लखनऊः राजधानी के ग्रामीण इलाकों में बने सरकारी अस्पतालों के हाल बेहाल हैं. वे न तो समय से खुल रहे हैं और न ही कोरोना जांच हो रही है. जिससे आम जनता को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल
ग्रामीण इलाकों में अस्पतालों की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं. ईटीवी भारत की टीम राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के तहत आने वाले निगोहा क्षेत्र में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आए लोगों से बात की. लोगों का कहना है कि अस्पताल में ओपीडी बंद होने की वजह से उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अगर कोई दवा लेने आता है, तो उसे काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है. इसके साथ ही अस्पतालों में दवाइयां भी उपलब्ध नहीं है. जो दवाइयां बताई जाती है. वो बाहर बाजारों में बने मेडिकल सेंटर में ही मिल पाती हैं.
वहीं बहुत से लोग अपनी कोरोना की जांच कराने भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे, जिन्हें निराशा ही हाथ लगी. दरअसल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना की जांच काफी समय से बंद चल रही है. जिसकी वजह से लोगों को करीब 18 से 20 किलोमीटर का सफर तय कर मोहनलालगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है.
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लोगों का कहना है कि अगर उन्हीं के क्षेत्र में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहले की तरह कोरोना की जांच शुरू कर दी जाए तो काफी सहूलियत मिलेगी. वहीं लोगों का कहना है कि बहुत से ऐसे ग्रामीण भी हैं जो साधन के अभाव के चलते मोहनलालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराने नहीं जा पा रहे हैं. वही संक्रमण की स्थिति भयावह बनी हुई है. जिसकी वजह से निगोहा क्षेत्र में भी कई लोगों ने अपनी जान गवा दी है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद डॉक्टर से ईटीवी की टीम ने जब बात की, तो उन्होंने बताया कि शुरुआती समय में कोरोना की जांच हो रही थी. लेकिन काफी समय से बंद चल रही है. दोबारा से कब ये जांच शुरू होगी. उन्हें भी नहीं पता. लगातार मरीजों के आने का सिलसिला जारी है. वहीं जिन मरीजों को अपनी कोरोना की जांच करानी होती है या सस्पेक्टेड पेशेंट की कैटेगरी में आने वाले लोगों को भी मोहनलालगंज के ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराने भेजा जाता है.
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एक तरफ जहां सरकार इस महामारी के दौर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दुरुस्त होने के दावे और वादे कर रही है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. अब ऐसे में देखने वाली बात होगी कि आखिर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य की व्यवस्थाएं कैसे दुरुस्त की जाती हैं.