसका निर्णय काल विधानक ज्यातिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्र और ताराओं के माध्यम से किया जाता है. इसी का परिणाम है कि सामान्य जनमानस बिना किसी आमंत्रण के विशेष पर्व जैसे मकर संक्रांति, पूर्णिमा, अमावस्या इत्यादि में नदियों और पवित्र जलाशयों में स्नान के लिए जाता है.

ज्योतिष से होती है काल की गणना
ज्योतिष शास्त्री डाॅ. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि ग्रह-नक्षत्रों से ही काल के अवयवों को जाना जा सकता है. इसके अन्तर्गत आधुनिक समय, व्यावहारिक काल, घंटा, मिनट, दिनांक इत्यादि का ज्योतिष शास्त्र से किस प्रकार से सम्बन्ध है, इसे भी जाना जा सकता है. क्योंकि काल के बिना मानव सभ्यता का न ही कोई इतिहास है और न ही कोई भूगोल.

प्राचीन ग्रंथों और परंपराओं से स्थापित की जा सकती है सामाजिक समरसता
संस्थान के निदेशक पवन कुमार ने कहा कि सामाजिक समरसता लाने के लिए संस्थान सतत् रूप से प्रयत्नशील है. पुरातन ग्रन्थों और प्राचीन परम्पराओं के माध्यम से समाज में समरसता एवं सुचिता स्थापित की जा सकती है. गोष्ठी में संस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश कुमार मिश्र सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे. गोष्ठी के बाद लोगों ने खिचड़ी भोज में भाग लिया.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान ने मकर संक्रांति के अवसर पर शनिवार को इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में विचार गोष्ठी और खिचड़ी भोज का आयोजन किया. गोष्ठी का विषय था 'सामाजिक समरसता में ग्रहों का योगदान'. गोष्ठी में डॉ. अनिल पोरवाल लखनऊ विश्वविद्याल और डॉ. विनोद कुमार मिश्र ने व्याख्यान दिया.

पर्व-त्योहार ग्रह-नक्षत्रों पर आश्रित
गोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय, ज्योतिष विभाग के प्रवक्ता डाॅ.अनिल पोरवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार, पर्व-त्योहार इत्यादि पूर्ण रूप से ग्रह और नक्षत्रों पर आश्रित हैं. यह पर्व और त्योहार कब मनाए जाने चाहिए, इसका निर्णय काल विधानक ज्यातिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्र और ताराओं के माध्यम से किया जाता है. इसी का परिणाम है कि सामान्य जनमानस बिना किसी आमंत्रण के विशेष पर्व जैसे मकर संक्रांति, पूर्णिमा, अमावस्या इत्यादि में नदियों और पवित्र जलाशयों में स्नान के लिए जाता है.

ज्योतिष से होती है काल की गणना
ज्योतिष शास्त्री डाॅ. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि ग्रह-नक्षत्रों से ही काल के अवयवों को जाना जा सकता है. इसके अन्तर्गत आधुनिक समय, व्यावहारिक काल, घंटा, मिनट, दिनांक इत्यादि का ज्योतिष शास्त्र से किस प्रकार से सम्बन्ध है, इसे भी जाना जा सकता है. क्योंकि काल के बिना मानव सभ्यता का न ही कोई इतिहास है और न ही कोई भूगोल.

प्राचीन ग्रंथों और परंपराओं से स्थापित की जा सकती है सामाजिक समरसता
संस्थान के निदेशक पवन कुमार ने कहा कि सामाजिक समरसता लाने के लिए संस्थान सतत् रूप से प्रयत्नशील है. पुरातन ग्रन्थों और प्राचीन परम्पराओं के माध्यम से समाज में समरसता एवं सुचिता स्थापित की जा सकती है. गोष्ठी में संस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी दिनेश कुमार मिश्र सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे. गोष्ठी के बाद लोगों ने खिचड़ी भोज में भाग लिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.