लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए कहा है कि प्रांतीय चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के एलोपैथी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष कर दी गई है. जबकि होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा कैडर के डॉक्टरों के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र को अब तक 60 वर्ष ही रखा गया है. यह विधि के समक्ष समता के सिद्धांत का उल्लंघन है. न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ याचिका दाखिल करने वाले होम्योपैथिक डॉक्टर की सेवानिवृत्ति सम्बंधी आदेश को निरस्त कर दिया.
यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने डॉ. सुरेन्द्र प्रताप यादव की सेवा संबंधी याचिका पर पारित किया. याची द्वारा अपने सेवानिवृत्ति सम्बंधी 31 दिसम्बर 2021 के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया था कि वह होम्योपैथिक चिकित्सा सेवा कैडर से है और 60 वर्ष की उम्र पूरी होने पर उसे सेवानिवृत्त किया जा रहा है. जबकि प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के एलोपैथी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र 31 मई 2017 के अधिसूचना द्वारा 62 वर्ष कर दी गई है.
याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने अपने निर्णय में डॉ. राम नरेश शर्मा मामले में पारित निर्णय को उद्धत करते हुए कहा कि एलोपैथी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर जो प्रांतीय चिकित्सा सेवा से हैं. उनके सेवानिवृत्ति की उम्र को 62 वर्ष कर देना. जबकि होम्योपैथिक कैडर के डॉक्टर जो इलाज का एलोपैथी से अलग तरीका प्रयोग करते हैं. उन्हें यह लाभ न देना, संविधान में प्रदत्त समता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.