लखनऊ : युवाओं में उच्च रक्तचाप (High blood pressure) की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इस बीमारी की गम्भीरता को देखते हुए इंडियन सोसायटी ऑफ हाइपरटेशन के तत्वाधान में एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का आयोजन अटल बिहारी वाजपेई साइटिफिक कन्वेंशन सेंटर केजीएमयू में किया जा रहा है. जिसमें दुनिया के कई देशों के 900 डॉक्टर, करीब 60 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय चिकित्सक इस बीमारी से बचने के बारे में बताएंगे. यह संगोष्ठी 9 से 11 सितंबर तक चलेगी.
उच्च रक्तचाप (High blood pressure) एक ऐसी बीमारी है जिसे रोका जा सकता है. यह विदेशों की तुलना में भारतवर्ष मेx= कम उम्र पर हो जाती है. लगभग 35 प्रतिशत भारतीय उच्च रक्तचाप (High blood pressure) से पीड़ित हैं. इनमें से केवल 10 प्रतिशत का रक्तचाप ही नियंत्रण में है. उच्च रक्तचाप (High blood pressure) से 70 प्रतिशत लकवा, 50 प्रतिशत हार्ट फेलियर एवं 30 प्रतिशत हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है. डाॅ. अजय तिवारी ने बताया कि भारत में युवाओं में भी उच्च रक्तचाप (High blood pressure) तेजी से बढ़ रहा है.
सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. अनुज माहेश्वरी द्वारा एमआईएमएस, सफेदाबाद बाराबंकी में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, मेडिकल छात्र सबसे अधिक प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि शैक्षिक प्रदर्शन का दबाव सीधे तौर पर तनाव पैदा करने वाले उच्च रक्तचाप (High blood pressure) से संबंधित पाया गया. जो देर रात जागने, गलत भोजन पैटर्न, बढ़ते वजन और पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हो सकता है.
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कार्यक्रम के साइंटिफिक चेयरमैन प्रो. नरसिंह वर्मा ने बताया कि शहर के स्कूलों में किये गये एक सर्वे में यह पाया गया है कि युवाओं में कम नींद का होना, भोजन में आया तेजी से बदलाव, मोबाइल तथा कम्प्यूटर का अत्यधिक प्रयोग, तनाव तथा तथाकथित पाश्चात्य शैली का अनुकरण उच्च रक्तचाप का विशेष कारण है.
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