लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ने के बाद नो बस ऑपरेशन का निर्देश जारी किया. पहले 21 दिन और फिर 19 दिन लॉकडाउन बढ़ने से रोडवेज को हर रोज ₹15 करोड़ का नुकसान हो रहा है. अगर 3 मई को लॉकडाउन समाप्त हो भी जाता है फिर भी तब तक परिवहन निगम को 615 करोड़ रुपए का सीधा घाटा उठाना होगा.
कोरोना के चलते देश भर में लॉकडाउन होने से रोडवेज बसों के भी पहिए थम गए हैं. बसें रूट पर रवाना होने के बजाय वर्कशॉप और बस स्टेशनों पर खड़ी हैं. जब रोडवेज का पहिया घूम नहीं रहा है तो रोडवेज को भारी घाटा हो रहा है. रोडवेज के अधिकारियों की मानें तो कुल 40 दिन के लॉकडाउन में रोडवेज को ₹615 करोड रुपये का नुकसान होगा.
अधिकारियों का कहना है कि 3 मई को लॉकडाउन अगर आगे बढ़ता है तो दिक्कतें काफी बढ़ जाएंगी. परिवहन निगम के एमडी डॉ राज शेखर बताते हैं कि कोरोना से लॉकडाउन में भी जिला प्रशासन की तरफ से अगर आपातकालीन सेवाओं के लिए बसें मांगी जाती हैं तो बसें उपलब्ध करा दी जाएंगी. रोडवेज के अधिकारी मानते हैं कि 21 दिनों के लॉकडाउन से ज्यादा 19 के बढ़ाए गए लॉकडाउन से रोडवेज को नुकसान होगा. पहले 21 दिनों में कुछ बसें चलाई गई थी, जिससे घाटा थोड़ा कम हुआ था, लेकिन अब पूरी तरह से बसें बंद हैं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में रोडवेज बस से हर रोज तकरीबन 17 लाख पैसेंजर यात्रा करते हैं. इन यात्रियों से रोडवेज को प्रतिदिन 14 से 15 करोड़ रुपये मिलते हैं. इनमें से 30 फीसदी पैसा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है. अब लॉकडाउन में रोडवेज की कमाई तो बिल्कुल बंद है. ऐसे में अप्रैल माह का वेतन बांटना भी परिवहन निगम के लिए काफी मुश्किल हो सकता है.