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हिमोग्लोबिनोपैथी के लिए चलेगा स्क्रीनिंग प्रोग्राम, बजट व गाइडलाइन जारी - उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक

प्रदेश सरकार गंभीर बीमारियों (Screening program for hemoglobinopathy) के इलाज को लेकर काफी सतर्क है. सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक्शन मोड में काम कर रही है.

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Published : Jan 4, 2023, 10:42 PM IST

लखनऊ : यूपी में थैलेसीमिया समेत दूसरी खून की बीमारियों पर काबू पाने के लिए अभियान चलेगा. शुरूआत में हिमोग्लोबिनोपैथी (Screening program for hemoglobinopathy) प्रबन्धन के लिए राजकीय चिकित्सा केन्द्रों में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं की जांच कराई जाएगी. हर तीन माह में हिमोग्लोबिनोपैथी (थैलेसीमिया आदि) की निःशुल्क स्क्रीनिंग होगी. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने बजट व गाइड लाइन जारी कर दी है.

यूपी में हर साल करीब 55 लाख से अधिक प्रसव हो रहे हैं. कई बच्चे थैलेसीमिया समेत दूसरी खून की बीमारियों के साथ जन्म ले रहे हैं. इस पर काबू पाने के लिए एनएचएम ने अहम कदम उठाया है. राजकीय अस्पताल व मेडिकल संस्थानों में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाएगी. इसमें सीबीसी व एचबीए-2 जांच कराई जाएगी. इससे बीमारी का पता लगाने में मदद मिलेगी. इसके लिए कुल 2250.00 लाख की धनराशि का अस्पतालों को आवंटित की जा चुकी है.

17 संस्थानों से होगी शुरूआत : आगरा, कानपुर नगर, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज व 11 मंडलीय चिकित्सालयों में एनएचएम में हिमोग्लोबीन वैरिएंट का परीक्षण किया जा सकेगा. इससे बीमारी की प्रारम्भिक व संभावित बीमारी का पता लगाया जा सकता है. संक्रमण की पुष्टि के बाद दम्पत्ति की भी जांच होगी.

उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि यूपी को स्वस्थ्य बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की सेहत के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. योजनाओं का संचालन हो रहा है. हिमोग्लोबिनोपैथी प्रबंधन के लिए स्क्रीनिंग प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है. यह पूरी तरह से फ्री होगा. सरकारी अस्पताल में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं की जांच होगी. इससे बीमारी पर काबू पाना आसान होगा. योजना को बेहतर तरीके से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें : शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन से बढ़ेगी पारदर्शिता, गुणवत्ता में भी होगा सुधार

लखनऊ : यूपी में थैलेसीमिया समेत दूसरी खून की बीमारियों पर काबू पाने के लिए अभियान चलेगा. शुरूआत में हिमोग्लोबिनोपैथी (Screening program for hemoglobinopathy) प्रबन्धन के लिए राजकीय चिकित्सा केन्द्रों में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं की जांच कराई जाएगी. हर तीन माह में हिमोग्लोबिनोपैथी (थैलेसीमिया आदि) की निःशुल्क स्क्रीनिंग होगी. नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) ने बजट व गाइड लाइन जारी कर दी है.

यूपी में हर साल करीब 55 लाख से अधिक प्रसव हो रहे हैं. कई बच्चे थैलेसीमिया समेत दूसरी खून की बीमारियों के साथ जन्म ले रहे हैं. इस पर काबू पाने के लिए एनएचएम ने अहम कदम उठाया है. राजकीय अस्पताल व मेडिकल संस्थानों में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाएगी. इसमें सीबीसी व एचबीए-2 जांच कराई जाएगी. इससे बीमारी का पता लगाने में मदद मिलेगी. इसके लिए कुल 2250.00 लाख की धनराशि का अस्पतालों को आवंटित की जा चुकी है.

17 संस्थानों से होगी शुरूआत : आगरा, कानपुर नगर, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज व 11 मंडलीय चिकित्सालयों में एनएचएम में हिमोग्लोबीन वैरिएंट का परीक्षण किया जा सकेगा. इससे बीमारी की प्रारम्भिक व संभावित बीमारी का पता लगाया जा सकता है. संक्रमण की पुष्टि के बाद दम्पत्ति की भी जांच होगी.

उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि यूपी को स्वस्थ्य बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की सेहत के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. योजनाओं का संचालन हो रहा है. हिमोग्लोबिनोपैथी प्रबंधन के लिए स्क्रीनिंग प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है. यह पूरी तरह से फ्री होगा. सरकारी अस्पताल में पंजीकृत गर्भवती महिलाओं की जांच होगी. इससे बीमारी पर काबू पाना आसान होगा. योजना को बेहतर तरीके से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए.

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