लखनऊ. प्रचार का समय समाप्त होने के बावजूद आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए प्रचार करने की आरोपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी समेत पांच अभियुक्तों को कोर्ट ने दोषी ठहराया है. एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने सजा के तौर पर सभी दोषियों को छह महीने परिवीक्षा में रहने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए कहा कि सभी आरोपी छह माह की साधारण परिवक्षा पर अच्छा चाल-चलन बनाए रखने के लिए जिला परिवीक्षा अधिकारी के समक्ष जाकर 20-20 हज़ार रुपये की दो जमानतें और इतनी ही धनराशि का व्यक्तिगत मुचलका दाखिल करेंगे. कोर्ट ने रीता बहुगुणा जोशी, मनोज चौरसिया, राम सिंह, संजय यादव और प्रभा श्रीवास्तव को आदेश दिया कि वह 30 दिनों के अंदर ज़िला परिवीक्षा अधिकारी के सामने हाज़िर हों. कोर्ट ने अपने आदेश की एक प्रति आवश्यक कार्यवाही के लिए ज़िला परिवीक्षा अधिकारी को भेजने का आदेश देते हुए सभी आरोपियों को चेतावनी भी देते हुए अपने आदेश में कहा है कि यदि शर्तों का उल्लंघन किया गया तो आरोपियों को पुनः कोर्ट में तलब करके दंड के प्रश्न पर सुना जाएगा.
मामले की एफआईआर 10 फरवरी 2012 को विधान सभा चुनाव की उड़न दस्ता प्रभारी अनुपम पांडेय ने थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी. एफआईआर के मुताबिक रीता बहुगुणा जोशी व अन्य अभियुक्त गीतापल्ली इलाके में 20-25 वाहनों के काफिले के साथ चुनाव प्रचार कर रहे थे. चुनाव आचार संहिता का उल्लघंन करते हुए इस काफिले में लाउडस्पीकर व बैनर का भी इस्तेमाल किया गया था. मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक आरोपी शकील अहमद की मृत्यु हो गई, लिहाजा अन्य के खिलाफ सुनवाई हुई.
इस मामले में ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी से हुई बातचीत में रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि एक आचार संहिता का मामला था. 2012 में चुनाव लड़ी थी मैं. विधायक बनी तो उसमें आचार संहिता लगती है, हमारे ऊपर यह केस लगाया. उस समय बसपा सरकार थी. 10:00 बजे के बाद मीटिंग जारी रखने का चार्ज था मुझ पर. उसके बाद मुझे दोषी करार दे दिया. दोषी करार देने के बाद मुझको प्रोबेशन पर छोड़ा गया है. यानी वार्निंग देकर, एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया है और ₹20000 का पर्सनल बांड लिया है.