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वैज्ञानिकों ने खोज निकाली संजीवनी, दोबारा जीवित हो सकती हैं मृत कोशिकाएं

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे पौधे की खोज की है, जो एक बार मृत होने के बाद दोबारा जीवित हो सकता है. इस पौधे के ऊपर रिसर्च नागपुर स्थित एनबीआरआई कार्यशाला में की जा रही है.

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Published : Aug 14, 2019, 8:31 AM IST

सीनियर साइंटिस्ट डॉ अजीत प्रताप सिंह.

लखनऊ: रामायण में संजीवनी बूटी का जिक्र सुना है कि जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब हनुमानजी हिमालय पर्वत पर जाकर संजीवनी लाए थे, जिससे लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा हुई थी, पर क्या कलयुग में संजीवनी या उसका अंश मौजूद है? जवाब है हां, क्योंकि राजधानी स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ( एनबीआरआई) वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही पौधे की खोज की है, जिसमें संजीवनी के गुण पाए गए हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर अजीत प्रताप सिंह से इस पौधे के बारे में जानकारी हासिल की.

जानकारी देते साइंटिस्ट डॉ. अजीत प्रताप सिंह.

सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि
ईटीवी भारत से खास बातचीत में एनबीआरआई के सीनियर साइंटिस्ट ने बताया कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में लगातार वैज्ञानिकों की खोज के बाद कुछ ऐसे पौधे मिले हैं, जिनमें संजीवनी के गुण पाए जाते हैं. उन पौधों में कुछ ऐसे मॉलिक्यूल पाए गए हैं, जो मृत कोशिकाओं को भी जीवित कर सकते हैं और 'कोशिका को जीवन की आधारभूत इकाई माना गया है, जिससे हमारा शरीर बना है'.

पढ़ें: बदलते मौसम में नियमित रूप से नहाना और ताजी सब्जियों का सेवन जरूरी: डॉ रितु करोली

स्लेजिनेला ब्रायोप्टेरिस पौधा जो हो जाता है दोबारा जीवित
वहीं सीनियर साइंटिस्ट अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि स्लेजिनेला ब्रायोप्टेरिस पौधे को देश के कई अलग-अलग हिस्सों से खोज कर निकाला गया, जिसके बाद अध्ययन करने पर पता चला कि अगर इन पौधों से पानी को निकाल दिया जाए, तो यह पौधे मृत अवस्था में पहुंच जाते हैं. और जब इन्हें दोबारा से पानी की कुछ बूंदे दी जाती हैं, तो इनकी कोशिकाओं में पाए जाने वाले मॉलिक्यूल ( प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड आदि) स्वतः कुछ क्वांटम आफ एनर्जी को बनाते हैं. जिसकी वजह से यह पौधा दोबारा से जीवित हो जाता है और सभी प्रकार की प्राकृतिक क्रियाएं, जैसे- रेस्पिरेशन, फोटोसिंथेसिस के द्वारा अपना खाना बनाना आदि करने लगता है.

एनबीआरआई कार्यशाला में किया गया पौधे पर रिसर्च
उन्होंने बताया कि इसी पौधे पर जब नागपुर स्थित एनबीआरआई कार्यशाला में आगे रिसर्च किया गया तो पाया गया कि जब इन पौधों को किसी अन्य मृत कोशिका के संपर्क में लाया जाता है, तो वह उन्हें भी जीवित अवस्था में ला देते हैं. अभी इस पर और भी रिसर्च की जा रही है और उस मॉलिक्यूल की खोज में लगातार दिन-रात काम चल रहा है, जिससे यह पौधे अपने आप को दोबारा से जीवित कर लेते हैं. जिनका प्रयोग भविष्य में मानव स्वास्थ्य को देखते हुए किया जाएगा, जो बहुत ही लाभकारी साबित होगा.

लखनऊ: रामायण में संजीवनी बूटी का जिक्र सुना है कि जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब हनुमानजी हिमालय पर्वत पर जाकर संजीवनी लाए थे, जिससे लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा हुई थी, पर क्या कलयुग में संजीवनी या उसका अंश मौजूद है? जवाब है हां, क्योंकि राजधानी स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ( एनबीआरआई) वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही पौधे की खोज की है, जिसमें संजीवनी के गुण पाए गए हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर अजीत प्रताप सिंह से इस पौधे के बारे में जानकारी हासिल की.

जानकारी देते साइंटिस्ट डॉ. अजीत प्रताप सिंह.

सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि
ईटीवी भारत से खास बातचीत में एनबीआरआई के सीनियर साइंटिस्ट ने बताया कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में लगातार वैज्ञानिकों की खोज के बाद कुछ ऐसे पौधे मिले हैं, जिनमें संजीवनी के गुण पाए जाते हैं. उन पौधों में कुछ ऐसे मॉलिक्यूल पाए गए हैं, जो मृत कोशिकाओं को भी जीवित कर सकते हैं और 'कोशिका को जीवन की आधारभूत इकाई माना गया है, जिससे हमारा शरीर बना है'.

पढ़ें: बदलते मौसम में नियमित रूप से नहाना और ताजी सब्जियों का सेवन जरूरी: डॉ रितु करोली

स्लेजिनेला ब्रायोप्टेरिस पौधा जो हो जाता है दोबारा जीवित
वहीं सीनियर साइंटिस्ट अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि स्लेजिनेला ब्रायोप्टेरिस पौधे को देश के कई अलग-अलग हिस्सों से खोज कर निकाला गया, जिसके बाद अध्ययन करने पर पता चला कि अगर इन पौधों से पानी को निकाल दिया जाए, तो यह पौधे मृत अवस्था में पहुंच जाते हैं. और जब इन्हें दोबारा से पानी की कुछ बूंदे दी जाती हैं, तो इनकी कोशिकाओं में पाए जाने वाले मॉलिक्यूल ( प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड आदि) स्वतः कुछ क्वांटम आफ एनर्जी को बनाते हैं. जिसकी वजह से यह पौधा दोबारा से जीवित हो जाता है और सभी प्रकार की प्राकृतिक क्रियाएं, जैसे- रेस्पिरेशन, फोटोसिंथेसिस के द्वारा अपना खाना बनाना आदि करने लगता है.

एनबीआरआई कार्यशाला में किया गया पौधे पर रिसर्च
उन्होंने बताया कि इसी पौधे पर जब नागपुर स्थित एनबीआरआई कार्यशाला में आगे रिसर्च किया गया तो पाया गया कि जब इन पौधों को किसी अन्य मृत कोशिका के संपर्क में लाया जाता है, तो वह उन्हें भी जीवित अवस्था में ला देते हैं. अभी इस पर और भी रिसर्च की जा रही है और उस मॉलिक्यूल की खोज में लगातार दिन-रात काम चल रहा है, जिससे यह पौधे अपने आप को दोबारा से जीवित कर लेते हैं. जिनका प्रयोग भविष्य में मानव स्वास्थ्य को देखते हुए किया जाएगा, जो बहुत ही लाभकारी साबित होगा.

Intro:हमें रामायण में संजीवनी बूटी का जिक्र सुना है कि जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब हनुमानजी हिमालय पर्वत पर जाकर संजीवनी लाए थे जिससे लक्ष्मण जी की प्राण की रक्षा हुई थी। पर क्या कलयुग में संजीवनी या उसका अंश मौजूद है? जवाब है जी हां क्यों की राजधानी लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ( एनबीआरआई) वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही पौधे की खोज की है जिसमें संजीवनी के गुण पाए जाते हैं।


Body:वैज्ञानिकों ने संजीवनी बूटी की खोज की जब हमने सुना तो हमें भी आश्चर्य हुआ और हम पहुंचे एनबीआरआई वहां जाकर हमने सीनियर साइंटिस्ट अजीत प्रताप सिंह से मुलाकात की तो हम खुद आश्चर्य में रह गए जब उन्होंने संजीवनी पौधे के बारे में हमें जानकारी दी।

ईटीवी भारत से खास बातचीत में एनबीआरआई के सीनियर साइंटिस्ट ने बताया कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में लगातार वैज्ञानिकों की खोज के बाद कुछ ऐसे पौधे मिले हैं जिनमें संजीवनी के गुण पाए जाते हैं उन पौधों में कुछ ऐसे मॉलिक्यूल पाए गए हैं जो मृत कोशिकाओं को भी जीवित कर सकते हैं। "बताते चलें कोशिका को जीवन की आधारभूत इकाई माना गया है जिससे हमारा शरीर बना है"

वैज्ञानिक ने बताया कि स्लेजिनेला ब्रायोप्टेरिस पौधे को देश के कई अलग-अलग हिस्सों से खोज कर निकाला गया जिसके बाद अध्ययन करने पर पता चला कि यदि इन पौधों से पानी को निकाल दिया जाए तो यह पौधे मृत अवस्था में पहुंच जाते हैं। और जब इन्हें दोबारा से पानी की कुछ बूंदे दी जाती हैं तो इनकी कोशिकाओं में पाए जाने वाले मॉलिक्यूल ( प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड आदि) स्वतः कुछ क्वांटम आफ एनर्जी को बनाते हैं जिसकी वजह से यह पौधा दोबारा से जीवित हो जाता है और सभी प्रकार की प्राकृतिक क्रियाएं जैसे रेस्पिरेशन, फोटोसिंथेसिस के द्वारा अपना खाना बनाना आदि करने लगता है।

इसी पौधे पर जब नागपुर स्थित एनबीआरआई कार्यशाला में आगे रिसर्च की गई तो उसने पाया गया कि जब इन पौधों को किसी अन्य मृत कोशिका के संपर्क में लाया जाता है तो वह उन्हें भी जीवित अवस्था में ला देते हैं।

वैज्ञानिक ने बताया कि अभी इस पर और भी रिसर्च की जा रही है और उस मॉलिक्यूल की खोज मैं लगातार दिन-रात काम चल रहा है जिससे यह पौधे अपने आप को दोबारा से जीवित कर लेते हैं। जिनका प्रयोग भविष्य में मानव स्वास्थ्य को देखते हुए किया जाएगा जो बहुत ही लाभकारी साबित होगा।

टिक टैक- डॉ अजीत प्रताप सिंह ( सीनियर साइंटिस्ट एनबीआरआई)




Conclusion:फिलहाल वैज्ञानिकों ने इस खोज को लगातार जारी रखा हुआ है जिससे इस पौधे में पाए जाने वाले विशेष गुणों की जानकारी इकट्ठा की जा सके और इनका प्रयोग आने वाले समय में मानव स्वास्थ्य व हित में किया जा सके। मेडिकल साइंस में अब तक किया सबसे बड़ी खोज मानी जाएगी।

योगेश मिश्रा लखनऊ
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