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हैंडपंप सिंबल बरकरार, पर क्या यूपी निकाय चुनाव में जीत पाएंगे RLD उम्मीदवार?

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Published : Apr 17, 2023, 6:45 AM IST

राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय (Rashtriya Lok Dal State President Ramashish Rai) कहा कहना है कि पार्टी का हैंडपंप सिंबल बरकरार है. यूपी निकाय चुनाव के प्रत्याशियों के लिए काफी राहत की बात है.

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राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय

लखनऊ: साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में रालोद को संजीवनी मिली थी. आठ विधायक चुनाव जीतने में सफल हुए थे. वहीं खतौली सीट पर जब उपचुनाव हुआ था, तो एक और प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी. कुल मिलाकर वर्तमान में पार्टी के नौ विधायक हैं और अध्यक्ष जयंत चौधरी राज्यसभा सांसद भी हो गए हैं.

पार्टी फल फूल ही रही थी कि इसी बीच निकाय चुनाव से ठीक पहले रालोद को एक बड़ा झटका लगा है. आयोग ने पार्टी की राज्य स्तर की मान्यता रद्द कर दी. हालांकि अध्यक्ष जयंत चौधरी के अनुरोध पर निर्वाचन आयोग ने पार्टी का सिंबल हैंडपंप बरकरार रखा है, जिससे यूपी निकाय चुनाव में आरएलडी से उतरने वाले प्रत्याशियों को कुछ राहत जरूर मिली है.



उत्तर प्रदेश में इस बार निकाय चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ रही राष्ट्रीय लोकदल के हौसले बुलंद हैं. इसके पीछे वजह यही है कि पार्टी के पास नौ विधायकों और अध्यक्ष जयंत चौधरी खुद राज्यसभा सांसद हैं. इससे पार्टी के प्रत्याशियों को बल मिलेगा. इसके अलावा समाजवादी पार्टी का रालोद के प्रत्याशियों को समर्थन भी है. लिहाजा, पार्टी के उम्मीदवार दोगुनी ताकत के साथ मैदान में अपने विरोधी उम्मीदवारों को टक्कर देने की भरपूर कोशिश करेंगे. राष्ट्रीय लोकदल का भाग्योदय 2022 में ही हुआ था.

इससे पहले चाहे पिछले लोकसभा चुनाव हों या फिर विधानसभा चुनाव, पार्टी का हैंडपंप हारता ही रहा है. इस बार पार्टी ने विधानसभा चुनाव की तरह ही निकाय चुनाव में भी बड़ी संख्या में प्रत्याशियों की जीत की आस लगा रखी है. पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है, वे जिताऊ कैंडिडेट हैं. साथ ही समाजवादी पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी होने के नाते अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों की तुलना में उनका पलड़ा भारी है. इस बार निकाय चुनाव में हैंडपंप हारेगा नहीं.

सिंबल जाने के डर ने बढ़ा दी थीं धड़कनें: राष्ट्रीय लोक दल के पदाधिकारी बताते हैं कि जब चुनाव आयोग ने पार्टी की मान्यता रद्द की, तो हैंडपंप सिंबल जाने का भी खतरा मंडराने लगा. प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ने लगी थीं. अगर हैंडपंप सिंबल चला जाता और कोई दूसरा सिंबल मिलता तो जनता को बताने में ही काफी समय लग जाता कि प्रत्याशी रालोद का है और समाजवादी पार्टी समर्थित है. सिंबल जाने से घाटा हो सकता था, लेकिन रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी की अपील निर्वाचन आयोग में स्वीकार कर ली और सिंबल बरकरार रखा.


राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय (Rashtriya Lok Dal State President Ramashish Rai) का कहना है कि पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को केंद्र में रखते हुए अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. 30 से ज्यादा प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है. हमें पूरी उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी समर्थित राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी बेहतर प्रदर्शन कर जीत हासिल करेंगे. विधानसभा चुनाव की तरह ही निकाय चुनाव में भी पार्टी का मजबूत प्रदर्शन होगा और स्थानीय निकाय चुनाव जीतकर पार्टी और मजबूत होगी. उनका मानना है कि सिंबल का काफी महत्व होता है. पार्टी का हैंडपंप सिंबल बरकरार है. यह प्रत्याशियों के लिए काफी राहत की बात है.

ये भी पढ़ें- अतीक अहमद के जिस पुश्तैनी घर में सजता था दरबार वहां पसरा रहा सन्नाटा, मददगारों ने किया किनारा

लखनऊ: साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में रालोद को संजीवनी मिली थी. आठ विधायक चुनाव जीतने में सफल हुए थे. वहीं खतौली सीट पर जब उपचुनाव हुआ था, तो एक और प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी. कुल मिलाकर वर्तमान में पार्टी के नौ विधायक हैं और अध्यक्ष जयंत चौधरी राज्यसभा सांसद भी हो गए हैं.

पार्टी फल फूल ही रही थी कि इसी बीच निकाय चुनाव से ठीक पहले रालोद को एक बड़ा झटका लगा है. आयोग ने पार्टी की राज्य स्तर की मान्यता रद्द कर दी. हालांकि अध्यक्ष जयंत चौधरी के अनुरोध पर निर्वाचन आयोग ने पार्टी का सिंबल हैंडपंप बरकरार रखा है, जिससे यूपी निकाय चुनाव में आरएलडी से उतरने वाले प्रत्याशियों को कुछ राहत जरूर मिली है.



उत्तर प्रदेश में इस बार निकाय चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ रही राष्ट्रीय लोकदल के हौसले बुलंद हैं. इसके पीछे वजह यही है कि पार्टी के पास नौ विधायकों और अध्यक्ष जयंत चौधरी खुद राज्यसभा सांसद हैं. इससे पार्टी के प्रत्याशियों को बल मिलेगा. इसके अलावा समाजवादी पार्टी का रालोद के प्रत्याशियों को समर्थन भी है. लिहाजा, पार्टी के उम्मीदवार दोगुनी ताकत के साथ मैदान में अपने विरोधी उम्मीदवारों को टक्कर देने की भरपूर कोशिश करेंगे. राष्ट्रीय लोकदल का भाग्योदय 2022 में ही हुआ था.

इससे पहले चाहे पिछले लोकसभा चुनाव हों या फिर विधानसभा चुनाव, पार्टी का हैंडपंप हारता ही रहा है. इस बार पार्टी ने विधानसभा चुनाव की तरह ही निकाय चुनाव में भी बड़ी संख्या में प्रत्याशियों की जीत की आस लगा रखी है. पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है, वे जिताऊ कैंडिडेट हैं. साथ ही समाजवादी पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी होने के नाते अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों की तुलना में उनका पलड़ा भारी है. इस बार निकाय चुनाव में हैंडपंप हारेगा नहीं.

सिंबल जाने के डर ने बढ़ा दी थीं धड़कनें: राष्ट्रीय लोक दल के पदाधिकारी बताते हैं कि जब चुनाव आयोग ने पार्टी की मान्यता रद्द की, तो हैंडपंप सिंबल जाने का भी खतरा मंडराने लगा. प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ने लगी थीं. अगर हैंडपंप सिंबल चला जाता और कोई दूसरा सिंबल मिलता तो जनता को बताने में ही काफी समय लग जाता कि प्रत्याशी रालोद का है और समाजवादी पार्टी समर्थित है. सिंबल जाने से घाटा हो सकता था, लेकिन रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी की अपील निर्वाचन आयोग में स्वीकार कर ली और सिंबल बरकरार रखा.


राष्ट्रीय लोकदल प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय (Rashtriya Lok Dal State President Ramashish Rai) का कहना है कि पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को केंद्र में रखते हुए अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. 30 से ज्यादा प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है. हमें पूरी उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी समर्थित राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी बेहतर प्रदर्शन कर जीत हासिल करेंगे. विधानसभा चुनाव की तरह ही निकाय चुनाव में भी पार्टी का मजबूत प्रदर्शन होगा और स्थानीय निकाय चुनाव जीतकर पार्टी और मजबूत होगी. उनका मानना है कि सिंबल का काफी महत्व होता है. पार्टी का हैंडपंप सिंबल बरकरार है. यह प्रत्याशियों के लिए काफी राहत की बात है.

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