लखनऊः देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस(Corporate Train Tejas Express) ने अब तक जितने पैसे कमाए हैं, उससे ज्यादा रुपये का आईआरसीटी पर कर्ज लद गया है. यह कर्ज किसी और का नहीं, बल्कि रेलवे का ही है. वर्तमान में आईआरसीटीसी रेलवे के 27 करोड़ रुपये का कर्जदार है. मार्च से अगस्त तक का रेलवे की तरफ से आईआरसीटीसी को 27 करोड़ का बिल भेजा गया है, जिसे आईआरसीटीसी को अदा करना है.
दरअसल, देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस(Corporate Train Tejas Express) लखनऊ जंक्शन से नई दिल्ली के बीच चार अक्टूबर 2019 में पटरी पर उतारी गई थी. भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) को इस ट्रेन का संचालन सौंपा गया था. यात्रियों को भी तेजस काफी पसंद आई पर, यह खुशी कुछ दिन तक ही टिकी रह सकी. 19 मार्च 2020 को तेजस एक्सप्रेस का संचालन कोरोना संक्रमण की वजह से निरस्त कर दिया गया और करीब पांच माह तक ट्रेन खड़ी रही.
इसके बाद जब सितंबर में ट्रेन पटरी पर लौटी, तो तेजस को पैसेंजर ही नहीं मिले. नतीजतन, महज 16 दिन के बाद ही ट्रेन को दोबारा निरस्त करना पड़ गया. 14 फरवरी 2021 से ट्रेन फिर से चलाई गई, लेकिन अभी तक तेजस पटरी पर नहीं आ पाई है. पीक सीजन में तो तेजस एक्सप्रेस को यात्री मिल जाते हैं, लेकिन लीन सीजन में ट्रेन की हालत खस्ता ही रहती है.
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इसलिए लद गया करोड़ों का कर्जा
आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने बताया कि तेजस एक्सप्रेस के संचालन के एवज में रेलवे को मेंटीनेंस, एनुअल व हॉलेज चार्ज देना पड़ता है. रेलवे आईआरसीटीसी से तेजस के लिए सालाना 13 करोड़ रुपये लेता है. इस हिसाब से करीब 16 करोड़ रुपये आईआरसीटीसी को चुकाने होते हैं. इसके अलावा रेलवे तेजस के रूटीन संचालन के लिए मेंटीनेंस व हॉलेज चार्ज 16 लाख रुपये हर रोज के हिसाब से चार्ज करता है. वर्तमान में करीब 27 करोड़ रुपये की देनदारी हो गई है.
रोज चले ट्रेन तो होगा फायदा
आईआरसीटीसी के चीफ रीजनल मैनेजर अजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि पहले ट्रेन रोज नहीं चलती थी. कोरोना काल में ट्रेन बंद भी रही जिससे यात्रियों का भरोसा टूटा, लेकिन अब एक बार फिर से सप्ताह में छह दिन ट्रेन का संचालन शुरू किया गया है. ट्रेन पटरी पर है तो यात्री भी तेजस ट्रेन को पसंद कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ऑक्युपेंसी की बात की जाए तो पीक सीजन में 90 से 95% रहती है तो लीन सीजन में लगभग 55%. अगर औसत निकाला जाए तो 75% ऑक्युपेंसी तेजस की रहती है. कमाई के अनुसार ही रेलवे को भुगतान भी करना पड़ता है. कोरोना के कारण ट्रेन काफी घाटे में रही है, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में उम्मीद है कि यह फायदे की ट्रेन साबित होगी. रेलवे को 27 करोड़ रुपये का भुगतान करना है.
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