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केजीएमयू में शोध : पेट के कीड़ों की वजह से भी होता है माइग्रेन, मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट बढ़ा देते हैं सीवियर्टी - केजीएमयू में शोध

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा की गई एक स्टडी की में पाया गया है कि पेट में होने वाले कीड़े भी माइग्रेन का कारण होते हैं. आमतौर पर मरीज को इसका एहसास नहीं होता, लेकिन फीताकृमि (पेट के कीड़े) मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट्स माइग्रेन की सीवियर्टी को बढ़ा देते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 23, 2023, 10:26 AM IST

माइग्रेन के बारे में जानकारी देते डाॅ. रवि उनियाल.

लखनऊ : केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग में एक स्टडी की गई जिसमें यह पाया गया कि पेट में होने वाले कीड़े जब दिमाग में चले जाते हैं, उस समय मरीज की क्या स्थिति होती है. माइग्रेन से पीड़ित मरीज अस्पताल में आमतौर पर सिर दर्द की समस्या लेकर आते हैं, लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं होता है कि उनके मस्तिष्क में फीताकृमि पहुंच गए हैं. जिसकी वजह से सिर में अत्यधिक दर्द बना रहता है. विभाग में ऐसे मरीजों पर स्टडी किया गया कि क्या मरीज के मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट्स माइग्रेन की सीवियर्टी को बढ़ाते हैं.

केजीएमयू में माइग्रेन के बारे में हुआ शोध.
केजीएमयू में माइग्रेन के बारे में हुआ शोध.

मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट : केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. रवि उनियाल ने बताया कि आमतौर पर जो मरीज आते हैं वह बहुत ही नार्मल कैसे होते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ मरीजों में दिक्कतें बढ़ जाती है. दरअसल माइग्रेन की समस्या से पीड़ित मरीज जब अत्यधिक दर्द और पीड़ा की शिकायत के साथ विभाग में आते हैं तो उनका सिटी स्कैन कराया जाता है. बहुत से ऐसे मरीज हैं जिनका सिटी स्कैन कराया गया तो उनके मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट बने हुए थे. कुछ मरीजों की मस्तिष्क में यह डॉट बहुत अधिक देखने को मिले. इसके बाद हमने यह स्टडी किया कि क्या इस कैलशिफाइड डॉट्स का असर माइग्रेन पर पड़ता है.


जानें क्या होता है कैलशिफाइड डॉट : माइग्रेन एक ऐसी बीमारी है. जिसमें मरीज की चाहे कोई भी जांच कर लो चाहे वह एमआरआई हो या फिर सीटी स्कैन हो उसमें कोई भी कैलशिफाइड डॉट नहीं मिलनी चाहिए. माइग्रेन में मरीज को सिर्फ शोर शराबों से तकलीफ होती है. अत्यधिक तेज आवाज सुनने में समस्या हो सकती है. सिर में अत्यधिक दर्द हो सकता है इसके अलावा कोई और चीज काउंसिलिंग में नहीं निकालनी चाहिए. वहीं न्यूरो सिस्ट सरकोसिस है, वह फीताकृमि से होने वाली बीमारी है. फीताकृमी जब मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं तो वह दिक्कत करते हैं. ज्यादातर केस में इसकी वजह से मिर्गी के दौरे अत्यधिक सिर दर्द जैसी समस्या होती है. ज्यादातर लोगों में यह दिमाग में पहुंचे तो जाते हैं. कोई खास लक्षण सामने नहीं आते हैं. कृमि अपनी उम्र पूरी करके खत्म हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद मरीज के मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट्स बन जाते हैं. स्टडी में यह पाया गया कि कैलशिफाइड डॉट की वजह से माइग्रेन की सीवियर्टी बहुत अधिक हो जाती है. जिसकी वजह से मरीज को तमाम दिक्कत परेशानियां भी होती हैं.

यह भी पढ़ें : लापरवाह केजीएमयू: मरीज को था कैंसर, इलाज किया बोन टीबी का

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माइग्रेन के बारे में जानकारी देते डाॅ. रवि उनियाल.

लखनऊ : केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग में एक स्टडी की गई जिसमें यह पाया गया कि पेट में होने वाले कीड़े जब दिमाग में चले जाते हैं, उस समय मरीज की क्या स्थिति होती है. माइग्रेन से पीड़ित मरीज अस्पताल में आमतौर पर सिर दर्द की समस्या लेकर आते हैं, लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं होता है कि उनके मस्तिष्क में फीताकृमि पहुंच गए हैं. जिसकी वजह से सिर में अत्यधिक दर्द बना रहता है. विभाग में ऐसे मरीजों पर स्टडी किया गया कि क्या मरीज के मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट्स माइग्रेन की सीवियर्टी को बढ़ाते हैं.

केजीएमयू में माइग्रेन के बारे में हुआ शोध.
केजीएमयू में माइग्रेन के बारे में हुआ शोध.

मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट : केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. रवि उनियाल ने बताया कि आमतौर पर जो मरीज आते हैं वह बहुत ही नार्मल कैसे होते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ मरीजों में दिक्कतें बढ़ जाती है. दरअसल माइग्रेन की समस्या से पीड़ित मरीज जब अत्यधिक दर्द और पीड़ा की शिकायत के साथ विभाग में आते हैं तो उनका सिटी स्कैन कराया जाता है. बहुत से ऐसे मरीज हैं जिनका सिटी स्कैन कराया गया तो उनके मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट बने हुए थे. कुछ मरीजों की मस्तिष्क में यह डॉट बहुत अधिक देखने को मिले. इसके बाद हमने यह स्टडी किया कि क्या इस कैलशिफाइड डॉट्स का असर माइग्रेन पर पड़ता है.


जानें क्या होता है कैलशिफाइड डॉट : माइग्रेन एक ऐसी बीमारी है. जिसमें मरीज की चाहे कोई भी जांच कर लो चाहे वह एमआरआई हो या फिर सीटी स्कैन हो उसमें कोई भी कैलशिफाइड डॉट नहीं मिलनी चाहिए. माइग्रेन में मरीज को सिर्फ शोर शराबों से तकलीफ होती है. अत्यधिक तेज आवाज सुनने में समस्या हो सकती है. सिर में अत्यधिक दर्द हो सकता है इसके अलावा कोई और चीज काउंसिलिंग में नहीं निकालनी चाहिए. वहीं न्यूरो सिस्ट सरकोसिस है, वह फीताकृमि से होने वाली बीमारी है. फीताकृमी जब मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं तो वह दिक्कत करते हैं. ज्यादातर केस में इसकी वजह से मिर्गी के दौरे अत्यधिक सिर दर्द जैसी समस्या होती है. ज्यादातर लोगों में यह दिमाग में पहुंचे तो जाते हैं. कोई खास लक्षण सामने नहीं आते हैं. कृमि अपनी उम्र पूरी करके खत्म हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद मरीज के मस्तिष्क में कैलशिफाइड डॉट्स बन जाते हैं. स्टडी में यह पाया गया कि कैलशिफाइड डॉट की वजह से माइग्रेन की सीवियर्टी बहुत अधिक हो जाती है. जिसकी वजह से मरीज को तमाम दिक्कत परेशानियां भी होती हैं.

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