लखनऊ: कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. वहीं दूसरी ओर संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए लॉकडाउन 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लॉकडाउन का पालन कराने के लिए सड़कों पर पुलिस बल को देखा जा सकता है. पुलिस विभाग में तैनात अधिकारियों की मानें तो लॉकडाउन का दूसरा चरण पहले चरण की अपेक्षा ज्यादा चुनौतियों भरा है.
प्रमुख चौराहे 1090 चौराहा पर तैनात एडीसीपी ट्रैफिक पूर्णेन्दु सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि लॉकडाउन के दूसरे चरण के लिए भले ही हमने पहले से तैयारियां कर ली है, लेकिन कई मायने में यह चुनौतीपूर्ण है.
लॉकडाउन का दूसरा चरण चुनौतियों से भरा
एडीसीपी ट्रैफिक पूर्णेन्दु सिंह ने बताया अगर चुनौतियों की बात करें तो लॉकडाउन-2 के पहले से ही हमें अफवाहों को लेकर सतर्क रहना पड़ा है. सोशल मीडिया पर लोग अफवाहों को फैला रहे हैं और लोग उन्हें सच मानकर सड़कों पर उतर रहे हैं. ऐसे में जो लोग सड़कों पर उतरते हैं उन्हें समझा-बुझाकर घर वापस भेजना पड़ता है और यह भी बताना पड़ता है कि सोशल मीडिया पर जो आपको खबर मिली है वह गलत है.
धूप की वजह से बढ़ रही है चुनौतियां
एडीसीपी ट्रैफिक ने बताया कि लॉकडाउन-2 में सरकारी राशन की दुकानों पर राशन वितरण और बैंकों की मदद से गरीबों को सहायता राशि उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण कार्य होना है. ऐसे में बैंकों और राशन की दुकानों पर सोशल डिस्टेंस बनाने में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसको लेकर हम तैयार हैं, लेकिन जिस तरह से धूप हो रही है या चुनौतीपूर्ण भी है. सड़कों पर ड्यूटी दे रहे पुलिस कर्मचारियों को भी इस तेज धूप से दिक्कत हो रही है. वहीं, राशन की दुकानों पर सामान लेने पहुंचने वाले ग्राहकों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ा है.
हालांकि, इससे निजात दिलाने के लिए हमने काफी प्रबंध किए हैं और टोकन सिस्टम शुरू किया है. हम राशन की दुकानों पर राशन लेने वालों को टोकन उपलब्ध कराते हैं और एक समय निर्धारित कर देते हैं, जिसके बाद वह दुकान पर आकर सामान प्राप्त करते हैं.
दूसरे चरण के लॉकडाउन के पहले दिन कुछ ऐसे लोग देखने को मिले हैं जिन्हें लॉकडाउन के नियमों के बारे में जानकारी नहीं थी. वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें यह जानकारी उपलब्ध कराई गई थी कि सिर्फ हॉटस्पॉट के क्षेत्र में ही लोगों का बाहर निकलना मना है. ऐसे लोग जब पुलिस के पास पहुंचे तो उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेजा गया है.
पूर्णेन्दु सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक, लखनऊ