लखनऊ: राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर तानाशाही और हठधर्मिता का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का रवैया अलोकतांत्रिक है. कृषि प्रधान देश में शान्तिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन के लिए दिल्ली जा रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले फेंकना और ठंडे पानी की बौछार करने के साथ ही बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज करना कहां का न्याय है.
'किसानों की आवाज को दबाना चाहती है सरकार'
रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि दिल्ली की घटना भाजपा के किसान प्रेम का सच बताती है कि सरकार प्रचण्ड बहुमत पाने के कारण मदान्ध हो गई है. वह अंग्रेजों की तरह क्रूरता से किसानों के अधिकार की आवाज को दबाना चाहती हैं. राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा विगत कई दिनों से आंदोलित पंजाब और राजस्थान के किसानों ने जब देश की राजधानी दिल्ली की ओर कूच किया तो हरियाणा और सिंघु बार्डर पर किसानों के साथ बर्बरतापूर्ण रवैया अपनाकर आंसू गैस और लाठीचार्ज के माध्यम से आंदोलन को विफल करने का प्रयास किया गया. पर सरकार की ताकत किसानों को रोक नहीं पाई.
'किसानों से बात करने में बेइज्जती महसूस कर रहे हैं कृषि मंत्री'
रालोद प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री बार्डर पर जाकर किसानों से बात करने में अपनी बेइज्जती महसूस कर रहे हैं. वहीं गृहमंत्री शर्तों के साथ बात करना चाहते हैं, जो निन्दनीय है. अब पंजाब, राजस्थान के साथ-साथ यूपी के किसान भी इस लड़ाई में आर-पार करने का मन बनाकर बॉर्डर पर जमे हुए हैं. उन्होंने कहा कि किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह ने किसान बही देकर इन किसानों को खेत का मालिक बनाया था. पर बहुमत के घमंड में चूर भाजपा सरकार पूंजीवादी व्यवस्था के जरिए किसानों को गुलाम बनाने का कुचक्र रच रही है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.
'दो दिसंबर को ज्ञापन देगा रालोद'
अनिल दुबे ने कहा कि राष्ट्रीय लोक दल 2 दिसम्बर को प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजेगा और केन्द्र सरकार द्वारा पारित किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग करेगा. बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून का सभी दल विरोध कर रहे हैं. देश के कई हिस्सों में लगातार किसानों के प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. ऐसे में राष्ट्रीय लोक दल ने भी किसानों का साथ देने की बात कही है.