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सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत आज, कुंवारी कन्याएं करें ये उपाय, योग्य वर से जल्द होगी शादी - लखनऊ

आज सावन महीने का चौथा और आखिरी मंगलवार है. सावन (श्रावण) के महीने में सोमवार के अगले दिन यानी मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करने मान्यता है. मंगला गौरी व्रत करने से जहां विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती है. वहीं इस व्रत के करने से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

mangala gauri vrat
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Published : Aug 17, 2021, 7:58 AM IST

Sawan 2021, Mangala Gauri Vrat : सावन महीने के मंगलवार को जो महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती है उनके बैवाहिक जीवन में आ रही अड़चनें जल्द समाप्त होती है और विवाह से संबंधित समस्या तुरंत ठीक होने लगती है. मान्यता है कि सावन महीने के इस मंगलवार को व्रत रखने और माता पार्वती के साथ शिव जी की आराधान करने से व्यक्ति को सुख व सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन पति और बच्चों की लंबी उम्र के लिए भी महिलाएं व्रत रखती हैं.

अखंड सौभाग्य का आशिर्वाद देती हैं माता पार्वती

मान्यता के मुताबिक ज‍िस तरह शिवजी को सावन का सोमवार प्रिय हैं. ठीक उसी तरह माता पार्वती को इस महीने का मंगलवार प्रिय हैं. सावन के सोमवार को भोले शंकर की पूजा से जहां मनवांछित वर, धन और निरोगी काया का फल मिलता है. ठीक उसकी तरह सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत और पूजन करने से माता पार्वती से अखंड सौभाग्‍य का आर्शिवाद म‍िलता है.

दूर होती है विवाह में आ रही अड़चने

इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ वो लोग भी मनाते हैं जिनकी शादी में परेशानी आ रही है. मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वहीं जिनकी शादी में किसी भी तरह की परेशानी आती है तो वो दूर हो जाती है.

कुंवारी कन्याएं या सुहागन स्त्री यह व्रत करती हैं. विवाह की बाधा दूर करने, वैवाहिक जीवन में खुशहाली, पुत्र की प्राप्ति व सौभाग्य के लिए यह व्रत श्रेष्ठ है. यह व्रत उन सुहागिन स्त्रियों को भी करना चाहिए जिनके विवाह में किसी प्रकार की परेशानी चल रही है. परिवार की सुख-समृद्धि की कामना से यह व्रत दंपती को जोड़े से करना चाहिए.

वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं होती है खत्म

मान्यता के मुताबिक ऐसी महिलाओं के ये व्रत जरूर करना चाहिए जिनके वैवाहिक जीवन में कष्ट चल रहे हों अथवा पति सुख नहीं मिल पा रहा हो. प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए यह बेहद खास दिन होता है.

प्रेमियों में आपस में बढ़ता है प्यार

यह व्रत रखने से प्रेमियों में आपसी प्यार बढ़ जाता है. इतना ही नहीं इस व्रत के प्रभाव से प्रेमी विवाह बंधन में बंध सकते हैं, उनकी शादी में आनेवाली रुकावटें खत्म हो सकती हैं.

मंगल गौरी व्रत करने की विधि

मंगला गौरी व्रत करने का विशेष नियम होते हैं. इस व्रत को करने वाले व्रती को सूर्योदय से पहले ही जागना होता है. इसके बाद नित्‍य कर्मों से निवृत्‍त होकर स्‍नान करके साफ वस्‍त्र धारण करने चाहिए. इसके माता गौरी की तस्‍वीर या मूर्ति को चौकी पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाकर स्‍थापित करना चाहिए. इसके बाद व्रत का संकल्‍प करना चाहिए और आटे से निर्मित दियाली में दीपक जलाकर षोडशोपचार से मां का पूजन करना चाहिए. देवी मां के सामने आटे से बने दीपक पर सोलह बत्तियां जलाएं. फिर 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये' श्लोक से पूजा शुरु कीजिए.

  • सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठें.
  • नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करें.
  • मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें.
  • फिर 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए.
  • इस व्रत में एक ही समय शाम को अन्न ग्रहण करने की मान्यता है.

Sawan 2021, Mangala Gauri Vrat : सावन महीने के मंगलवार को जो महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती है उनके बैवाहिक जीवन में आ रही अड़चनें जल्द समाप्त होती है और विवाह से संबंधित समस्या तुरंत ठीक होने लगती है. मान्यता है कि सावन महीने के इस मंगलवार को व्रत रखने और माता पार्वती के साथ शिव जी की आराधान करने से व्यक्ति को सुख व सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन पति और बच्चों की लंबी उम्र के लिए भी महिलाएं व्रत रखती हैं.

अखंड सौभाग्य का आशिर्वाद देती हैं माता पार्वती

मान्यता के मुताबिक ज‍िस तरह शिवजी को सावन का सोमवार प्रिय हैं. ठीक उसी तरह माता पार्वती को इस महीने का मंगलवार प्रिय हैं. सावन के सोमवार को भोले शंकर की पूजा से जहां मनवांछित वर, धन और निरोगी काया का फल मिलता है. ठीक उसकी तरह सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत और पूजन करने से माता पार्वती से अखंड सौभाग्‍य का आर्शिवाद म‍िलता है.

दूर होती है विवाह में आ रही अड़चने

इस व्रत को सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ वो लोग भी मनाते हैं जिनकी शादी में परेशानी आ रही है. मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वहीं जिनकी शादी में किसी भी तरह की परेशानी आती है तो वो दूर हो जाती है.

कुंवारी कन्याएं या सुहागन स्त्री यह व्रत करती हैं. विवाह की बाधा दूर करने, वैवाहिक जीवन में खुशहाली, पुत्र की प्राप्ति व सौभाग्य के लिए यह व्रत श्रेष्ठ है. यह व्रत उन सुहागिन स्त्रियों को भी करना चाहिए जिनके विवाह में किसी प्रकार की परेशानी चल रही है. परिवार की सुख-समृद्धि की कामना से यह व्रत दंपती को जोड़े से करना चाहिए.

वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं होती है खत्म

मान्यता के मुताबिक ऐसी महिलाओं के ये व्रत जरूर करना चाहिए जिनके वैवाहिक जीवन में कष्ट चल रहे हों अथवा पति सुख नहीं मिल पा रहा हो. प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए यह बेहद खास दिन होता है.

प्रेमियों में आपस में बढ़ता है प्यार

यह व्रत रखने से प्रेमियों में आपसी प्यार बढ़ जाता है. इतना ही नहीं इस व्रत के प्रभाव से प्रेमी विवाह बंधन में बंध सकते हैं, उनकी शादी में आनेवाली रुकावटें खत्म हो सकती हैं.

मंगल गौरी व्रत करने की विधि

मंगला गौरी व्रत करने का विशेष नियम होते हैं. इस व्रत को करने वाले व्रती को सूर्योदय से पहले ही जागना होता है. इसके बाद नित्‍य कर्मों से निवृत्‍त होकर स्‍नान करके साफ वस्‍त्र धारण करने चाहिए. इसके माता गौरी की तस्‍वीर या मूर्ति को चौकी पर लाल रंग का वस्‍त्र बिछाकर स्‍थापित करना चाहिए. इसके बाद व्रत का संकल्‍प करना चाहिए और आटे से निर्मित दियाली में दीपक जलाकर षोडशोपचार से मां का पूजन करना चाहिए. देवी मां के सामने आटे से बने दीपक पर सोलह बत्तियां जलाएं. फिर 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये' श्लोक से पूजा शुरु कीजिए.

  • सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठें.
  • नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करें.
  • मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें.
  • फिर 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए.
  • इस व्रत में एक ही समय शाम को अन्न ग्रहण करने की मान्यता है.
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