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समाजवादी रसोई पर 'सरकार का पहरा', बंद हुआ गरीबों की खुराक का ठिकाना - भारतीय जनता पार्टी

कोरोना काल में सपा द्वारा चलाई गई समाजवादी रसोई को बंद करा दिया गया है. समाजवादी युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव इसको लेकर सरकार पर आरोप लगाते हैं. उनका कहना है कि सरकार को उनका सेवा कार्य रास नहीं आया. वहीं भाजपा के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं. वह कहते हैं कि यह लोग सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए बाहर आते हैं और मकसद सेवा के बजाय पार्टी का प्रचार-प्रसार होता है.

समाजवादी रसोई पर 'सरकार का पहरा'
समाजवादी रसोई पर 'सरकार का पहरा'
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Published : Aug 14, 2021, 9:31 PM IST

लखनऊ: कोरोना काल में राजधानी के गरीबों के लिए पेट भरने का सहारा बनी 'समाजवादी रसोई' आखिरकार बंद हो गई. ऐसा नहीं है कि रसोई चलाने को लेकर कोई व्यवस्थागत समस्या आ रही थी या इसके संचालक इसे चलाना नहीं चाहते थे. इस रसोई के संचालक और समाजवादी युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव का कहना है कि राजनीतिक कारणों से इस रसोई को पुलिस प्रशासन द्वारा दबाव बनाकर न सिर्फ बंद करा दिया गया, बल्कि वहां पुलिस और पीएसी का पहरा भी बिठा दिया गया. विकास यादव कहते हैं कि वह इस रसोई को कोविड काल में ही नहीं, बल्कि हमेशा के लिए चलाना चाहते थे, ताकि गरीबों को भूखे पेट न सोना पड़े, लेकिन सरकार को उनका सेवा कार्य रास नहीं आया. हालांकि भारतीय जनता पार्टी इन आरोपों को खारिज करती है.

समाजवादी युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव बताते हैं कि कोविड काल से वह और उनके सहयोगी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता पक्के पुल के पास एक मंदिर प्रांगण में 'समाजवादी रसोई' का संचालन कर रहे थे. वह कहते हैं कि हम लोग बिना अपनी जान की परवाह किए नियमित रूप से प्रतिदिन अस्पतालों में मरीजों और उनके तीमारदारों व अन्य गरीबों को भोजन वितरण का कार्यक्रम चला रहे थे. लोगों ने इसे खूब सराहा. सेवा का यह कार्य निर्बाध रूप से चल रहा था. कुछ दिन पहले अचानक देर रात पुलिस वहां पहुंची और समाजवादी रसोई से संबंधित बैनर-पोस्टर वगैरह उखाड़ ले गई. साथ ही रसोई का संचालन भी बंद करा दिया. वह कहते हैं कि मंदिर प्रांगण में पुलिस का पहरा लगा दिया गया और हमें थाने पहुंचने के लिए कहा गया. विकास यादव बताते हैं कि अगले दिन सुबह जब वह थाने पहुंचे तो थानाध्यक्ष ने कहा कि अब वहां रसोई नहीं चलेगी. कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि हमें ऊपर से ऐसे निर्देश हैं. यदि आप लोग नहीं मानेंगे तो हमें कार्रवाई करनी पड़ेगी. मजबूरन हमें रसोई बंद करनी पड़ी. विकास यादव याद करते हैं कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के जन्मदिन पर रसोई में भव्य भंडारा हुआ था, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में लोगों को भोजन कराया गया था. वह आरोप लगाते हैं कि राजनीतिक कारणों से भारतीय जनता पार्टी ने यह रसोई बंद कराई है. अब भाजपा समर्थकों का मंदिर परिसर में कब्जा हो गया है.

समाजवादी रसोई पर 'सरकार का पहरा'
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं. वह कहते हैं कि पूरे कोविड काल में समाजवादी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता कहीं दिखाई नहीं दिए. यह लोग सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए बाहर आते हैं और मकसद सेवा के बजाय पार्टी का प्रचार-प्रसार होता है. उन्होंने कहा कि सपा नेताओं की आदत है कि वह अपनी नाकामी छिपाने के लिए हर बात में भाजपा पर आरोप लगाए. वहीं इस मामले में इंस्पेक्ट चौक विश्वजीत सिंह का कहा कहना है कि यह रसोई एक मंदिर में चल रही थी. मंदिर में किसी पार्टी के नाम से सरोई या कोई भी राजनीतिक कार्य नहीं होना चाहिए. मंदिर से जुड़े कुछ लोगों की आपत्ति के बाद रसोई बंद कराई गई है. हालांकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर इतने महीनों तक जब यह आयोजन चल रहा था तब क्यों नहीं रोका गया.

लखनऊ: कोरोना काल में राजधानी के गरीबों के लिए पेट भरने का सहारा बनी 'समाजवादी रसोई' आखिरकार बंद हो गई. ऐसा नहीं है कि रसोई चलाने को लेकर कोई व्यवस्थागत समस्या आ रही थी या इसके संचालक इसे चलाना नहीं चाहते थे. इस रसोई के संचालक और समाजवादी युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव का कहना है कि राजनीतिक कारणों से इस रसोई को पुलिस प्रशासन द्वारा दबाव बनाकर न सिर्फ बंद करा दिया गया, बल्कि वहां पुलिस और पीएसी का पहरा भी बिठा दिया गया. विकास यादव कहते हैं कि वह इस रसोई को कोविड काल में ही नहीं, बल्कि हमेशा के लिए चलाना चाहते थे, ताकि गरीबों को भूखे पेट न सोना पड़े, लेकिन सरकार को उनका सेवा कार्य रास नहीं आया. हालांकि भारतीय जनता पार्टी इन आरोपों को खारिज करती है.

समाजवादी युवजन सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास यादव बताते हैं कि कोविड काल से वह और उनके सहयोगी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता पक्के पुल के पास एक मंदिर प्रांगण में 'समाजवादी रसोई' का संचालन कर रहे थे. वह कहते हैं कि हम लोग बिना अपनी जान की परवाह किए नियमित रूप से प्रतिदिन अस्पतालों में मरीजों और उनके तीमारदारों व अन्य गरीबों को भोजन वितरण का कार्यक्रम चला रहे थे. लोगों ने इसे खूब सराहा. सेवा का यह कार्य निर्बाध रूप से चल रहा था. कुछ दिन पहले अचानक देर रात पुलिस वहां पहुंची और समाजवादी रसोई से संबंधित बैनर-पोस्टर वगैरह उखाड़ ले गई. साथ ही रसोई का संचालन भी बंद करा दिया. वह कहते हैं कि मंदिर प्रांगण में पुलिस का पहरा लगा दिया गया और हमें थाने पहुंचने के लिए कहा गया. विकास यादव बताते हैं कि अगले दिन सुबह जब वह थाने पहुंचे तो थानाध्यक्ष ने कहा कि अब वहां रसोई नहीं चलेगी. कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि हमें ऊपर से ऐसे निर्देश हैं. यदि आप लोग नहीं मानेंगे तो हमें कार्रवाई करनी पड़ेगी. मजबूरन हमें रसोई बंद करनी पड़ी. विकास यादव याद करते हैं कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के जन्मदिन पर रसोई में भव्य भंडारा हुआ था, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में लोगों को भोजन कराया गया था. वह आरोप लगाते हैं कि राजनीतिक कारणों से भारतीय जनता पार्टी ने यह रसोई बंद कराई है. अब भाजपा समर्थकों का मंदिर परिसर में कब्जा हो गया है.

समाजवादी रसोई पर 'सरकार का पहरा'
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं. वह कहते हैं कि पूरे कोविड काल में समाजवादी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता कहीं दिखाई नहीं दिए. यह लोग सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए बाहर आते हैं और मकसद सेवा के बजाय पार्टी का प्रचार-प्रसार होता है. उन्होंने कहा कि सपा नेताओं की आदत है कि वह अपनी नाकामी छिपाने के लिए हर बात में भाजपा पर आरोप लगाए. वहीं इस मामले में इंस्पेक्ट चौक विश्वजीत सिंह का कहा कहना है कि यह रसोई एक मंदिर में चल रही थी. मंदिर में किसी पार्टी के नाम से सरोई या कोई भी राजनीतिक कार्य नहीं होना चाहिए. मंदिर से जुड़े कुछ लोगों की आपत्ति के बाद रसोई बंद कराई गई है. हालांकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर इतने महीनों तक जब यह आयोजन चल रहा था तब क्यों नहीं रोका गया.
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