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देखें, राजधानी के बलरामपुर अस्पताल का रियलिटी चेक

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Published : Dec 26, 2020, 9:28 AM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित बलरामपुर हॉस्पिटल में मिल रही स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य व्यवस्थाओं के बारे में जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल को रियलिटी चेक किया. इस दौरान कई लोग यहां की व्यवस्थाओं से काफी संतुष्ट दिखे. वहीं कई लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. देखें पूरी रिपोर्ट...

बलरामपुर अस्पताल
बलरामपुर अस्पताल

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना आसान नहीं है. हालांकि, अच्छे डॉक्टर होने के चलते लोग बलरामपुर अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं. बलरामपुर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने मरीजों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने व जांच कराने में लंबा समय लगता है. लेकिन अस्पताल में कम पैसे में बेहतर इलाज हो जाता है और यहां पर अच्छे डॉक्टर हैं, लिहाजा हम बलरामपुर अस्पताल में इलाज कराना बेहतर समझते हैं.

बलरामपुर अस्पताल का रियलिटी चेक.

बच्चे ने लगाए गंभीर आरोप

भले सस्ता इलाज और अच्छे डॉक्टर के चलते लोग बलरामपुर अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं की अनदेखी करते हों, लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में अपनी मां का इलाज करा रहे एक 14 वर्षीय लड़के मोहम्मद मारूफ ने बलरामपुर अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अशरफ ने बताया कि अस्पताल में वह अपनी मां का लंबे समय से इलाज करा रहा है. वह मजबूर है, पैसे के अभाव में उसे अपनी मां का इलाज यहां पर कराना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी छोटे-छोटे कामों के लिए अस्पताल का स्टाफ उससे पैसा मांगता है. यहां तक कमरे की सफाई करने, यूरिन बैग चेंज करने, स्ट्रेचर उपलब्ध कराने जैसे कामों के लिए उनसे पैसे मांगे जाते हैं.

बता दें कि राजधानी लखनऊ के कैसरबाग स्थित बलरामपुर अस्पताल में भारी संख्या में लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. विभागीय आंकड़ों की मानें तो प्रतिदिन 1000 से अधिक पेशेंट बलरामपुर में अपना इलाज कराने पहुंचते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हो रहा पालन

कोविड-19 का संक्रमण लगातार लखनऊ जिला प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है. वहीं विश्व में कोरोना वायरस का नया स्वरूप देखने को मिल रहा है, जिसको लेकर पूरा देश चिंता में है. इसके बावजूद भी बलरामपुर अस्पताल के ओपीडी सेक्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. यहां पर आने वाले मरीजों को मास्क लगाने की तो हिदायत दी जाती है, लेकिन ओपीडी सेक्शन में प्रवेश करने के बाद कोई इन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के लिए नहीं टोकता है. लोग भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करते हुए लापरवाही बरत रहे हैं.

इलाज कराने और डॉक्टर को दिखाने में लगता है लंबा समय

बलरामपुर अस्पताल प्रशासन ने ओपीडी सेक्शन को बेहतर बनाने के लिए बड़ी संख्या पर यहां पर काउंटर लगा रखे हैं. जहां पर लोग अपने पर्चे बनवाते हैं. लेकिन सभी काउंटरों पर कर्मचारी मौजूद नहीं रहते, लिहाजा एक ही काउंटर पर लंबी-लंबी लाइन देखी जा सकती है. बलरामपुर अस्पताल में मरीजों के लिए सबसे कठिन लंबी-लंबी लाइन लगाकर पर्चा बनवाना और फिर लंबी लाइन लगाकर डॉक्टर को दिखाना है. मरीजों ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने के लिए घंटों का समय लगता है. कई बार तो पहले दिन डॉक्टर देख नहीं पाते और दूसरे दिन में आना पड़ता है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं और 14 वर्षीय मारूफ द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में जब बलरामपुर अस्पताल के निदेशक राजीव लोचन से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए गार्ड मौजूद हैं. इसके बावजूद भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में लापरवाही करते हैं. वहीं 14 वर्षीय मारूफ के आरोपों पर राजीव लोचन ने सफाई देते हुए कहा कि हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि हमारे कर्मचारी किसी से पैसा न लें. बड़ी संख्या में कर्मचारी निस्वार्थ भाव से सेवा भी कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर सकते हैं, इनको लेकर कार्रवाई की जाएगी. मरीजों को इलाज मिलने में देरी पर सफाई देते हुए राजीव लोचन ने कहा कि अस्पताल पर दबाव रहता है, इसलिए हम वर्चुअल ओपीडी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जिससे लोगों को आसानी से डॉक्टर की सलाह मिल सकेगी.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना आसान नहीं है. हालांकि, अच्छे डॉक्टर होने के चलते लोग बलरामपुर अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं. बलरामपुर अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने मरीजों ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने व जांच कराने में लंबा समय लगता है. लेकिन अस्पताल में कम पैसे में बेहतर इलाज हो जाता है और यहां पर अच्छे डॉक्टर हैं, लिहाजा हम बलरामपुर अस्पताल में इलाज कराना बेहतर समझते हैं.

बलरामपुर अस्पताल का रियलिटी चेक.

बच्चे ने लगाए गंभीर आरोप

भले सस्ता इलाज और अच्छे डॉक्टर के चलते लोग बलरामपुर अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं की अनदेखी करते हों, लेकिन ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में अपनी मां का इलाज करा रहे एक 14 वर्षीय लड़के मोहम्मद मारूफ ने बलरामपुर अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. अशरफ ने बताया कि अस्पताल में वह अपनी मां का लंबे समय से इलाज करा रहा है. वह मजबूर है, पैसे के अभाव में उसे अपनी मां का इलाज यहां पर कराना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी छोटे-छोटे कामों के लिए अस्पताल का स्टाफ उससे पैसा मांगता है. यहां तक कमरे की सफाई करने, यूरिन बैग चेंज करने, स्ट्रेचर उपलब्ध कराने जैसे कामों के लिए उनसे पैसे मांगे जाते हैं.

बता दें कि राजधानी लखनऊ के कैसरबाग स्थित बलरामपुर अस्पताल में भारी संख्या में लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. विभागीय आंकड़ों की मानें तो प्रतिदिन 1000 से अधिक पेशेंट बलरामपुर में अपना इलाज कराने पहुंचते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हो रहा पालन

कोविड-19 का संक्रमण लगातार लखनऊ जिला प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है. वहीं विश्व में कोरोना वायरस का नया स्वरूप देखने को मिल रहा है, जिसको लेकर पूरा देश चिंता में है. इसके बावजूद भी बलरामपुर अस्पताल के ओपीडी सेक्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. यहां पर आने वाले मरीजों को मास्क लगाने की तो हिदायत दी जाती है, लेकिन ओपीडी सेक्शन में प्रवेश करने के बाद कोई इन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के लिए नहीं टोकता है. लोग भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करते हुए लापरवाही बरत रहे हैं.

इलाज कराने और डॉक्टर को दिखाने में लगता है लंबा समय

बलरामपुर अस्पताल प्रशासन ने ओपीडी सेक्शन को बेहतर बनाने के लिए बड़ी संख्या पर यहां पर काउंटर लगा रखे हैं. जहां पर लोग अपने पर्चे बनवाते हैं. लेकिन सभी काउंटरों पर कर्मचारी मौजूद नहीं रहते, लिहाजा एक ही काउंटर पर लंबी-लंबी लाइन देखी जा सकती है. बलरामपुर अस्पताल में मरीजों के लिए सबसे कठिन लंबी-लंबी लाइन लगाकर पर्चा बनवाना और फिर लंबी लाइन लगाकर डॉक्टर को दिखाना है. मरीजों ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने के लिए घंटों का समय लगता है. कई बार तो पहले दिन डॉक्टर देख नहीं पाते और दूसरे दिन में आना पड़ता है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं और 14 वर्षीय मारूफ द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में जब बलरामपुर अस्पताल के निदेशक राजीव लोचन से सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए गार्ड मौजूद हैं. इसके बावजूद भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में लापरवाही करते हैं. वहीं 14 वर्षीय मारूफ के आरोपों पर राजीव लोचन ने सफाई देते हुए कहा कि हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि हमारे कर्मचारी किसी से पैसा न लें. बड़ी संख्या में कर्मचारी निस्वार्थ भाव से सेवा भी कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसा कर सकते हैं, इनको लेकर कार्रवाई की जाएगी. मरीजों को इलाज मिलने में देरी पर सफाई देते हुए राजीव लोचन ने कहा कि अस्पताल पर दबाव रहता है, इसलिए हम वर्चुअल ओपीडी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जिससे लोगों को आसानी से डॉक्टर की सलाह मिल सकेगी.

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