लखनऊः उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का आरक्षण वर्ष 2015 के आधार पर लागू किया जाएगा. कोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार ने यह फैसला लिया है. सरकार ने कोर्ट में 2015 के आधार पर ही आरक्षण व्यवस्था लागू करने पर सहमति जताई थी. मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गई.
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11 फरवरी को जारी हुआ था शासनादेश
आपको बता दें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने के लिए वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर सीटों का आरक्षण लागू करने के आदेश दिए हैं. यह आदेश राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को दिए गए हैं. हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 25 मई तक पंचायत चुनाव कराए जाने हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को भी कोर्ट ने रद्द कर दिया है. इस शासनादेश को चुनौती दी गई थी. साथ ही आरक्षण लागू करने के रोटेशन के लिए वर्ष 1995 को आधार वर्ष मानने पर सवाल खड़ा किया गया था.
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वर्ष 2015 के आधार पर होगा आरक्षण
गत सोमवार को कोर्ट में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने सरकार का पक्ष रखते हुए यह माना था कि सरकार ने 1995 को मूलवर्ष मानकर गलती की है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू लागू करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है. सूत्रों के मुताबिक अब कोर्ट के उसी आदेश के क्रम में योगी कैबिनेट ने पंचायत चुनाव के आरक्षण को 2015 को आधार मानने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है. कोर्ट के आदेश के हिसाब से ही राज्य में पंचायत चुनाव कराए जाने हैं. इसके अलावा कुछ अन्य प्रस्तावों पर भी निर्णय हुआ है।