लखनऊ: केजीएमयू (KGMU) में अब मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी. केजीएमयू कार्यपरिषद की बैठक (KGMU Executive Council meeting) में कई जांचों को 10 फीसद तक सस्ता करने का फैसला लिया गया. इसमें कैंसर, हार्मोन समेत कई महंगी जांच भी शामिल हैं. केजीएमयू प्रशासन के इस फैसले से हर रोज हजारों मरीजों को फायदा होगा. इस फैसले के बाद अब किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में होने वाली खून की विभिन्न जांच की दर संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान(Sanjay Gandhi Institute of Medical Sciences) के बराबर हो गई है.
दरअसल, आज यानी गुरुवार को केजीएमयू कार्यपरिषद की बैठक (KGMU Executive Council meeting) हुई.कुलपति डॉक्टर विपिन पुरी के मुताबिक, देर शाम तक चली इस बैठक में करीब 30 एजेंडों को रखा गया. जिसमें कर्मियों को निशुल्क चिकित्सीय सुविधा के तहत नई प्रतिपूर्ति प्रणाली के साथ ही भर्ती मरीजों के लिए कई नई व्यवस्थाओं के प्रस्ताव शामिल हैं. बैठक में सदस्यों ने इन प्रस्तावों पर मंथन कर सहमति प्रदान की. इसमें मरीजों के हित में बड़ा फैसला लिया गया. इस बैठक में लगातार बढ़ रही जांचों की दरों पर ब्रेक लगाने का फैसला लिया गया. कुलपति के मुताबिक मरीजों की जांच शुल्क में 10 फीसद की कटौती की गई है.
दरअसल, केजीएमयू में इस समय निजी एजेंसी के माध्यम से विभिन्न जांचें की जाती हैं. इनके लिए केजीएमयू द्वारा निर्धारित दरों के हिसाब से मरीजों को भुगतान करना होता है.जांच करने वाली एजेंसी की ओर से पीजीआई की जांच दरों का हवाला देते हुए इस दर में बदलाव की मांग की गई थी. जिसके बाद यह प्रस्ताव कार्य परिषद के सामने मंजूरी के लिए रखा गया था. जिसे बैठक में मंजूर कर लिया गया.
इन विभागों की जांचें होंगी सस्ती
कुलपति के मुताबिक, पैथोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, हिस्टोपैथोलॉजी की करीब तीन हजार जांचें सस्ती होंगी. इससे कैंसर रोगियों को भी राहत मिलेगी. केजीएमयू में आमदिनों में 8 से 10 हजार रोगी इलाज के लिए आते हैं. इसमें 80 फीसद मरीजों को इन जांचों की आवश्यकता होती है.
प्रमोशन-भर्ती की नई पॉलिसी
केजीएमयू कार्यपरिषद की बैठक में केजीएमयू में डॉक्टरों के प्रमोशन, कर्मियों की भर्ती की नई पॉलिसी बनाने पर भी मंथन किया गया. जिसके बाद इसे मंजूर कर लिया गया. इस नई पॉलिसी के मुताबिक, प्रमोशन के दरम्यान रिसर्च पेपर, चैप्टर आदि की स्कोरिंग की जाएगी. वहीं कर्मियों की भर्ती में एग्जाम पैटर्न को लेकर प्लान बनेगा. इसके अलावा मेधावियों के मेडल पर भी मंथन किया गया. इसमें भी भविष्य में बदलाव होगा.
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