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लखनऊ: ग्राम विकास बैंक के एमडी को पांच साल का कारावास - rural development bank

लखनऊ में ग्राम विकास बैंक लिमिटेड घोटाले मामले में न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल नें प्रबंध निदेशक नवल किशोर को पांच साल की सजा सुनाई हैं. साथ ही कोर्ट ने 31 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. सह अभियुक्त को भी चार साल कारावास की सजा सुनाई व सात हजार का जुर्माना भी लगाया.

ग्राम विकास बैंक के एमडी को पांच साल का कारावास
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Published : Mar 30, 2019, 5:06 AM IST

लखनऊ: जिले में विशेष अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में हुए करोड़ों के घोटाला मामले में प्रबंध निदेशक नवल किशोर को पांच साल की सजा सुनाई हैं. कोर्ट ने 31 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने इस मामले में ठेकेदार विनोद गुप्ता को चार साल की सजा व सात हजार के जुर्माने से दंडित किया है.


27 मार्च को नवल किशोर को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं पर सजा सुनाई हैं. ठेकेदार विनोद गुप्ता को आईपीसी की धारा 420384 व 120बी में कोर्ट ने दोषी करार दिया गया था.

एडीजे अनिल कुमार शुक्ल ने बताया कि नवल किशोर ने यह अपराध एक लोकसेवक के रुप में कार्य करते हुए किया है. जबकि ठेकेदार विनोद गुप्ता भ्रष्टाचार के मामले में नवल किशोर के साथ शामिल रहा है. भ्रष्टाचार का यह अपराध सहकारिता विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव की साजिश से प्रमाणित पाया गया है.

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ग्राम विकास बैंक के एमडी को पांच साल का कारावास


30 जून, 2017 को एसबीआई के एसपी गुरदीप सिह ग्रेवाल ने अदालत को बताया था कि इस मामले में पूर्व प्रशासक व रिटायर आईएएस अफसर अमल कुमार वर्मा के खिलाफ भी आरोप पत्र अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजा गया है. विवेचक ग्रेवाल ने अपने पत्र में कहा था कि इस मामले की अग्रिम विवेचना के दौरान उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक के पूर्व प्रशासक अमल कुमार वर्मा के विरुद्ध भी आईपीसी की धारा 409 और120 बी के तहत अपराध का होना प्रमाणित है. लिहाजा अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी.

सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी के मुताबिक उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक का यह घोटाला पांच करोड़ 24 लाख एक हजार 738 रुपए का था.जिसमें सीधी भर्ती के जरिए कर्मियोंका चयन करने, प्रोन्नतियां करने तथा जिला सहकारी बैंक के कर्मी को उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड, लखनऊ की सेवा में शामिल करना शामिल है. इसके साथ ही बैंक के जनपदीय कार्यालयों में इंटरनेट युक्त कम्प्यूटर व विदेश यात्रा के संबध में भी भारी धनराशि का अपव्यय किया गया.

लखनऊ: जिले में विशेष अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में हुए करोड़ों के घोटाला मामले में प्रबंध निदेशक नवल किशोर को पांच साल की सजा सुनाई हैं. कोर्ट ने 31 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने इस मामले में ठेकेदार विनोद गुप्ता को चार साल की सजा व सात हजार के जुर्माने से दंडित किया है.


27 मार्च को नवल किशोर को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं पर सजा सुनाई हैं. ठेकेदार विनोद गुप्ता को आईपीसी की धारा 420384 व 120बी में कोर्ट ने दोषी करार दिया गया था.

एडीजे अनिल कुमार शुक्ल ने बताया कि नवल किशोर ने यह अपराध एक लोकसेवक के रुप में कार्य करते हुए किया है. जबकि ठेकेदार विनोद गुप्ता भ्रष्टाचार के मामले में नवल किशोर के साथ शामिल रहा है. भ्रष्टाचार का यह अपराध सहकारिता विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव की साजिश से प्रमाणित पाया गया है.

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ग्राम विकास बैंक के एमडी को पांच साल का कारावास


30 जून, 2017 को एसबीआई के एसपी गुरदीप सिह ग्रेवाल ने अदालत को बताया था कि इस मामले में पूर्व प्रशासक व रिटायर आईएएस अफसर अमल कुमार वर्मा के खिलाफ भी आरोप पत्र अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजा गया है. विवेचक ग्रेवाल ने अपने पत्र में कहा था कि इस मामले की अग्रिम विवेचना के दौरान उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक के पूर्व प्रशासक अमल कुमार वर्मा के विरुद्ध भी आईपीसी की धारा 409 और120 बी के तहत अपराध का होना प्रमाणित है. लिहाजा अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी.

सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी के मुताबिक उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक का यह घोटाला पांच करोड़ 24 लाख एक हजार 738 रुपए का था.जिसमें सीधी भर्ती के जरिए कर्मियोंका चयन करने, प्रोन्नतियां करने तथा जिला सहकारी बैंक के कर्मी को उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड, लखनऊ की सेवा में शामिल करना शामिल है. इसके साथ ही बैंक के जनपदीय कार्यालयों में इंटरनेट युक्त कम्प्यूटर व विदेश यात्रा के संबध में भी भारी धनराशि का अपव्यय किया गया.

 

ग्राम्य विकास बैंक के एमडी को पांच साल का कारावास
सह-अभियुक्त को भी चार साल कारावास की सजा
उत्तर प्रदेश ग्राम्य सहकारी विकास बैंक में करोड़ों के घोटाले का मामला
विधि संवाददाता

लखनऊ। विशेष अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड में हुए करोड़ों के घोटाला मामले में प्रबंध निदेशक नवल किशोर को पांच साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उन पर 31 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोंका है। कोर्ट ने इस मामले में ठेकेदार विनोद गुप्ता को चार साल की सजा व सात हजार के जुर्माने से दंडित किया है।

27 मार्च को नवल किशोर को आईपीसी की धारा 420, 384, 409, 467, 468, 471120बी के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं व साथ ही ठेकेदार विनोद गुप्ता को आईपीसी की धारा 420, 384120बी में कोर्ट ने दोषी करार दिया गया था।

विशेष एडीजे अनिल कुमार शुक्ल ने अपने आदेश में कहा है कि नवल किशोर ने यह अपराध एक लोकसेवक के रुप में कार्य करते हुए किया है। जबकि ठेकेदार विनोद गुप्ता भ्रष्टाचार के मामले में नवल किशोर के साथ शामिल रहा है। उन्होंने अपने आदेश में यह भी कहा है कि भ्रष्टाचार का यह अपराध सहकारिता विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव की साजिश से प्रमाणित पाया गया है।

उल्लेखनीय है कि 30 जून, 2017 को एसआईबी के एसपी गुरदीप सिह ग्रेवाल ने अदालत को बताया था कि इस मामले में पूर्व प्रशासक व रिटायर आईएएस अफसर अमल कुमार वर्मा के खिलाफ भी आरोप पत्र अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजा गया है। विवेचक ग्रेवाल ने अपने पत्र में कहा था कि इस मामले की अग्रिम विवेचना के दौरान उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के पूर्व प्रशासक अमल कुमार वर्मा के विरुद्ध भी आईपीसी की धारा 409120 बी के तहत अपराध का होना प्रमाणित है। लिहाजा अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

11 जनवरी, 2013 को उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड के महाप्रबंधक (प्रशासन)  आलोक दीक्षित ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी। 10 जुलाई, 2013 को एसआईबी ने बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक नवल किशोर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। साथ ही यह भी कहा कि विवेचना अभी जारी है। इसके बाद दो जनवरी, 2014 को दाखिल आरोप पत्र में एसआईबी ने ठेकेदार विनोद गुप्ता व इसकी पत्नी सीता गुप्ता को भी आरोपी बनाया। 22 जनवरी, 2014 को एसआईबी ने नवल किशोर के खिलाफ एक और आरोप पत्र दाखिल किया। अदालत ने सीता गुप्ता को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी के मुताबिक उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक का यह घोटाला पांच करोड़ 24 लाख एक हजार 738 रुपए का था।  जिसमें सीधी भर्ती के जरिए कार्मिकों का चयन करने, प्रोन्नतियां करने तथा जिला सहकारी बैंक के कर्मी को उप्र सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड, लखनऊ की सेवा में शामिल करना शामिल है। इसके साथ ही बैंक के जनपदीय कार्यालयों में इंटरनेट युक्त कम्प्यूटर व विदेश यात्रा के संबध में भी भारी धनराशि का अपव्यय किया गया। नाबार्ड की वित्तीय स्वीकृति प्राप्त किए बगैर बैंक में कम्प्यूटर लैब स्थापित किया गया। बैंक की आय उसके व्यय से कम होते हुए भी वीआईपी गेस्ट हाउस की साज-सज्जा व बैंक भवन का पर्दा बदलने में भी भारी-भरकम धनराशि खर्च की गई। सुरक्षा गार्डो को न सिर्फ आवास पर तैनात किया गया बल्कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें पुनः उन्हीं दरों पर फिर से नियुक्त भी किया गया।


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Chandan Srivastava
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