लखनऊ: राजधानी लखनऊ के जिला एवं सत्र न्यायालय के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज संदीप गुप्ता ने गबन के एक आपराधिक मामले में सेवानिवृत IAS तुलसी गौड़ की अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त के अपराध को प्रथम दृष्टया गंभीर करार दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मामला आर्थिक अपराध से सम्बंधित है. लिहाजा अग्रिम जमानत का आधार नहीं है.
6 साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं तुलसी गौड़
सरकारी वकील प्रभा वैश्य ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया. सरकारी वकील के मुताबिक उत्तर प्रदेश निर्यात निगम व उत्तर प्रदेश राज्य विकास व विपणन निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रहे. दरअसल तुलसी गौड़ पर 2001 में निर्यात निगम में तैनाती के दौरान भ्रष्टाचार का आरोप है. तुलसी गौड़ 6 साल पहले ही रिटायर हो चुके हैं.
पत्नी और बेटे की फर्म को वित्तीय लाभ पहुंचाने का आरोप
सेवानिवृत्त आईएएस तुलसी गौड़ पर अपने पद का दुरुपयोग कर अपनी पत्नी व बेटे के फर्म को करोड़ों रुपये का अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाने का आरोप है. मामले की एफआईआर 27 अप्रैल 2005 को थाना हजरतगंज में उत्तर प्रदेश सर्तकता अधिष्ठान के एक निरीक्षक ने दर्ज कराई थी. मामले की विवेचना के उपरांत अभियुक्त के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य व विशेषतः दस्तावेजी साक्ष्य संकलित किये गए थे. अभियोजन पक्ष का दावा है कि अभियुक्त ने उत्तर प्रदेश निर्यात निगम व उत्तर प्रदेश राज्य विकास व विपणन निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रहते हुए अपनी पत्नी व बेटे के फर्म को करोड़ों का वितीय लाभ पहुंचाया है.