लखनऊ : सेना के अधिकारी भले ही भर्तियों में धांधली और ठगी न होने को लेकर लाख दावे करते हों, हमेशा भर्ती में ट्रांसपेरेंसी की बात करते हों, लेकिन हकीकत यही है कि सेना में भर्ती होने वाले युवाओं की ख्वाहिश पर जालसाज पानी फेर रहे हैं. उन्हें ठगी का शिकार बना रहे हैं. शायद ही कोई भर्ती ऐसी हो रही हो जिसमें युवा ठगी का शिकार न होते हों. सेना भर्ती के नाम पर ठगी के इस गिरोह को सेना के जवान ही मदद पहुंचाते हैं. जिससे इनका नेटवर्क और मजबूत हो रहा है. देशभर में यह नेटवर्क सेना में भर्ती कराने के नाम पर अच्छा-खासा पैसा युवाओं से ठग लेता है.
हाल में कर्नल की वर्दी पहनकर सेना से रिटायर और सेना में कार्यरत रामबरन और अमित कुमार ने ठगी कर डाली. सेना के जवानों की मदद से नौकरी का झांसा देकर युवाओं को ठगा जा रहा है. अब तक हुई तमाम सेना भर्तियों में सामने आया है कि सेना के जवानों के सहारे ही ठगी को अंजाम दिया जा रहा है. सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर धन उगाही करने वाले भारतीय सेना में तैनात सिपाही व भूतपूर्व सैनिक सहित गिरोह के चार सदस्यों को हाल ही में एसटीएफ और मिलिट्री इन्टेलीजेन्स की संयुक्त टीम ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था.
एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना के भूत पूर्व सैनिक अमित कुमार सिंह, भारतीय सेना का फर्जी कमांडो शुभम पेटल उर्फ कुनाल, भारतीय सेना नागालैंड में तैनात सिपाही रामबरन सिंह उर्फ राहुल और दिनेश कुमार को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों के पास से कूटरचित स्टैम्प, हाईस्कूल और इंटरमीडियट के शैक्षिक प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, अस्सिटेन्ट प्रश्न पत्र, कूटरचित सचिवालय कार्ड, भारतीय सेना का आईडी कार्ड मिला था. गिरफ्तार सेना के जवान रामबरन सिंह ने बताया था कि सेना में वर्ष 2015 में भर्ती हुआ था. सेना में युवाओं की भर्ती के नाम पर ठगी का जुर्म भी कबूला था.
इससे पहले बागपत में नगर की पट्टी चौधरान के रहने वाले रवि तोमर भी सेना के जवान जितेंद्र की ठगी का शिकार हुए थे. सेना के जवान जितेंद्र ने रवि के पिता सुनील तोमर से सेना में नौकरी लगवाने के नाम पर पैसे ऐंठ लिए. जितेंद्र के साथ मिंटू, जय हिंद और विकास भी बराबर के हिस्सेदार थे. रवि के पिता से सेना में नौकरी के लिए ढाई लाख रुपये जितेंद्र व मिंटू ने ठगे थे. इसके बाद भी ठगी का सिलसिला चलता रहा. रवि तोमर ने बताया कि 17.22 लाख रुपये आरोपियों के बैंक खाते में भेजे गए.
इसी तरह यूपी के मनोज कुमार को भी ठगी का शिकार बनाया गया था. उसे पठानकोट के 272 ट्रांजिट कैंप में 108 इन्फैंट्री बटालियन टीए (प्रादेशिक सेना) 'महार' के साथ तैनाती भी दे दी गई. सेना में आईडी और वर्दी के साथ चार माह की ट्रेनिंग संपन्न हुई. चार माह के बाद पता चला कि उसे कभी भर्ती ही नहीं किया गया था. इसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज हुई तो सामने आया कि ठगी को अंजाम दिया गया. सेना की तरफ से भी जानकारी दी गई कि मनोज कुमार पहले ही चार माह तक नौकरी कर चुके हैं. उन्हें 'नियुक्ति' के बाद साढ़े 12 हजार रुपये प्रति माह सेलरी भी मिली थी.
एसटीएफ एसएसपी विशाल विक्रम ने बताया कि बीते दिनों हमे लगातार शिकायते मिल रही थीं कि भारतीय सेना में भर्ती के नाम पर बेरोजगारों को एक गैंग ठग रहा है. हमने इस गैंग का भंडाफोड़ करने के लिए टीम का गठन किया था. मिलिट्री इंटीलेंजेंस की मदद लेकर इस गिरोह के छह लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा सबसे अधिक चौकाने वाली बात इसमें ये है कि गैंग के सरगना फौज के कुछ लोग थे. हमारी जांच जारी है और पकड़े गए आरोपियों की पूछताछ के आधार पर इस गैंग के अन्य लोगों की तलाश की जा रही है. एसएसपी कहते हैं कि ये कहना जल्दबाजी होगी कि सेना के और भी कई लोग इसमें शामिल हैं कि नहीं, लेकिन जो भी जालसाजी कर रहा है उसे बख्शा नहीं जाएगा.
राजनीतिक विश्लेषक मनीष हिंदवी का कहना है कि भारत युवा देश है. 60% आबादी 18 से 35 के बीच की है. बेरोजगारी चरम पर है. ऐसे मौके पर पूरा भारत एक काकस में फंस गया है. पद सारे बिक रहे, दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि सेना जिस पर हमारे पूरे देश की सीमाओं की जिम्मेदारी है और भारत का जियोपॉलिटिकल हिसाब किताब है कि उसके चारों तरफ जो पड़ोसी है उससे अच्छे संबंध नहीं हैं. चाहे चीन हो, पाकिस्तान हो, बांग्लादेश हो या फिर श्रीलंका से भी मतभेद उभर कर आ जाते हैं. हमें अपनी सीमाओं की सुरक्षा को बहुत ही बेहतर तरीके से मैनेज करना है. सरकार को बहुत सख्त कदम उठाने चाहिए और पूरे तंत्र को खत्म कर देना चाहिए. वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय का कहना है कि बहुत लंबे समय से ऐसा होता है कि जो सेना में भर्ती होने वाले युवा हैं वह पूरी तैयारी करते हैं, मेहनत करते हैं और कोई व्यक्ति उनको झांसे में ले लेता है. दरअसल आमतौर पर ये सोच हमारे अंदर घुस गई है कि सोर्स सिफारिश लगाकर पैसे देकर नौकरी ले सकते हैं. सेना में नौकरी भी उसी लपेटे में ले ली गई. सेना भर्ती में भी ठगी की घटना सुनने में आती है. एग्जामिनेशन के पर्चे लीक होने की बहुत बड़ी समस्या है. यह जो परिस्थिति है उसमें सेना भी उस दायरे में आ गई है. लोग सेना में नौकरी के नाम पर युवाओं को झांसे में ले लेते हैं. सेना बहुत क्लीयरली यह कहती है कि कि उनके यहां नियम कायदे हैं उसी से भर्ती होती है. इसमें जो सबसे इंपॉर्टेंट रोल है वह पॉलिटिकल सिस्टम का है. पॉलिटिकल पार्टियां युवाओं का वोट तो लेती है युवाओं के बारे में बातें तो लंबी-लंबी करती हैं, बड़े-बड़े दावे करेंगी, लेकिन बेसिक जानकारी देने के लिए कभी कोई मेहनत नहीं करतीं. अगर पॉलिटिकल पार्टियां युवाओं को थोड़ा जागरूक करें और सरकार की जो योजनाएं हों उसकी जानकारी युवाओं को दें तो इससे ठगी का शिकार होने से युवा बचेंगे.
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