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हरियाणा चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री, गुरुग्राम डीएलएफ लैंड डील केस में रद्द होगा स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी का लाइसेंस !

हरियाणा विधानसभा चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री हो चुकी है. अब हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग बोर्ड उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राईवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस रद्द करने की तैयारी में है.

हरियाणा चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री
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Published : Sep 20, 2019, 12:22 PM IST

चंडीगढ़ः हरियाणा के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री हो गई है. उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राईवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस जल्द ही रद्द हो सकता है. इसकी पूरी तैयारी भी हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग बोर्ड कर चुका है.

हरियाणा चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री.

क्या है ताजा अपडेट ?
इस केस में ताजा अपडेट यह है कि हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग बोर्ड रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राईवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस रद्द करने की तैयारी में है. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के डीजी केएम पांडुरंग के मुताबिक जमीन ट्रांसफर करने के दौरान रेवेन्यू रिकॉर्ड में कुछ कमियां पाई गई थीं, जिस पर विभाग की तरफ से कंपनी को क्लेरिफाई करने को कहा गया है. लेकिन फिलहाल कमर्शियल लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया चल रही है. स्काइलाइट प्राइवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस डीएलएफ को ट्रांसफर हुआ था. लेकिन इसमें जमीन के टाइटल की कुछ दिक्कतें थीं. लाइसेंस को कैंसिल करने का प्रावधान एक्ट-1975 में है और प्रोसीजर को फॉलो करके आगे की कार्रवाई की जाएगी. जमीन के टाइटल में अनियमितताएं हैं और रेवेन्यू रिपोर्ट में भी खामियां हैं.

क्या है मामला ?
दरअसल ये मामला 2008 का है. जब रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी ने 2008 में गुरुग्राम की शिकोहपुर तहसील में मौजूद खसरा नंबर 730 की पांच बीघा 13 बिसवा जमीन (यानि लगभग साढ़े तीन एकड़) ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से फर्जी कागजात के आधार पर खरीदी थी. जमीन का सौदा साढ़े सात करोड़ में दिखाया गया. रजिस्ट्री में कॉरपोरेशन बैंक के चेक से भुगतान दिखाया गया. इसके बाद वाड्रा ने तत्कालीन हरियाणा सरकार से जमीन पर कॉलोनी बनाने का लाइसेंस लेकर, 2008 में ही उसे 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेच दिया. चकबंदी महानिदेशक पद पर रहते हुए अशोक खेमका की 21 मई 2013 को दी रिपोर्ट के मुताबिक जांच में पता चला कि जमीन खरीदने के लिए वाड्रा ने साढ़े 7 करोड़ रुपये की कोई पेमेंट की ही नहीं थी. रिपोर्ट में आरोप है कि वाड्रा ने 50 करोड़ रुपये लेकर डीएलएफ को सस्ते में लाइसेंसशुदा जमीन दिलवाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका अदा की थी.

विधानसभा चुनाव में गूंजेगा वाड्रा का मुद्दा !
हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा का मुद्दा चुनाव में गूंजना लाज़मी है. हरियाणा सरकार पहले से ही वाड्रा को लेकर कांग्रेस पर हमलावर रहती है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर वाड्रा की मदद करने का आरोप है. इसलिए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए कांग्रेस को घेरने का ये बड़ा हथियार साबित हो सकता है.

ये भी पढ़ेः नायब तहसीलदार पेपर लीक कांड: जेल जाने के बाद भी नहीं हुई मुख्य आरोपी पर कार्रवाई, फिर बना प्रधानाचार्य

अनिल विज ने क्या कहा ?
हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि कहीं भी जो गड़बड़ियां हुई होती हैं या चल रही होती हैं उन्हें दुरुस्त करना सरकार का काम होता है और इस मामले की प्रक्रिया अभी चल रही है. क्योंकि उसमें कई अनियमितताएं हुई थी तो सरकार उन पर विचार कर रही है.

चंडीगढ़ः हरियाणा के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री हो गई है. उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राईवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस जल्द ही रद्द हो सकता है. इसकी पूरी तैयारी भी हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग बोर्ड कर चुका है.

हरियाणा चुनाव में रॉबर्ट वाड्रा की एंट्री.

क्या है ताजा अपडेट ?
इस केस में ताजा अपडेट यह है कि हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग बोर्ड रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राईवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस रद्द करने की तैयारी में है. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के डीजी केएम पांडुरंग के मुताबिक जमीन ट्रांसफर करने के दौरान रेवेन्यू रिकॉर्ड में कुछ कमियां पाई गई थीं, जिस पर विभाग की तरफ से कंपनी को क्लेरिफाई करने को कहा गया है. लेकिन फिलहाल कमर्शियल लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया चल रही है. स्काइलाइट प्राइवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस डीएलएफ को ट्रांसफर हुआ था. लेकिन इसमें जमीन के टाइटल की कुछ दिक्कतें थीं. लाइसेंस को कैंसिल करने का प्रावधान एक्ट-1975 में है और प्रोसीजर को फॉलो करके आगे की कार्रवाई की जाएगी. जमीन के टाइटल में अनियमितताएं हैं और रेवेन्यू रिपोर्ट में भी खामियां हैं.

क्या है मामला ?
दरअसल ये मामला 2008 का है. जब रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी ने 2008 में गुरुग्राम की शिकोहपुर तहसील में मौजूद खसरा नंबर 730 की पांच बीघा 13 बिसवा जमीन (यानि लगभग साढ़े तीन एकड़) ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से फर्जी कागजात के आधार पर खरीदी थी. जमीन का सौदा साढ़े सात करोड़ में दिखाया गया. रजिस्ट्री में कॉरपोरेशन बैंक के चेक से भुगतान दिखाया गया. इसके बाद वाड्रा ने तत्कालीन हरियाणा सरकार से जमीन पर कॉलोनी बनाने का लाइसेंस लेकर, 2008 में ही उसे 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेच दिया. चकबंदी महानिदेशक पद पर रहते हुए अशोक खेमका की 21 मई 2013 को दी रिपोर्ट के मुताबिक जांच में पता चला कि जमीन खरीदने के लिए वाड्रा ने साढ़े 7 करोड़ रुपये की कोई पेमेंट की ही नहीं थी. रिपोर्ट में आरोप है कि वाड्रा ने 50 करोड़ रुपये लेकर डीएलएफ को सस्ते में लाइसेंसशुदा जमीन दिलवाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका अदा की थी.

विधानसभा चुनाव में गूंजेगा वाड्रा का मुद्दा !
हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा का मुद्दा चुनाव में गूंजना लाज़मी है. हरियाणा सरकार पहले से ही वाड्रा को लेकर कांग्रेस पर हमलावर रहती है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर वाड्रा की मदद करने का आरोप है. इसलिए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए कांग्रेस को घेरने का ये बड़ा हथियार साबित हो सकता है.

ये भी पढ़ेः नायब तहसीलदार पेपर लीक कांड: जेल जाने के बाद भी नहीं हुई मुख्य आरोपी पर कार्रवाई, फिर बना प्रधानाचार्य

अनिल विज ने क्या कहा ?
हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि कहीं भी जो गड़बड़ियां हुई होती हैं या चल रही होती हैं उन्हें दुरुस्त करना सरकार का काम होता है और इस मामले की प्रक्रिया अभी चल रही है. क्योंकि उसमें कई अनियमितताएं हुई थी तो सरकार उन पर विचार कर रही है.

Intro:एंकर -
हरियाणा में विधान सभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में रॉबर्ट वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामला चर्चा में आ गया है । हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को 2008 में दिया गया रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस यानी कॉलोनाइजेशन लाइसेंस कैंसिल करने की तैयारी कर रहा है । रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को गुरुग्राम ने 3.53 एकड़ जमीन 7.50 करोड़ की कीमत पर कॉलोनी डेवेलप करने के लिए दी गई थी हरियाणा सरकार की तरफ से इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन को कमर्शियल कॉलोनी के तौर पर डबल करने की परमिशन देते हुए लाइसेंस रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को दिया था , लेकिन कॉलोनी डबल करने की बजाय 2012 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने 58 करोड़ में इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था । दरसहल जमीन ट्रांसफर करने के दौरान रेवेन्यू रिकॉर्ड में कुछ कमियां पाई गई थी जिसपर विभाग की तरफ से कंपनी को क्लेरिफाई करने को कहा है । फिलहाल कमर्शियल लाइसेंस रद्द करने की प्रकिया चल रही है । टाउन एन्ड कंट्री प्लाइनिंग विभाग के डीजी के एम पांडुरंग ने बताया कि इस मामले में लाइसेंस रद्द करने की अभी प्रक्रिया देख रहे है । स्काइलाइट प्राइवेट लिमिटेड का कमर्शियल लाइसेंस डीएलएफ को ट्रांसफर हुआ था लेकिन इसमें जमीन के टाइटल के ईशु आए थे । टाइटल के मामले में नोटिस दिया गया है उसके जवाब आए हैं उनको एक शामिल किया जा रहा है । लाइसेंस के कैंसिल करने का प्रावधान एक्ट 1975 में है और प्रोसीजर को फॉलो करके आगे की कार्रवाई की जाएगी । जमीन के टाइटल में अनियमितताएं हैं जिसमें रेवेन्यू रिपोर्ट में भी खामियां हैं ।


Body:वीओ -
हरियाणा सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को कॉलोनी डबल करने के लिए दिए गए लाइसेंस को कैंसिल करने के लिए तमाम जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली है । हरियाणा टाउन एन्ड कंट्री प्लाइनिंग विभाग के डीजी के एम पांडुरंग ने बताया कि लाइसेंस डीएलएफ को ट्रांसफर हुआ था । जब जमीन ट्रांसफर होती है तो रेवेन्यू रिकॉर्ड होता हैं जिसमे कुछ कमियां है । जिसको उन्हें क्लेरिफाई करने को कहा है । उन्होंने बताया कि इसमें टाइटल के कुछ इशू सामने आए थे । जिसको लेकर इनको नोटिस जारी किया है जिसका जवाब आया है । लाइसेंस के कैंसिल करने का प्रावधान एक्ट 1975 में है और प्रोसीजर को फॉलो करके आगे की कार्रवाई कर रहे है ।
बाइट - के एम पांडुरंग , डीजी , टाउन एन्ड कंट्री प्लाइनिंग विभाग


Conclusion:हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को 2008 में दिया गया रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस यानी कॉलोनाइजेशन लाइसेंस कैंसिल करने की तैयारी कर रहा है । रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को गुरुग्राम ने 3.53 एकड़ जमीन 7.50 करोड़ की कीमत पर कॉलोनी डेवेलप करने के लिए दी गई थी हरियाणा सरकार की तरफ से इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन को कमर्शियल कॉलोनी के तौर पर डबल करने की परमिशन देते हुए लाइसेंस रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को दिया था , लेकिन कॉलोनी डबल करने की बजाय 2012 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने बड़ा मुनाफा कमाते हुए 58 करोड़ में इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था । हरियाणा सरकार से कम दाम पर मिले इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेचकर रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने करोड़ों का मुनाफा कमाया था । हरियाणा सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को कॉलोनी डबल करने के लिए दिए गए लाइसेंस को कैंसिल करने के लिए तमाम जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली है । दरअसल रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने 18 सितंबर 2012 को सेल डीड के जरिए जमीन को तो डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था लेकिन विभाग ने लाइसेंस को ट्रांसफर करने की फाइल को परमिशन नहीं दी थी । 2012 से लेकर अब तक डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड रिनुअल फीस रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की भर रही है लेकिन अधिकारिक तौर पर लाइसेंस को अब तक ट्रांसफर नहीं किया गया है ।
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