लखनऊः कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस मामले की गवाही के दौरान पीड़िता के पिता और खुद पीड़िता भी अपने आरोपों से मुकर गए. लिहाजा कानूनी उपबंधों के तहत उन्हें प्रतिकर की धनराशि दिलाना उचित प्रतीत नहीं होता है, लेकिन दुराचार की वजह से पीड़िता ने जिस पुत्री को जन्म दिया है. जुर्माने की सम्पूर्ण धनराशि उसी को अदा की जाएगी. इसलिए अपनी पुत्री के व्यस्क होने तक पीड़िता यह धनराशि किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के रुप में जमा करेगी.
विशेष लोक अभियोजक और सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी के मुताबिक पीड़िता के पिता अपनी पत्नी के साथ मजदूरी करते थे. जबकि अभियुक्त ठेकेदार था. वह अक्सर इनके घर आता जाता था. उनकी 16 साल की पुत्री को शादी का झांसा देकर दुराचार करता रहा. इसकी वजह से पीड़िता गर्भवती हो गई, लेकिन उसने शादी से इंकार कर दिया. 9 मई 2017 को इस मामले की एफआईआर पीड़िता के पिता ने थाना अलीगंज में दर्ज कराई थी.
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