ETV Bharat / state

लखनऊ: रेड ब्रिगेड संस्था कर रही प्रवासी मजदूर परिवार की मदद

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रेड ब्रिगेड नामक संस्था प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए आगे बढ़कर आई है. इस संकट के काल में संस्था इन मजदूर परिवारों को खाना मुहैया करा रही है.

author img

By

Published : May 19, 2020, 7:32 PM IST

red brigade organization
रेड ब्रिगेड संस्था

लखनऊ: कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के लिए सरकार ने लॉक डाउन लागू किया है. इस लॉक डाउन के चलते दैनिक मजदूरी करने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर लोग खाने पीने को मोहताज हो गए हैं. जो लोग अपने गृह जनपदों को छोड़कर दूसरे जिलों में नौकरी करने पहुंचे थे, वह भी इन हालातों में अपने घर वापस जाने को मजबूर हैं. इस दौरान लोगों के पास खाने-पीने के भी संसाधन नहीं बचे हैं. ऐसे में जहां सरकार इनकी मदद कर रही है. वहीं तमाम समाजसेवी और संस्थाएं भी इनकी मदद में आगे आ रही हैं.

रेड ब्रिगेड संस्था प्रवासी मजदूरों के लिए आयी आगे.

ऐसी ही एक संस्था राजधानी लखनऊ में गरीब और जरूरतमंदों के लिए काम कर रही है. इस संस्था का नाम है रेड ब्रिगेड जिसने लखनऊ के 300 परिवारों को गोद ले रखा है, जिनके बच्चों को सुबह पौष्टिक आहार के तौर पर दलिया उपलब्ध कराते हैं. वहीं रात में खाना उपलब्ध कराते हैं. इसी के साथ ही इनकी पूरी टीम अपनी गाड़ियों में राशन और खाने का सामान रखकर पैदल और साइकिल से सफर करने वाले प्रवासी मजदूरों को भी खाना उपलब्ध करा रहे हैं. रेड ब्रिगेड संस्था ने इस संकट के समय 300 प्रवासी मजदूर के परिवार को खाना दे रही है.

रेड ब्रिगेड लखनऊ की प्रमुख उषा विश्वकर्मा ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद से ही लगातार संस्था की ओर से लोगों की मदद की जा रही है. उन्होंने 300 परिवार को गोद लिया है, जिनके बच्चों को दलिया और परिवार को खाना उपलब्ध कराया जाता है. अब तक लगभग 15 हजार बच्चों को वो दलिया उपलब्ध करा चुके हैं. वहीं 2400 परिवार को उनकी संस्था की ओर से राशन उपलब्ध कराया गया है. इस दौरान लोग बहुत संकट में हैं, क्योंकि भूख की मार मजदूरों को झेलनी पड़ रही है. भूख लोगों को तोड़ देती है, ऐसे में जब यह मजदूर अपने घर वापस जा रहे हैं, भूख इन पर हावी न हो इसलिए वे अपनी क्षमता के अनुसार इनकी मदद करने की कोशिश कर रही है.

"मेरी 4 साल की एक बच्ची है. जब मैं सड़कों पर छोटे-छोटे बच्चों को अपने मां-बाप के साथ पैदल सफर करते हुए देखती हूं और उसके बाद मैं अपनी बच्ची को देखती हूं तो मैं विचलित हो जाती हूं. सड़क पर मां बाप के साथ जाने वाले बच्चों के बारे में सोचते हुए मैंने फैसला लिया है कि मैं अपनी क्षमता अनुसार लोगों को खाना उपलब्ध कराने का काम करूंगी. इसके लिए फिर चाहे मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े. मुझे लोगों की मदद की प्रेरणा अपनी बेटी से मिलती है. या यूं कहें कि अपनी बेटी को देखकर मुझे दूसरे लोगों का दर्द समझ में आता है, क्योंकि जब मैं उसको देखती हूं तो मुझे महसूस होता है कि जो लोग अभाव में हैं, वो कितने मजबूर होंगे. यह कहना है रेड ब्रिगेड लखनऊ की वालंटियर मानसी का, जिनकी 5 साल की छोटी बच्ची 'भूमि' है. यह रेड ब्रिगेड के साथ मिलकर लगातार गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं.

लखनऊ: कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के लिए सरकार ने लॉक डाउन लागू किया है. इस लॉक डाउन के चलते दैनिक मजदूरी करने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर लोग खाने पीने को मोहताज हो गए हैं. जो लोग अपने गृह जनपदों को छोड़कर दूसरे जिलों में नौकरी करने पहुंचे थे, वह भी इन हालातों में अपने घर वापस जाने को मजबूर हैं. इस दौरान लोगों के पास खाने-पीने के भी संसाधन नहीं बचे हैं. ऐसे में जहां सरकार इनकी मदद कर रही है. वहीं तमाम समाजसेवी और संस्थाएं भी इनकी मदद में आगे आ रही हैं.

रेड ब्रिगेड संस्था प्रवासी मजदूरों के लिए आयी आगे.

ऐसी ही एक संस्था राजधानी लखनऊ में गरीब और जरूरतमंदों के लिए काम कर रही है. इस संस्था का नाम है रेड ब्रिगेड जिसने लखनऊ के 300 परिवारों को गोद ले रखा है, जिनके बच्चों को सुबह पौष्टिक आहार के तौर पर दलिया उपलब्ध कराते हैं. वहीं रात में खाना उपलब्ध कराते हैं. इसी के साथ ही इनकी पूरी टीम अपनी गाड़ियों में राशन और खाने का सामान रखकर पैदल और साइकिल से सफर करने वाले प्रवासी मजदूरों को भी खाना उपलब्ध करा रहे हैं. रेड ब्रिगेड संस्था ने इस संकट के समय 300 प्रवासी मजदूर के परिवार को खाना दे रही है.

रेड ब्रिगेड लखनऊ की प्रमुख उषा विश्वकर्मा ने बताया कि लॉकडाउन होने के बाद से ही लगातार संस्था की ओर से लोगों की मदद की जा रही है. उन्होंने 300 परिवार को गोद लिया है, जिनके बच्चों को दलिया और परिवार को खाना उपलब्ध कराया जाता है. अब तक लगभग 15 हजार बच्चों को वो दलिया उपलब्ध करा चुके हैं. वहीं 2400 परिवार को उनकी संस्था की ओर से राशन उपलब्ध कराया गया है. इस दौरान लोग बहुत संकट में हैं, क्योंकि भूख की मार मजदूरों को झेलनी पड़ रही है. भूख लोगों को तोड़ देती है, ऐसे में जब यह मजदूर अपने घर वापस जा रहे हैं, भूख इन पर हावी न हो इसलिए वे अपनी क्षमता के अनुसार इनकी मदद करने की कोशिश कर रही है.

"मेरी 4 साल की एक बच्ची है. जब मैं सड़कों पर छोटे-छोटे बच्चों को अपने मां-बाप के साथ पैदल सफर करते हुए देखती हूं और उसके बाद मैं अपनी बच्ची को देखती हूं तो मैं विचलित हो जाती हूं. सड़क पर मां बाप के साथ जाने वाले बच्चों के बारे में सोचते हुए मैंने फैसला लिया है कि मैं अपनी क्षमता अनुसार लोगों को खाना उपलब्ध कराने का काम करूंगी. इसके लिए फिर चाहे मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े. मुझे लोगों की मदद की प्रेरणा अपनी बेटी से मिलती है. या यूं कहें कि अपनी बेटी को देखकर मुझे दूसरे लोगों का दर्द समझ में आता है, क्योंकि जब मैं उसको देखती हूं तो मुझे महसूस होता है कि जो लोग अभाव में हैं, वो कितने मजबूर होंगे. यह कहना है रेड ब्रिगेड लखनऊ की वालंटियर मानसी का, जिनकी 5 साल की छोटी बच्ची 'भूमि' है. यह रेड ब्रिगेड के साथ मिलकर लगातार गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.