ETV Bharat / state

रेलवे ट्रैक को "कवच" की सुरक्षा : कानपुर रेल रूट पर ट्रायल सफल, अब लखनऊ की बारी - ट्रेन में आटोमेटिक ब्रेक

ट्रेन दुर्घटनाओं रोकने को लेकर रेलवे प्रशासन लगातार नए प्रयोग करता रहता है. इस कड़ी में रेल ट्रैक पर "कवच" नाम की तकनीक से हादसों पर अंकुश लगाने की तरकीब निकाली है. इस तकनीक का सफल ट्रायल कानपुर रूट पर किया जा चुका है. अब लखनऊ रूट में इसका ट्रायल किया जाना है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 12, 2023, 3:22 PM IST

लखनऊ : ट्रेन हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने अब तकनीकी का सहारा लेने का फैसला लिया है और इसका परीक्षण भी शुरू कर दिया है. कवच अब ट्रेनों को आपस में लड़ने से रोकेगा और यह यात्रियों का सुरक्षा कवच साबित होगा. कई रूटों पर उत्तर रेलवे की तरफ से कवच का ट्रायल किया गया जो सफल रहा है. लखनऊ मंडल में भी कवच का ट्रायल होना है. कानपुर रूट पर परीक्षण के दौरान कवच के चलते रेड सिग्नल होने पर ट्रेन अचानक रुक गई. जिससे किसी तरह के ट्रेनों के आपस में टकराने का खतरा टल गया.




रेलवे ट्रैक को कवच की सुरक्षा : रेलवे प्रशासन ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग के साथ ही रेलवे ट्रैक को कवच की सुरक्षा से लैस करने जा रहा है. उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अंतर्गत कानपुर ट्रैक पर एक दिन पहले ही इसका सफल परीक्षण भी हो गया है. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर करीब तीन हजार किलोमीटर का काम चल रहा है. बहुत जल्द लखनऊ मंडल में भी ट्रैक पर कवच लगाने का काम प्रारंभ होगा. कानपुर रूट के ट्रैक पर शनिवार को कवच के परीक्षण के दौरान ट्रेन के रेड सिग्नल पर आगे बढ़ते ही अपने आप ब्रेक लग गया. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि अभी और भी ट्रायल किए जाने हैं क्योंकि आने वाले दिनों में सभी ट्रैक कवच से लैस होंगे. रेलवे के सूत्रों की मानें तो पूर्वोत्तर रेलवे में इसकी शुरुआत छपरा-बाराबंकी रूट से होगी. इसके लिए बहुत जल्द सर्वे शुरू करने की तैयारी है. रेलवे बोर्ड की तरफ से इस रूट के लिए बजट मंजूर कर दिया गया है. उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक डॉ. मनीष थपल्याल ने बताया कि कवच का सफल ट्रॉयल किया गया है. ये पहले भी किया जा चुका है. कब, कहां किस रूट पर कवच लगेगा, इसका फैसला रेलवे बोर्ड लेगा.




कवच की खासियत : रेलवे ट्रैक कवच तकनीक से लैस होगा. उस पर अगर दो ट्रेनें आमने-सामने आ भी जाएं तो एक निश्चित दूरी पर उनके ब्रेक अपने आप ही लग जाएंगे. तकनीक का कमाल ये है कि दोनों ट्रेनें फुल स्पीड में हों फिर भी आपस में किसी भी कीमत पर नहीं टकराएंगी. रेड सिग्नल क्रॉस होते ही ट्रेन में आटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा. पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेनें रुक जाएंगी. कवच पीछे से आने वाली ट्रेनों को भी बचा लेगा. रेलवे का कवच तकनीक लगाने का काम पूरा करने का अगले साल तक हरहाल में लक्ष्य है. इसमें ड्राइवर से चूक होने पर कवच अलर्ट करेगा. कवच ट्रेन चलाते समय लोको पॉयलट के सभी क्रियाकलापों जैसे ब्रेक, हार्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करता है. ड्राइवर से चूक होने पर कवच पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा. प्रतिक्रिया नहीं आने पर ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे. ट्रेन को सेक्शन की निर्धारित स्पीड से तेज चलने नहीं देगा.

लखनऊ : ट्रेन हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने अब तकनीकी का सहारा लेने का फैसला लिया है और इसका परीक्षण भी शुरू कर दिया है. कवच अब ट्रेनों को आपस में लड़ने से रोकेगा और यह यात्रियों का सुरक्षा कवच साबित होगा. कई रूटों पर उत्तर रेलवे की तरफ से कवच का ट्रायल किया गया जो सफल रहा है. लखनऊ मंडल में भी कवच का ट्रायल होना है. कानपुर रूट पर परीक्षण के दौरान कवच के चलते रेड सिग्नल होने पर ट्रेन अचानक रुक गई. जिससे किसी तरह के ट्रेनों के आपस में टकराने का खतरा टल गया.




रेलवे ट्रैक को कवच की सुरक्षा : रेलवे प्रशासन ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग के साथ ही रेलवे ट्रैक को कवच की सुरक्षा से लैस करने जा रहा है. उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अंतर्गत कानपुर ट्रैक पर एक दिन पहले ही इसका सफल परीक्षण भी हो गया है. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर करीब तीन हजार किलोमीटर का काम चल रहा है. बहुत जल्द लखनऊ मंडल में भी ट्रैक पर कवच लगाने का काम प्रारंभ होगा. कानपुर रूट के ट्रैक पर शनिवार को कवच के परीक्षण के दौरान ट्रेन के रेड सिग्नल पर आगे बढ़ते ही अपने आप ब्रेक लग गया. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि अभी और भी ट्रायल किए जाने हैं क्योंकि आने वाले दिनों में सभी ट्रैक कवच से लैस होंगे. रेलवे के सूत्रों की मानें तो पूर्वोत्तर रेलवे में इसकी शुरुआत छपरा-बाराबंकी रूट से होगी. इसके लिए बहुत जल्द सर्वे शुरू करने की तैयारी है. रेलवे बोर्ड की तरफ से इस रूट के लिए बजट मंजूर कर दिया गया है. उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक डॉ. मनीष थपल्याल ने बताया कि कवच का सफल ट्रॉयल किया गया है. ये पहले भी किया जा चुका है. कब, कहां किस रूट पर कवच लगेगा, इसका फैसला रेलवे बोर्ड लेगा.




कवच की खासियत : रेलवे ट्रैक कवच तकनीक से लैस होगा. उस पर अगर दो ट्रेनें आमने-सामने आ भी जाएं तो एक निश्चित दूरी पर उनके ब्रेक अपने आप ही लग जाएंगे. तकनीक का कमाल ये है कि दोनों ट्रेनें फुल स्पीड में हों फिर भी आपस में किसी भी कीमत पर नहीं टकराएंगी. रेड सिग्नल क्रॉस होते ही ट्रेन में आटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा. पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेनें रुक जाएंगी. कवच पीछे से आने वाली ट्रेनों को भी बचा लेगा. रेलवे का कवच तकनीक लगाने का काम पूरा करने का अगले साल तक हरहाल में लक्ष्य है. इसमें ड्राइवर से चूक होने पर कवच अलर्ट करेगा. कवच ट्रेन चलाते समय लोको पॉयलट के सभी क्रियाकलापों जैसे ब्रेक, हार्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करता है. ड्राइवर से चूक होने पर कवच पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा. प्रतिक्रिया नहीं आने पर ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे. ट्रेन को सेक्शन की निर्धारित स्पीड से तेज चलने नहीं देगा.

यह भी पढ़ें : 500 करोड़ से डेवलप होगा ये रेलवे स्टेशन; रूफ प्लाजा, मूवी का मजा ले सकेंगे यात्री, एयरपोर्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं

Railway News : लखनऊ में आकार ले रहा वर्ल्ड क्लास सुविधाओं वाला गोमतीनगर रेलवे स्टेशन, जानिए खासियत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.