लखनऊ: चुनाव आयोग ने भले ही राष्ट्रीय लोकदल का क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया हो, लेकिन निकाय चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय लोकदल को बड़ी राहत दी है. आयोग ने पार्टी का हैंडपंप सिंबल बरकरार रखा है. अब निकाय चुनाव में रालोद के प्रत्याशी इसी सिंबल पर चुनाव लड़ सकेंगे. रालोद नेताओं का कहना है कि सिंबल न बदलने से निश्चित तौर पर पार्टी को काफी राहत मिली है. इससे जनता को बताने की आवश्यकता नहीं होगी कि रालोद का चुनाव निशान क्या है. अगर चुनाव निशान बदलता है तो दिक्कतें खड़ी होतीं.
राज्य निर्वाचन आयोग ने आरएलडी को चुनाव लड़ने की इजाज़त दी है.आरएलडी का राज्य निर्वाचन में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार है. बता दें कि हाल ही में चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा समाप्त कर दिया था जबकि आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था. इसके साथ ही राष्ट्रीय लोकदल का क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा भी चुनाव आयोग ने समाप्त कर दिया था जिसके बाद आरएलडी को उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव से पहले इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा था.
पार्टी के नेता और कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में पड़ गए थे कि अगर पार्टी का चुनाव चिन्ह बदला तो प्रत्याशियों के सामने बड़ी दिक्कत खड़ी होगी, लेकिन अब राज्य निर्वाचन आयोग ने आरएलडी का चुनाव चिन्ह बरकरार रख बड़ी राहत दे दी है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव के लिए राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी मैदान में उतारेगी. पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हुआ था जिसका लाभ दोनों ही पार्टियों को मिला था. राष्ट्रीय लोक दल इस चुनाव में आठ प्रत्याशी जिताने में सफल हुई थी, जबकि खतौली में उपचुनाव हुआ तो यह प्रत्याशी भी राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर ही चुनाव जीता. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के विधायक हैं.