लखनऊ: इस्लाम धर्म में सबसे पाक और मुकद्दस महीना रमजान माना गया है. इस्लाम के इतिहास में कई बेहतरीन काम इसी महीने हुए. इनमें से सबसे अफजल है पवित्र किताब कुरान का इस महीने नाजिल होना. मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान शरीफ इसी महीने में पैगम्बर मोहम्मद साहब पर नाजिल हुई थी. इस पाक महीने में मुसलमान रोजा रखकर इबादत करते हैं और कुरान शरीफ की सबसे ज्यादा तिलावत भी करते हैं.
हर मुसलमान के लिए रोजा रखना फर्ज है
मुस्लिम धर्मगुरु और इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि रमजान सबसे मुबारक महीना है. इस बात को अल्लाह ने कुरान में भी फरमाया है. उन्होंने कहा कि इस मुबारक महीने में हर मुसलमान के लिए रोजा रखना फर्ज है. इसी महीने में अल्लाह ने तमाम मुसलमानों की रहनुमाई के लिए अपनी सबसे मुकद्दस किताब कुरान करीम नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल फरमाया.
कई गुना तक मिलता है नेक काम के बदले सावाब
मौलाना खालिद रशीद ने बताया कि इस पवित्र महीने में किसी भी एक फर्ज (जरूरी) काम को करने का सवाब (पुण्य) कई गुना तक मिलता है. वहीं, एक नफिल का सवाब फर्ज काम के बराबर मिलता है. मौलाना ने कहा कि इस महीने में जो शख्स रोजा रखता है, उसका बदला अल्लाह द्वारा खुद देने का बताया गया है. यानी जिस चीज को अल्लाह खुद देने का वादा कर रहा है, उसका इंसान गुमान भी नहीं कर सकता.
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इफ्तार पार्टी का पैसा गरीबों की मदद में लगाएं
मौलाना ने कहा कि इस पूरे महीने दुनिया भर के मुसलमानों को चाहिए कि इबादत में गुजारे और इस्लामी उसूलों के मुताबिक रोजे रखकर और तरावीह की नमाज अदा करें. मौलाना ने कहा कि शरीयत के अनुसार, पूरे महीने तरावीह का एहतिमाम करना चाहिए. इस दौरान कम से कम एक कुरान मुकम्मल (पूरा) करना चाहिए. इस पवित्र महीने में गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने की भी बात कही गई है. ऐसे में हर मुसलमान को जकात अदा करने के साथ गरीब तबके की हर मुमकिन मदद करनी चाहिए. मौलाना ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना को देखते हुए इस बार किसी भी तरीके की इफ्तार पार्टी न करें. उस पैसे को गरीब तबके में दान करना सावाब का काम होगा.