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लखनऊ में नहीं रुक पा रही पॉलीथीन की बिक्री, खूब बढ़ रहा प्रदूषण

राजधानी लखनऊ में प्रदूषण की मात्रा दिन पर दिन बढती जा रही है. इसका प्रमुख कारण राजधानी में खुलेआम पॉलीथीन का प्रयोग, नालियों की सफाई न होना, जगह-जगह कूड़े के ढेर हैं. यहां सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम पॉलीथीन का प्रयोग और बिक्री हो रही है. चिकित्सक एवं पर्यावरणविद् डॉक्टर एपी चतुर्वेदी ने बताया कि पॉलिथीन जलाने से निकलने वाला जहरीला धुआं फेफड़ों के साथ-साथ आंखों के लिए भी नुकसान देय है.

लखनऊ में नहीं रुक पा रही पॉलीथीन की बिक्री
लखनऊ में नहीं रुक पा रही पॉलीथीन की बिक्री
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Published : Apr 6, 2021, 8:56 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यूं ही नहीं प्रदूषण में देश में अव्वल है. यहां पॉलिथीन के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान बेअसर साबित हो रहा है. राजधानी लखनऊ में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. सड़कों पर खुलेआम पॉलिथीन जलाया जा रहा है. यहां गलियों के किनारे पॉलिथीन के ढेर लगे हुए हैं.

मौत के करीब ले जा रही है हवा
राजधानी में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण परिवहन से निकलने वाला धुंआ, जैविक ईंधन, उद्योगों से निकलने वाला धुंआ, प्लास्टिक को जलाना, कूड़े का जमा होना और धूल की अधिकता है. लॉकडाउन के बाद प्रदूषण से कुछ राहत जरूर मिली थी, लेकिन अब फिर से प्रदूषण की मात्रा तेजी से बढ़ रही है. शहर में पॉलिथीन खुलेआम बिक रहा है. सामान हो या सब्जियां या फिर अनाज सभी कुछ पॉलिथीन में ही दिख रहा है. यह सब तब हो रहा है जब पॉलिथीन प्रदेश में प्रतिबंधित है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 2 अक्टूबर 2018 को गजट जारी कर पॉलिथीन के उपयोग, विनिर्माण, विक्रय और वितरण, भंडारण, परिवहन,आयात और निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही सभी जिलाधिकारियों, जिला व परगना मजिस्ट्रेट, स्थानीय निकायों के नगर आयुक्त, अपर आयुक्त, क्षेत्रीय अधिकारी सफाई निरीक्षक, सदस्य राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सहायक पर्यावरण अभियंता, सहायक वैज्ञानिक अधिकारी, अवर अभियंता, निदेशक पर्यावरण, उपनिदेशक पर्यावरण, सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सा अधिकारी सभी माल एवं सेवा कर अधिकारी, सभी प्रभागीय वन अधिकारी, सभी तहसीलदार नायब तहसीलदार, पर्यटन अधिकारी, सहायक पर्यटन अधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, खाद्य निरीक्षक खाद्य सुरक्षा निरीक्षक सभी पुलिस अधिकारी, औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रबंधक अभियंता सहित तमाम विभागों को इस पर नियंत्रण का दायित्व सौंपा था.

चिकित्सक एवं पर्यावरणविद् डॉक्टर एपी चतुर्वेदी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्थिति बेहद खतरनाक है. पॉलिथीन खाने वाले जानवरों का मरना सुनिश्चित है. पॉलिथीन जलाने से निकलने वाला जहरीला धुआं फेफड़ों के साथ-साथ आंखों के लिए भी नुकसान देय है. वहीं समाजसेवी हुदा जरीवाला कहती हैं कि सिर्फ सरकारी प्रयास से कुछ नहीं होने वाला, लोगों को खुद भी इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा, प्रतिबंध लगने के बाद भी लोग मान नहीं रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- 75 रेलवे स्टेशनों के सर्वे में मंडुवाडीह पर्यावरण प्रदूषण के लिहाज से बेहतर


जारी है प्रयास
नगर विकास निदेशालय में प्रदूषण नियंत्रण एवं स्वच्छता का कार्य देख रहे एसडी सिंह स्वीकार करते हैं कि पॉलिथीन के खिलाफ अभियान थम सा गया है. पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं. समय-समय पर निदेशालय की ओर से संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर उन्हें राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप पॉलिथीन पर पूर्ण नियंत्रण के लिए अभियान चलाने को कहा गया है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यूं ही नहीं प्रदूषण में देश में अव्वल है. यहां पॉलिथीन के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान बेअसर साबित हो रहा है. राजधानी लखनऊ में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं. सड़कों पर खुलेआम पॉलिथीन जलाया जा रहा है. यहां गलियों के किनारे पॉलिथीन के ढेर लगे हुए हैं.

मौत के करीब ले जा रही है हवा
राजधानी में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण परिवहन से निकलने वाला धुंआ, जैविक ईंधन, उद्योगों से निकलने वाला धुंआ, प्लास्टिक को जलाना, कूड़े का जमा होना और धूल की अधिकता है. लॉकडाउन के बाद प्रदूषण से कुछ राहत जरूर मिली थी, लेकिन अब फिर से प्रदूषण की मात्रा तेजी से बढ़ रही है. शहर में पॉलिथीन खुलेआम बिक रहा है. सामान हो या सब्जियां या फिर अनाज सभी कुछ पॉलिथीन में ही दिख रहा है. यह सब तब हो रहा है जब पॉलिथीन प्रदेश में प्रतिबंधित है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 2 अक्टूबर 2018 को गजट जारी कर पॉलिथीन के उपयोग, विनिर्माण, विक्रय और वितरण, भंडारण, परिवहन,आयात और निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही सभी जिलाधिकारियों, जिला व परगना मजिस्ट्रेट, स्थानीय निकायों के नगर आयुक्त, अपर आयुक्त, क्षेत्रीय अधिकारी सफाई निरीक्षक, सदस्य राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सहायक पर्यावरण अभियंता, सहायक वैज्ञानिक अधिकारी, अवर अभियंता, निदेशक पर्यावरण, उपनिदेशक पर्यावरण, सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सा अधिकारी सभी माल एवं सेवा कर अधिकारी, सभी प्रभागीय वन अधिकारी, सभी तहसीलदार नायब तहसीलदार, पर्यटन अधिकारी, सहायक पर्यटन अधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, खाद्य निरीक्षक खाद्य सुरक्षा निरीक्षक सभी पुलिस अधिकारी, औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रबंधक अभियंता सहित तमाम विभागों को इस पर नियंत्रण का दायित्व सौंपा था.

चिकित्सक एवं पर्यावरणविद् डॉक्टर एपी चतुर्वेदी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्थिति बेहद खतरनाक है. पॉलिथीन खाने वाले जानवरों का मरना सुनिश्चित है. पॉलिथीन जलाने से निकलने वाला जहरीला धुआं फेफड़ों के साथ-साथ आंखों के लिए भी नुकसान देय है. वहीं समाजसेवी हुदा जरीवाला कहती हैं कि सिर्फ सरकारी प्रयास से कुछ नहीं होने वाला, लोगों को खुद भी इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा, प्रतिबंध लगने के बाद भी लोग मान नहीं रहे हैं.

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जारी है प्रयास
नगर विकास निदेशालय में प्रदूषण नियंत्रण एवं स्वच्छता का कार्य देख रहे एसडी सिंह स्वीकार करते हैं कि पॉलिथीन के खिलाफ अभियान थम सा गया है. पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं. समय-समय पर निदेशालय की ओर से संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर उन्हें राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप पॉलिथीन पर पूर्ण नियंत्रण के लिए अभियान चलाने को कहा गया है.

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