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अवैध धर्मांतरण मामला: अभियुक्तों के खिलाफ देशद्रोह की साजिश रचने समेत कई धाराओं की वृद्धि - लखनऊ न्यूज

अवैध धर्मांतरण मामले में निरुद्ध अभियुक्तों पर एटीएस के विशेष जज योगेन्द्र राम गुप्ता ने आईपीसी की धारा 121ए और धारा 123 बढ़ा दी है. एटीएस के पुलिस उपाधीक्षक मोहन प्रसाद वर्मा ने 27 अगस्त को विशेष अदालत में इनपर धाराएं बढ़ाए जाने की मांग की थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Sep 2, 2021, 10:46 PM IST

लखनऊ: एनआईए/एटीएस के विशेष जज योगेन्द्र राम गुप्ता ने अवैध धर्मांतरण के मामले में निरुद्ध अभियुक्त मोहम्मद उमर गौतम, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, भूप्रिय विंदो उर्फ अर्सलान, कौसर आलम व डॉ. फराज बाबूल्लाह शाह के खिलाफ दर्ज मुकदमे में आईपीसी की धारा 121ए और धारा 123 की बढ़ा दी है. कोर्ट ने इसके साथ ही अभियुक्तों को 14 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. इससे पहले इन अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 417, 120बी, 153ए, 153बी, 295ए और धारा 298 के साथ ही उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3/5/8 में न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था.


एटीएस के पुलिस उपाधीक्षक मोहन प्रसाद वर्मा ने 27 अगस्त को विशेष अदालत में एक अर्जी दाखिल की थी. जिसमें इन अभियुक्तों पर आईपीसी की धारा 121ए के साथ ही 123 की बढ़ोत्तरी की मांग की गई थी. एटीस का कहना था कि विवेचना के दौरान यह प्रकाश में आया है कि इस वृहद आपराधिक षडयंत्र में सम्मिलित अभियुक्तों के गिरोह का कार्य मात्र धर्मांतरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गिरोह धर्मांतरण के माध्यम से जनसंख्या संतुलन बदलकर विभिन्न धार्मिक वर्गों के बीच वैमनष्य पैदा कर देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है. इस गिरोह का विशिष्ट उद्देश्य धर्म विशेष की जनसंख्या को बढ़ाकर संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत वर्तमान चुनी गई सरकार को हटाकर इस्लामिक राज्य स्थापित करना है. इसमें यह भी कहा गया कि इस मामले की अब तक की विवेचना एवं साक्ष्य से इन अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 121ए और 123 का अपराध सृजित होना पाया गया है.

उल्लेखनीय है कि एटीएस ने इस मामले में 10 अभियुक्तों को देश के विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था. 20 जून, 2021 को इस मामले की एफआईआर थाना एटीएस में उपनिरीक्षक विनोद कुमार ने दर्ज कराई थी.

लखनऊ: एनआईए/एटीएस के विशेष जज योगेन्द्र राम गुप्ता ने अवैध धर्मांतरण के मामले में निरुद्ध अभियुक्त मोहम्मद उमर गौतम, मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान, सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख, प्रसाद रामेश्वर कांवरे, भूप्रिय विंदो उर्फ अर्सलान, कौसर आलम व डॉ. फराज बाबूल्लाह शाह के खिलाफ दर्ज मुकदमे में आईपीसी की धारा 121ए और धारा 123 की बढ़ा दी है. कोर्ट ने इसके साथ ही अभियुक्तों को 14 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. इससे पहले इन अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 417, 120बी, 153ए, 153बी, 295ए और धारा 298 के साथ ही उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 3/5/8 में न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था.


एटीएस के पुलिस उपाधीक्षक मोहन प्रसाद वर्मा ने 27 अगस्त को विशेष अदालत में एक अर्जी दाखिल की थी. जिसमें इन अभियुक्तों पर आईपीसी की धारा 121ए के साथ ही 123 की बढ़ोत्तरी की मांग की गई थी. एटीस का कहना था कि विवेचना के दौरान यह प्रकाश में आया है कि इस वृहद आपराधिक षडयंत्र में सम्मिलित अभियुक्तों के गिरोह का कार्य मात्र धर्मांतरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गिरोह धर्मांतरण के माध्यम से जनसंख्या संतुलन बदलकर विभिन्न धार्मिक वर्गों के बीच वैमनष्य पैदा कर देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है. इस गिरोह का विशिष्ट उद्देश्य धर्म विशेष की जनसंख्या को बढ़ाकर संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत वर्तमान चुनी गई सरकार को हटाकर इस्लामिक राज्य स्थापित करना है. इसमें यह भी कहा गया कि इस मामले की अब तक की विवेचना एवं साक्ष्य से इन अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 121ए और 123 का अपराध सृजित होना पाया गया है.

उल्लेखनीय है कि एटीएस ने इस मामले में 10 अभियुक्तों को देश के विभिन्न इलाकों से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था. 20 जून, 2021 को इस मामले की एफआईआर थाना एटीएस में उपनिरीक्षक विनोद कुमार ने दर्ज कराई थी.

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