लखनऊ: रामायण में संजीवनी बूटी का जिक्र सुना है कि जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब हनुमानजी हिमालय पर्वत पर जाकर संजीवनी लाए थे, जिससे लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा हुई थी, पर क्या कलयुग में संजीवनी या उसका अंश मौजूद है? जवाब है हां, क्योंकि राजधानी स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ( एनबीआरआई) वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही पौधे की खोज की है, जिसमें संजीवनी के गुण पाए गए हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर अजीत प्रताप सिंह से इस पौधे के बारे में जानकारी हासिल की.
सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि
ईटीवी भारत से खास बातचीत में एनबीआरआई के सीनियर साइंटिस्ट ने बताया कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में लगातार वैज्ञानिकों की खोज के बाद कुछ ऐसे पौधे मिले हैं, जिनमें संजीवनी के गुण पाए जाते हैं. उन पौधों में कुछ ऐसे मॉलिक्यूल पाए गए हैं, जो मृत कोशिकाओं को भी जीवित कर सकते हैं और 'कोशिका को जीवन की आधारभूत इकाई माना गया है, जिससे हमारा शरीर बना है'.
पढ़ें: बदलते मौसम में नियमित रूप से नहाना और ताजी सब्जियों का सेवन जरूरी: डॉ रितु करोली
स्लेजिनेला ब्रायोप्टेरिस पौधा जो हो जाता है दोबारा जीवित
वहीं सीनियर साइंटिस्ट अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि स्लेजिनेला ब्रायोप्टेरिस पौधे को देश के कई अलग-अलग हिस्सों से खोज कर निकाला गया, जिसके बाद अध्ययन करने पर पता चला कि अगर इन पौधों से पानी को निकाल दिया जाए, तो यह पौधे मृत अवस्था में पहुंच जाते हैं. और जब इन्हें दोबारा से पानी की कुछ बूंदे दी जाती हैं, तो इनकी कोशिकाओं में पाए जाने वाले मॉलिक्यूल ( प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड आदि) स्वतः कुछ क्वांटम आफ एनर्जी को बनाते हैं. जिसकी वजह से यह पौधा दोबारा से जीवित हो जाता है और सभी प्रकार की प्राकृतिक क्रियाएं, जैसे- रेस्पिरेशन, फोटोसिंथेसिस के द्वारा अपना खाना बनाना आदि करने लगता है.
एनबीआरआई कार्यशाला में किया गया पौधे पर रिसर्च
उन्होंने बताया कि इसी पौधे पर जब नागपुर स्थित एनबीआरआई कार्यशाला में आगे रिसर्च किया गया तो पाया गया कि जब इन पौधों को किसी अन्य मृत कोशिका के संपर्क में लाया जाता है, तो वह उन्हें भी जीवित अवस्था में ला देते हैं. अभी इस पर और भी रिसर्च की जा रही है और उस मॉलिक्यूल की खोज में लगातार दिन-रात काम चल रहा है, जिससे यह पौधे अपने आप को दोबारा से जीवित कर लेते हैं. जिनका प्रयोग भविष्य में मानव स्वास्थ्य को देखते हुए किया जाएगा, जो बहुत ही लाभकारी साबित होगा.