लखनऊ : चार वर्ष पहले सूरत की कोचिंग में आग लगने से 20 बच्चों को मौत हो गई थी. फिर दिल्ली के मुखर्जी नगर में कोचिंग में आग लगी और एक बड़ा हादसा होने से बच गया. दोनों ही घटनाओं में आग लगने के बाद बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद थे. सूरत और मुखर्जी नगर में नहीं, बल्कि लखनऊ में भी कभी भी ऐसे हालात सामने आ सकते हैं. कारण राजधानी के हजरतगंज और कपूरथला स्थित हजारों कोचिंग संस्थान ऐसी बिल्डिंग में चल रही है, जहां न आग लगने की स्थिति में बचाव के उपकरण हैं और न ही वहां से बच निकलने के रास्ते. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों सिस्टम की नाकामी के चलते हजारों बच्चों की जान खतरे में डाली जा रही है?
राजधानी का हजरतगंज व कपूरथला का इलाका लाखों बच्चों को डॉक्टर, आईएएस, आईपीएस बनने में मदद करता है. यहां चलने वाली कोचिंग में लाखों बच्चे अपना भविष्य उज्जवल बनाने के लिए पढ़ने आते हैं, लेकिन उन्हें शायद ही ये मालूम हो कि वो जिन कोचिंग में पढ़ने आते हैं वहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इन कोचिंग में मामूली सी चिंगारी से दिल्ली के मुखर्जी नगर व सूरत जैसा हादसा हो सकता है. हजरतगंज व कपूरथला जैसे पॉश इलाकों में चलने वाले कोचिंग सेंटरों में खुलेआम अग्निशमन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, इसके बावजूद जिम्मेदार नींद में हैं. अधिकांश कोचिंग में आवागमन के लिए संकरी सीढ़ियों के अलावा कोई दूसरा वैकल्पिक रास्ता नहीं है, आग बुझाने के इंतजाम गायब हैं, बिजली के उलझे और खुले तार किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए हमेशा तैयार हैं.
ढाई हजार से अधिक कोचिंग सेंटर : दरअसल, कोचिंग सेंटर के रेगुलेशन का कोई नियम नहीं है. लखनऊ में ढाई हजार से अधिक कोचिंग सेंटर हैं, लेकिन इनके रेगुलेशन के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं है. बीते वर्ष राजधानी की ग्रेविटी कोचिंग में अचानक आग भड़क गई थी, उसमें आने-जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था, जो बेहद ही संकरा था. यहां आग शॉर्ट सर्किट के कारण भड़की थी, हालांकि फायर विभाग की टीम ने सभी बच्चों को सकुशल बाहर निकाल लिया था, जिसके बाद जिला प्रशासन और फायर विभाग द्वारा यह दावा किया गया कि बिना अग्निशमन नियमों का उल्लंघन करने वाली सभी कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई की जाएगी, हालांकि यह दावा समय बीतते फुस्स हो गया.
कोचिंग सेंटर की कराई जा रही है जांच : फायर विभाग
सीएफओ लखनऊ मंगेश कुमार के मुताबिक, 'शहर में जितने भी व्यावसायिक संस्थान हैं, खासकर, होटल, हॉस्पिटल, स्कूल और कोचिंग सेंटर वहां लगातार फायर सेफ्टी और उपकरणों की जांच के लिए अभियान चलाया जा रहा है. सभी फायर स्टेशन अधिकारियों को टीम बनाकर कोचिंग सेंटरों में आग लगने से बचाव के इंतजाम और एनओसी की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. इतना ही नहीं जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है, ताकि किसी भी आग लगने की परिस्थिति में खुद को और साथियों को बचा सके. सीएफओ ने बताया कि उन्होंने उच्च शिक्षा अधिकारी को भी एक पत्र लिखकर शहर की सभी कोचिंग सेंटर की लिस्ट मांगी है, ताकि सभी सेंटर की जांच की जा सके.
लखनऊ के रीजनल उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. सुधीर चौहान ने बताया कि 'कोचिंग सेक्टर का रजिस्ट्रेशन करते वक्त मौका मुआयना करवाया जाता है, हालांकि दोबारा निरीक्षण करने में थोड़ा वक्त लग जाता है, जिसका कारण कम मैनपावर है. फिर भी कोचिंग सेंटर चलाने वालों को नोटिस जारी की जायेगी और उनसे आग से बचाव के इंतजामों की जानकारी मांगी जाएगी.'
दिल्ली के मुखर्जी नगर में ज्ञान बिल्डिंग में लगी थी आग : दिल्ली के मुखर्जी नगर में स्थित ज्ञान बिल्डिंग में 15 जून को आग लग गई थी. जिस ज्ञान बिल्डिंग में आग लगी थी वहां कोचिंग सेंटर चलता है. आग लगने के वक्त बिल्डिंग में 150 से अधिक छात्र मौजूद थे. आग लगते ही पूरी बिल्डिंग और आस-पास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई. सीढ़ियों में धुआं भरने की वजह से सभी छात्र रस्सी के सहारे खिड़की से बाहर कूद रहे थे. जांच में सामने आया था कि यह आग शॉर्ट सर्किट से लगी थी. दिल्ली के मुखर्जीनगर की घटना ने एक बार फिर सूरत कोचिंग कांड के जख्म हरे कर दिए थे.
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सूरत में कोचिंग अग्निकांड में 20 छात्रों की हुई थी मौत : मई 2019, को सूरत के सरथना में एक बिल्डिंग में चल रही कोचिंग में अचानक भीषण आग लग गई थी. इस अग्निकांड में 20 लोगों की मौत हो गई थी. इस बिल्डिंग में कोई भी वैकल्पिक रास्ता न होने के कारण आग से बचने के लिए करीब एक दर्जन छात्र बिल्डिंग के तीसरे और चौथे फ्लोर से कूद गए, जिससे तीन छात्रों की मौत हुई थी. सूरत की इस बिल्डिंग में फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं मौजूद था और आग लगने की स्थिति में बिल्डिंग से निकलने का कोई रास्ता भी नहीं था. यही वजह रही कि जो जहां था, वहीं फंसा रह गया. कमोबेश यही स्थिति दिल्ली के मुखर्जीनगर और लखनऊ के कोचिंग सेंटर में भी है.