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Scholarship Application : बिना प्रमाणित कराए कॉलेजों ने भेज दिया छात्रों का डाटा, अब होगी यह परेशानी

समाज कल्याण विभाग से मिलने वाले छात्रवृत्ति (Scholarship Application) के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कई कॉलेजों की लापरवाही सामने आई है. इससे हजारों छात्रों की छात्रवृत्ति अटक सकती है. वहीं स्कॉलरशिप की प्रक्रिया अंतिम चरण में होने के चलते कॉलेजों को अपनी फीस निर्धारण कराने के लिए समाज कल्याण विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.

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Published : Feb 2, 2023, 9:48 AM IST

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लखनऊ : समाज कल्याण विभाग से मिलने वाले छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया में लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध चार जिलों के कॉलेजों की लापरवाही सामने आई है. कॉलेजों की इस लापरवाही का खामियाजा आगे चलकर छात्रों को उठाना पड़ सकता है. इन कॉलेजों ने समाज कल्याण विभाग की ओर से स्कॉलरशिप आवेदन प्रक्रिया के जारी प्रारूप का सही तरीके से पालन नहीं किया है. अब जब स्कॉलरशिप की प्रक्रिया अंतिम चरण में है तो कॉलेजों को अपनी फीस निर्धारण कराने के लिए समाज कल्याण विभाग का चक्कर काट रहे हैं.

करीब डेढ़ सौ कॉलेजों में सामने आई लापरवाही : विश्वविद्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार करीब डेढ़ सौ से अधिक कॉलेज विभाग की ओर से निर्धारित प्रक्रिया में लापरवाही बरती है. ऐसे में इन कॉलेजों के हजारों छात्रों की स्कॉलरशिप फंस सकती है. लखनऊ विश्वविद्यालय के अनुसार समाज कल्याण विभाग की ओर से स्कॉलरशिप के लिए निर्धारित प्रक्रिया पालन करने में इन कॉलेजों की ओर से लापरवाही बढ़ती गई है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि स्कॉलरशिप आवेदन प्रक्रिया के तहत सात चरण निर्धारित किए गए हैं. इस प्रक्रिया के तीसरे चरण में कॉलेजों को छात्रों का आवेदन लेने के बाद उसका एक निर्धारित प्रारूप तैयार कर उसे विश्वविद्यालय को प्रस्तुत करना होता है. इन सब प्रारूपों को कुलसचिव प्रमाणित कर कॉलेजों को देता है, जिसे कॉलेज बाद में जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में जमा कराते हैं.

विभाग ने बंद किया पोर्टल : समाज कल्याण विभाग ने इस साल अपनी प्रक्रिया में संशोधन करते हुए नोडल संस्थाओं को फीस प्रमाणित करने का नियम बनाया है. इसके तहत डिग्री कॉलेजों को अपने संबद्धता देने वाले विश्वविद्यालय से फीस प्रमाणित करानी होती है. जिसे विश्वविद्यालय ऑनलाइन पोर्टल पर प्रमाणित कर देते हैं. इसके बाद डिग्री कॉलेजों को विश्वविद्यालय से प्रमाणित एक हार्ड कॉपी समाज कल्याण विभाग को जमा करानी पड़ती है. विभाग इसी प्रमाणित हार्ड कॉपी के आधार पर कॉलेजों की फीस को मानता है. अगर किसी कॉलेज का फीस उसके संबद्ध संस्था द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाएगा, तो उस कॉलेज के छात्रों को स्कॉलरशिप का लाभ नहीं मिलता है.

लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने बताया कि समाज कल्याण विभाग में पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है. जब प्रक्रिया ऑनलाइन है तो हार्ड कॉपी जमा कराने का कोई औचित्य ही नहीं उठता है फिर भी विभाग की ओर से यह प्रक्रिया जबरदस्ती शामिल की गई है. समाज कल्याण विभाग में जब यह प्रक्रिया ऑनलाइन है तो पूरी प्रक्रिया को उसे ऑनलाइन ही पूरी करानी चाहिए. हार्ड कॉपी जमा कराने का कोई मतलब नहीं है. अब जिन कॉलेजों ने बिना विश्वविद्यालय से प्रमाणित कराए स्कॉलरशिप की डिटेल समाज कल्याण विभाग को भेज दी है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, विभाग को इस विषय में भी सोचने की जरूरत है.

चार सेट में जमा कराना पड़ता है प्रारूप : समाज कल्याण विभाग से स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की पूरी डिटेल को डिग्री कॉलेजों को चार सेट में विश्वविद्यालयों को जमा करनी होती है. पहले सेट में कुलसचिव को सारे छात्रों की डिटेल देनी होती है. इसके बाद जो तीन सेट तैयार होते हैं वह अलग-अलग जाति के आधार पर तैयार करने होते हैं. जिसमें जनरल व एसी कैटगरी के छात्रों का डाटा एक प्रारूप पर ओबीसी, एसटी तथा अल्पसंख्यक का डाटा एक अलग प्रारूप पर विश्वविद्यालय को देना होता है. जिसमें से विश्वविद्यालय अपना प्रारूप रखकर बाकी तीन प्रारूप को प्रमाणित कर कॉलेजों को हैंडओवर करता है, जिसे कॉलेजों को अपने जिले के समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में जाकर इन प्रारूपों को जमा कराना होता है.

लखनऊ : समाज कल्याण विभाग से मिलने वाले छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया में लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध चार जिलों के कॉलेजों की लापरवाही सामने आई है. कॉलेजों की इस लापरवाही का खामियाजा आगे चलकर छात्रों को उठाना पड़ सकता है. इन कॉलेजों ने समाज कल्याण विभाग की ओर से स्कॉलरशिप आवेदन प्रक्रिया के जारी प्रारूप का सही तरीके से पालन नहीं किया है. अब जब स्कॉलरशिप की प्रक्रिया अंतिम चरण में है तो कॉलेजों को अपनी फीस निर्धारण कराने के लिए समाज कल्याण विभाग का चक्कर काट रहे हैं.

करीब डेढ़ सौ कॉलेजों में सामने आई लापरवाही : विश्वविद्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार करीब डेढ़ सौ से अधिक कॉलेज विभाग की ओर से निर्धारित प्रक्रिया में लापरवाही बरती है. ऐसे में इन कॉलेजों के हजारों छात्रों की स्कॉलरशिप फंस सकती है. लखनऊ विश्वविद्यालय के अनुसार समाज कल्याण विभाग की ओर से स्कॉलरशिप के लिए निर्धारित प्रक्रिया पालन करने में इन कॉलेजों की ओर से लापरवाही बढ़ती गई है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि स्कॉलरशिप आवेदन प्रक्रिया के तहत सात चरण निर्धारित किए गए हैं. इस प्रक्रिया के तीसरे चरण में कॉलेजों को छात्रों का आवेदन लेने के बाद उसका एक निर्धारित प्रारूप तैयार कर उसे विश्वविद्यालय को प्रस्तुत करना होता है. इन सब प्रारूपों को कुलसचिव प्रमाणित कर कॉलेजों को देता है, जिसे कॉलेज बाद में जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में जमा कराते हैं.

विभाग ने बंद किया पोर्टल : समाज कल्याण विभाग ने इस साल अपनी प्रक्रिया में संशोधन करते हुए नोडल संस्थाओं को फीस प्रमाणित करने का नियम बनाया है. इसके तहत डिग्री कॉलेजों को अपने संबद्धता देने वाले विश्वविद्यालय से फीस प्रमाणित करानी होती है. जिसे विश्वविद्यालय ऑनलाइन पोर्टल पर प्रमाणित कर देते हैं. इसके बाद डिग्री कॉलेजों को विश्वविद्यालय से प्रमाणित एक हार्ड कॉपी समाज कल्याण विभाग को जमा करानी पड़ती है. विभाग इसी प्रमाणित हार्ड कॉपी के आधार पर कॉलेजों की फीस को मानता है. अगर किसी कॉलेज का फीस उसके संबद्ध संस्था द्वारा प्रमाणित नहीं किया जाएगा, तो उस कॉलेज के छात्रों को स्कॉलरशिप का लाभ नहीं मिलता है.

लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने बताया कि समाज कल्याण विभाग में पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है. जब प्रक्रिया ऑनलाइन है तो हार्ड कॉपी जमा कराने का कोई औचित्य ही नहीं उठता है फिर भी विभाग की ओर से यह प्रक्रिया जबरदस्ती शामिल की गई है. समाज कल्याण विभाग में जब यह प्रक्रिया ऑनलाइन है तो पूरी प्रक्रिया को उसे ऑनलाइन ही पूरी करानी चाहिए. हार्ड कॉपी जमा कराने का कोई मतलब नहीं है. अब जिन कॉलेजों ने बिना विश्वविद्यालय से प्रमाणित कराए स्कॉलरशिप की डिटेल समाज कल्याण विभाग को भेज दी है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, विभाग को इस विषय में भी सोचने की जरूरत है.

चार सेट में जमा कराना पड़ता है प्रारूप : समाज कल्याण विभाग से स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की पूरी डिटेल को डिग्री कॉलेजों को चार सेट में विश्वविद्यालयों को जमा करनी होती है. पहले सेट में कुलसचिव को सारे छात्रों की डिटेल देनी होती है. इसके बाद जो तीन सेट तैयार होते हैं वह अलग-अलग जाति के आधार पर तैयार करने होते हैं. जिसमें जनरल व एसी कैटगरी के छात्रों का डाटा एक प्रारूप पर ओबीसी, एसटी तथा अल्पसंख्यक का डाटा एक अलग प्रारूप पर विश्वविद्यालय को देना होता है. जिसमें से विश्वविद्यालय अपना प्रारूप रखकर बाकी तीन प्रारूप को प्रमाणित कर कॉलेजों को हैंडओवर करता है, जिसे कॉलेजों को अपने जिले के समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में जाकर इन प्रारूपों को जमा कराना होता है.

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