लखनऊ: विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर समाजवादी पार्टी हर स्तर पर अपनी रणनीति बेहतर करने पर ध्यान दे रही है. अखिलेश यादव जहां एक तरफ विजय रथ यात्रा लेकर चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंके हुए हैं, वहीं खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी के बागियों से ही पार्टी को बड़ा सियासी नुकसान विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है.
दरअसल, कई सीटों पर समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया और आखिर समय में जब टिकट नहीं मिला तो वह बागी बनकर चुनाव मैदान में उतर गए. कई नेता दूसरे दलों से टिकट लेकर समाजवादी पार्टी की सियासी राह रोकने का ही काम करने लगे हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी को कल तक अपने रहे नेताओं से ही चुनौती मिल रही है.
समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले फर्रुखाबाद की बात करें तो समाजवादी पार्टी से टिकट की जोरदार दावेदारी करने वाले महेंद्र कटियार को पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए. बसपा से वे चुनाव मैदान में उतर गए फर्रुखाबाद से और समाजवादी पार्टी ने सुमन शाक्य को अपना उम्मीदवार बनाया है. कल तक अपने रहे महेंद्र कटिहार से सुमन शाक्य को कड़ी टक्कर मिल रही है.
फर्रुखाबाद की ही अमृतपुर सीट की बात करें तो यहां से समाजवादी पार्टी ने जितेंद्र सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. 6 बार के विधायक पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव को इस बार अमृतपुर से समाजवादी पार्टी ने टिकट नहीं दिया, इससे नाराज नरेंद्र सिंह यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन कर दिया और समाजवादी पार्टी को सीधी टक्कर दे रहे हैं.
फर्रुखाबाद की कायमगंज सीट की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने इस बार सर्वेश अंबेडकर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है और वह चुनाव भी लड़ रहे हैं. जबकि पिछली बार चुनाव लड़ने वाली डॉ सुरभि को टिकट न मिलने से वह नाराज हुई. वह अपना दल भाजपा गठबंधन से चुनाव लड़ रही हैं. समाजवादी पार्टी को इस सीट पर भी कड़ी टक्कर मिल रही है.
फिरोजाबाद की बात करें तो यहां पर समाजवादी पार्टी ने शाहपुर रहमान को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि इस सीट से पूर्व विधायक अजीम खान भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इससे नाराज अजीम खान पत्नी शाजिया हसन को बसपा से चुनाव लड़ा रहे हैं. फिरोजाबाद की सिरसागंज सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक हरिओम यादव को टिकट नहीं मिला तो वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. समाजवादी पार्टी ने इस सीट से सर्वेश सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया था.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात करें तो मलिहाबाद से पूर्व विधायक इंदल रावत को समाजवादी पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया तो इससे नाराज होकर वह कांग्रेस पार्टी से चुनाव मैदान में हैं. जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां से सोनू कनौजिया को चुनाव मैदान में उतारा है.
सरोजिनी नगर सीट से पूर्व मंत्री व प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के करीबी नेता शारदा प्रताप शुक्ला को टिकट नहीं दिया गया और पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है.
इससे नाराज होकर शारदा प्रताप शुक्ला भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और भाजपा में शामिल होने से पहले उन्होंने अपना निर्दलीय नामांकन किया था. इस प्रकार उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों की तमाम सीटों पर समाजवादी पार्टी अपने ही बागियों से परेशान है और इससे समाजवादी पार्टी को बड़ा सियासी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि जो कल तक हमारे अपने थे वह आज टिकट न मिलने की वजह से दूसरे दलों से चुनाव मैदान में लड़ रहे हैं और इसे स्वाभाविक रूप से कुछ न कुछ नुकसान तो हमें उठाना ही पड़ सकता है. हालांकि, इस पर कोई भी नेता खुलकर नहीं बोल रहा है.
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समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि टिकट वितरण करना और किसे चुनाव मैदान में उतारना है यह सब राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय नेतृत्व के स्तर पर फैसले होते हैं. इस पर हम लोग कुछ नहीं कह सकते. हां यह जरूर है कि हम बेहतर चुनाव लड़ रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी की सरकार का उत्तर प्रदेश से जनता ने सफाया करने का मन बना लिया है. 10 मार्च को आने वाले रिजल्ट में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है.
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