लखनऊ : दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के बाहर रेप पीड़िता व उसके गवाह के आत्मदाह करने के मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गंभीरता से लिया है. NHRC ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के डीजीपी और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को नोटिस भेजा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मामले में चार हफ्ते के अंदर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने रिपोर्ट में जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है. यूपी के DGP को NHRC ने निर्देश दिया है कि पीड़िता के परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखें.
बता दें कि, बीते 21 अगस्त को दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट के बाहर रेप पीड़िता और उसके एक साथी ने खुदकुशी करने के लिए खुद को आग लगा लिया था. इलाज के दौरान दोनों की अस्पताल में मौत भी हो गई थी. इस दौरान दोनों ने फेसबुक पर लाइव वीडियो में बसपा सांसद अतुल राय पर रेप करने व अमिताभ ठाकुर पर सांसद के इशारे पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री के आदेश पर मामले की जांच IPS नीरा रावत और उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के DG आरके विश्वकर्मा को सौंपी गई थी. जांच समिति को दो हप्ते में सरकार को रिपोर्ट सौंपनी थी.
समिति ने जांच के दायरे में आये पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर, वाराणसी के तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक, डिप्टी एसपी अमरेश सिंह बघेल, लंका थाने के इंस्पेक्टर संजय राय व उनके बेटे विनय का बयान दर्ज किया था. बीते शुक्रवार को जांच टीम की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर ही लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में पूर्व सांसद अतुल राय व पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध पीड़ित युवती को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कर, पूर्व IPS अमिताभ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
दरअसल, बलिया की रहने वाली एक युवती ने मऊ के घोसी लोकसभा सीट से बीएसपी सांसद अतुल राय पर आरोप लगाया था, कि अतुल ने 7 मार्च 2018 को उसे वाराणसी के लंका स्थित अपने फ्लैट में अपनी पत्नी से मिलाने के बहाने बुलाया था. पीड़िता के आरोप के अनुसार, फ्लैट पर पहुंचने के बाद सांसद अतुल राय ने उसके साथ दुष्कर्म किया और अश्लील वीडियो भी बनाया. आप को बता दें, युवती वाराणसी के एक कॉलेज की छात्रा रह चुकी है.
इसे भी पढ़ें- शर्मनाक : डांटने पर 'जल्लाद' बना बेटा, गला दबाकर कर दी मां की हत्या
इस मामले में पीड़िता ने एक मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था. यूपी सरकार ने दो IPS की समिति बनाकर जांच के आदेश दिए थे. जांच समिति प्रकरण ने दर्ज 12 मुकदमों में की गई पुलिस कार्रवाई की सिलसिलेवार समीक्षा की. जांच के दौरान यह भी देखा कि पुलिस कार्रवाई में कहां-कहां किस स्तर पर लापरवाही हुई. जांच टीम जिन 12 मुकदमों की छानबीन की है, उनमें पांच पीड़ित युवती की ओर से दर्ज कराए गए थे, और सात मुकदमे युवती व उसके पैरोकार युवक के विरुद्ध दर्ज कराए गए थे. समिति ने जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी.