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केजीएमयू में अल्ट्रासोनिक्स विधि से भी होगा री रूट कैनाल ट्रीटमेंट, मरीज की तकलीफ होगी दूर

सोमवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के दंत संकाय के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एंडोडोंटिक्स विभाग में अल्ट्रासोनिक इन एंडोडोंटिक्स तकनीक पर एक दिन की कार्यशाला एवं प्रशिक्षण वर्कशॉप आयोजित हुई. कार्यशाला में विशेषज्ञ डॉ. विवेक हेगडे, उप प्रचार्य, एमए रंगूनवाला डेंटल कॉलेज पुणे को आमंत्रित किया गया.

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Published : Oct 31, 2022, 8:25 PM IST

लखनऊ. अगर आपने एक बार रूट कैनाल ट्रीटमेंट कराया है, उसके बावजूद भी आपका दांत दर्द हो रहा है और खाने पीने में तकलीफ हो रही है तो आप केजीएमयू में अल्ट्रासोनिक विधि द्वारा ट्रीटमेंट करवा सकते हैं. इससे मरीज के दातों की सफाई अच्छे से हो जाएगी. सोमवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के दंत संकाय के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एंडोडोंटिक्स विभाग में अल्ट्रासोनिक इन एंडोडोंटिक्स तकनीक पर एक दिन की कार्यशाला एवं प्रशिक्षण वर्कशॉप आयोजित हुई.

कार्यशाला में विद्या के विशेषज्ञ डॉ. विवेक हेगडे, उप प्रचार्य, एमए रंगूनवाला डेंटल कॉलेज पुणे को आमंत्रित किया गया. इस कार्यशाला का उद्घाटन किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी तथा विभागाध्यक्ष एवं संकाय के डीन प्रो. एपी टिक्कू ने किया. इस दौरान कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने विभाग के प्रयासों की सराहना की और व्यावहारिक प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया, ताकि डेंटल छात्र और भावी एंडोडोंटिक्स अपने क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले नवीनतम गैजेट्स और उपकरणों से भलीभांति परिचित हो सकें.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

इस मौके पर कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एंडोडोंटिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष एवं डीन प्रो. एपी टिक्कू ने बताया कि इस प्रक्रिया द्वारा माइक्रोस्कोप एवं अल्ट्रासोनिक की मदद से दांतों का रूट कैनाल ट्रीटमेंट एवं री ट्रीटमेंट बेहद आसानी से किया जा सकता है. जोकि एंडोडोंटिक्स विद्या में बेहद अहम है. विभाग का प्रयास है कि इस तकनीकि प्रशिक्षण से ज्यादा से ज्यादा डेन्टिस्ट प्रशिक्षित हो सकें. विभाग में पहले से ही माइक्रोस्कोप तथा अल्ट्रासोनिक उपलब्ध है और इसका प्रयोग नियमित रूप से किया जा रहा है.

वरिष्ठ डेंटिस्ट डॉ. रमेश भारती ने बताया कि इस विधि के द्वारा जिन मरीजों के दातों में तकलीफ है उसको दूर किया जा सकता है. हालांकि यह कोई नई विधि नहीं है. हमेशा से यह विधि चली आ रही है, लेकिन इस बार गंभीरता से इस विधि पर कार्यशाला आयोजित हो रही है ताकि जो हमारे नए डॉक्टर वह इस विधा को भी जानें और मरीज का बेहतर इलाज करें. इस कार्यशाला में लखनऊ और अन्य जगहों से लगभग 75 प्रतिभागियों ने भाग लिया. इस दौरान विभाग के अध्यापक प्रो. प्रोमिला वर्मा, डॉ. रिम, डॉ. विजय कुमार शाक्या, डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय, डॉ. निशी सिंह और अन्य डेंटल कालेजों के विभागाध्यक्ष एवं अध्यापक मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें : एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने बनाया हर्बल लिक्विड सिंदूर, महिलाओं को इंफेक्शन व एलर्जी से मिलेगी निजात

लखनऊ. अगर आपने एक बार रूट कैनाल ट्रीटमेंट कराया है, उसके बावजूद भी आपका दांत दर्द हो रहा है और खाने पीने में तकलीफ हो रही है तो आप केजीएमयू में अल्ट्रासोनिक विधि द्वारा ट्रीटमेंट करवा सकते हैं. इससे मरीज के दातों की सफाई अच्छे से हो जाएगी. सोमवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के दंत संकाय के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एंडोडोंटिक्स विभाग में अल्ट्रासोनिक इन एंडोडोंटिक्स तकनीक पर एक दिन की कार्यशाला एवं प्रशिक्षण वर्कशॉप आयोजित हुई.

कार्यशाला में विद्या के विशेषज्ञ डॉ. विवेक हेगडे, उप प्रचार्य, एमए रंगूनवाला डेंटल कॉलेज पुणे को आमंत्रित किया गया. इस कार्यशाला का उद्घाटन किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी तथा विभागाध्यक्ष एवं संकाय के डीन प्रो. एपी टिक्कू ने किया. इस दौरान कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने विभाग के प्रयासों की सराहना की और व्यावहारिक प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया, ताकि डेंटल छात्र और भावी एंडोडोंटिक्स अपने क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले नवीनतम गैजेट्स और उपकरणों से भलीभांति परिचित हो सकें.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

इस मौके पर कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एवं एंडोडोंटिक्स विभाग के विभागाध्यक्ष एवं डीन प्रो. एपी टिक्कू ने बताया कि इस प्रक्रिया द्वारा माइक्रोस्कोप एवं अल्ट्रासोनिक की मदद से दांतों का रूट कैनाल ट्रीटमेंट एवं री ट्रीटमेंट बेहद आसानी से किया जा सकता है. जोकि एंडोडोंटिक्स विद्या में बेहद अहम है. विभाग का प्रयास है कि इस तकनीकि प्रशिक्षण से ज्यादा से ज्यादा डेन्टिस्ट प्रशिक्षित हो सकें. विभाग में पहले से ही माइक्रोस्कोप तथा अल्ट्रासोनिक उपलब्ध है और इसका प्रयोग नियमित रूप से किया जा रहा है.

वरिष्ठ डेंटिस्ट डॉ. रमेश भारती ने बताया कि इस विधि के द्वारा जिन मरीजों के दातों में तकलीफ है उसको दूर किया जा सकता है. हालांकि यह कोई नई विधि नहीं है. हमेशा से यह विधि चली आ रही है, लेकिन इस बार गंभीरता से इस विधि पर कार्यशाला आयोजित हो रही है ताकि जो हमारे नए डॉक्टर वह इस विधा को भी जानें और मरीज का बेहतर इलाज करें. इस कार्यशाला में लखनऊ और अन्य जगहों से लगभग 75 प्रतिभागियों ने भाग लिया. इस दौरान विभाग के अध्यापक प्रो. प्रोमिला वर्मा, डॉ. रिम, डॉ. विजय कुमार शाक्या, डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय, डॉ. निशी सिंह और अन्य डेंटल कालेजों के विभागाध्यक्ष एवं अध्यापक मौजूद रहे.

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