लखनऊ: जिले में विशेष अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में हुए करोड़ों के घोटाला मामले में प्रबंध निदेशक नवल किशोर को पांच साल की सजा सुनाई हैं. कोर्ट ने 31 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने इस मामले में ठेकेदार विनोद गुप्ता को चार साल की सजा व सात हजार के जुर्माने से दंडित किया है.
27 मार्च को नवल किशोर को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं पर सजा सुनाई हैं. ठेकेदार विनोद गुप्ता को आईपीसी की धारा 420384 व 120बी में कोर्ट ने दोषी करार दिया गया था.
एडीजे अनिल कुमार शुक्ल ने बताया कि नवल किशोर ने यह अपराध एक लोकसेवक के रुप में कार्य करते हुए किया है. जबकि ठेकेदार विनोद गुप्ता भ्रष्टाचार के मामले में नवल किशोर के साथ शामिल रहा है. भ्रष्टाचार का यह अपराध सहकारिता विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव की साजिश से प्रमाणित पाया गया है.
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30 जून, 2017 को एसबीआई के एसपी गुरदीप सिह ग्रेवाल ने अदालत को बताया था कि इस मामले में पूर्व प्रशासक व रिटायर आईएएस अफसर अमल कुमार वर्मा के खिलाफ भी आरोप पत्र अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजा गया है. विवेचक ग्रेवाल ने अपने पत्र में कहा था कि इस मामले की अग्रिम विवेचना के दौरान उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक के पूर्व प्रशासक अमल कुमार वर्मा के विरुद्ध भी आईपीसी की धारा 409 और120 बी के तहत अपराध का होना प्रमाणित है. लिहाजा अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी.
सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी के मुताबिक उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक का यह घोटाला पांच करोड़ 24 लाख एक हजार 738 रुपए का था.जिसमें सीधी भर्ती के जरिए कर्मियोंका चयन करने, प्रोन्नतियां करने तथा जिला सहकारी बैंक के कर्मी को उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड, लखनऊ की सेवा में शामिल करना शामिल है. इसके साथ ही बैंक के जनपदीय कार्यालयों में इंटरनेट युक्त कम्प्यूटर व विदेश यात्रा के संबध में भी भारी धनराशि का अपव्यय किया गया.