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किसान विरोधी अध्यादेश वापस ले सरकार नहीं तो करेंगे आंदोलन: राष्ट्रीय लोकदल

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Published : Sep 3, 2020, 7:05 PM IST

राष्ट्रीय लोक दल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा है कि सरकार किसान विरोधी अध्यादेश वापस ले, नहीं तो वह आंदोलन करने को बाध्य होंगे. उन्होंने कहा कि इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे
राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे

लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने केंद्र सरकार के अध्यादेश का पुरजोर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस अध्यादेश को किसान हित में वापस न लिया तो राष्ट्रीय लोकदल इसके विरोध में आन्दोलन करेगा. अनिल दुबे ने कहा कि किसान व्यापार और ई-कॉमर्स के लागू होने से कोई भी पैन कार्डधारी किसानों की फसल खरीद सकेगा. अगर पैसों के लेनदेन का विवाद होगा तो एसडीएम इसकी सुनवाई करेगा.

  • राष्ट्रीय लोकदल का योगी सरकार पर हमला.
  • अध्यादेश के लागू होने से मंडियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
  • बड़े व्यापारी औने-पौने दामों में किसानों की फसल खरीद लेंगे.

राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि इस अध्यादेश के लागू होने से मंडियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. अगर मंडी से किसानों की फसल की खरीद बिक्री नहीं हुई तो एसएमपी रेट सरकार लागू नहीं कर पाएगी, जिससे किसानों को सरकार द्वारा न्यूनतम निर्धारित मूल्य भी नहीं मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि इससे मंडी में होने वाला व्यापारियों का कम्पटीशन भी खत्म हो जाएगा. किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. पहले की तरह ही बड़े व्यापारी औने-पौने दामों में किसानों की फसल खरीद लेंगे. व्यापारी मनमाने तरीके से किसानों के साथ लूट करेंगे.

अनिल दुबे ने कहा कि सरकार के आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 कानून के लागू होने से जब सरकार भंडारण की सीमा खत्म कर देगी, जिससे बड़े व्यापारी किसानों की फसल की भंडारण क्षमता न होने के कारण उसे सस्ते रेट में भंडारण कर लेंगे, जिसकी वजह से वस्तुओं की कीमत बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि इससे काला बाजारी को बल मिलेगा और किसानों को एसएमपी का रेट भी नहीं मिल पायेगा, जिससे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून के बाद बड़े औद्योगिक घराने खेती कर सकते हैं. इस अधिनियम में किसानों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होगी. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन में फसलों के न्यूनतम मूल्य तक का जिक्र नहीं है.

उन्होंने किसान हित में केंद्र सरकार से ये तीनों अध्यादेश वापस लेने की मांग करते हुये कहा कि यह अध्यादेश किसान विरोधी है. इनके लागू होने के बाद किसानों का व्यापारियों और बड़े घरानों की तरफ से उत्पीड़न होना शुरू हो जाएगा, जिससे किसानों की हालत जमींदारी के समय से भी ज्यादा खराब हो जाएगी.

लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने केंद्र सरकार के अध्यादेश का पुरजोर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस अध्यादेश को किसान हित में वापस न लिया तो राष्ट्रीय लोकदल इसके विरोध में आन्दोलन करेगा. अनिल दुबे ने कहा कि किसान व्यापार और ई-कॉमर्स के लागू होने से कोई भी पैन कार्डधारी किसानों की फसल खरीद सकेगा. अगर पैसों के लेनदेन का विवाद होगा तो एसडीएम इसकी सुनवाई करेगा.

  • राष्ट्रीय लोकदल का योगी सरकार पर हमला.
  • अध्यादेश के लागू होने से मंडियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
  • बड़े व्यापारी औने-पौने दामों में किसानों की फसल खरीद लेंगे.

राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि इस अध्यादेश के लागू होने से मंडियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. अगर मंडी से किसानों की फसल की खरीद बिक्री नहीं हुई तो एसएमपी रेट सरकार लागू नहीं कर पाएगी, जिससे किसानों को सरकार द्वारा न्यूनतम निर्धारित मूल्य भी नहीं मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि इससे मंडी में होने वाला व्यापारियों का कम्पटीशन भी खत्म हो जाएगा. किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. पहले की तरह ही बड़े व्यापारी औने-पौने दामों में किसानों की फसल खरीद लेंगे. व्यापारी मनमाने तरीके से किसानों के साथ लूट करेंगे.

अनिल दुबे ने कहा कि सरकार के आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 कानून के लागू होने से जब सरकार भंडारण की सीमा खत्म कर देगी, जिससे बड़े व्यापारी किसानों की फसल की भंडारण क्षमता न होने के कारण उसे सस्ते रेट में भंडारण कर लेंगे, जिसकी वजह से वस्तुओं की कीमत बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि इससे काला बाजारी को बल मिलेगा और किसानों को एसएमपी का रेट भी नहीं मिल पायेगा, जिससे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून के बाद बड़े औद्योगिक घराने खेती कर सकते हैं. इस अधिनियम में किसानों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होगी. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन में फसलों के न्यूनतम मूल्य तक का जिक्र नहीं है.

उन्होंने किसान हित में केंद्र सरकार से ये तीनों अध्यादेश वापस लेने की मांग करते हुये कहा कि यह अध्यादेश किसान विरोधी है. इनके लागू होने के बाद किसानों का व्यापारियों और बड़े घरानों की तरफ से उत्पीड़न होना शुरू हो जाएगा, जिससे किसानों की हालत जमींदारी के समय से भी ज्यादा खराब हो जाएगी.

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