लखनऊ: पूर्व सांसद धनंजय सिंह की फतेहगढ़ से रिहाई के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. दरअसल, धनंजय एक पुराने केस में जमानत कटवा कर एमपी/एमएलए कोर्ट से जेल गए थे. धनंजय की उसी मामले में जमानती कागजात लगने के कारण उनकी रिहाई के आदेश हुए और उन्हें फतेहगढ़ जेल से आनन-फानन रिहा कर दिया गया. अगर, पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड के मामले का 'बी' वारंट फतेहगढ़ जेल पहुंचता तो धनंजय की रिहाई उस केस में जमानत के बाद होती. इस पूरे मामले में लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. जानकारों की माने तो विवेचक ने जानबूझकर 'बी' वारंट जेल नहीं पहुंचाया. लखनऊ कमिश्नर डीके ठाकुर का कहना है कि 'बी' वारंट रिसीव कराना विवेचक का काम है. उसके स्तर पर क्या लापरवाही हुई. उसकी जांच कराई जाएगी. हालांकि, धनंजय सिंह जेल से बाहर आते ही भूमिगत हो गया है.
इसमें भी हुए खेल
बाहुबली धनंजय सिंह की रिहाई में सोची समझी रणनीति के तहत खेल किया गया. दरअसल, धनंजय की रिहाई का आदेश नैनी जेल मुंशी पैरोकार (कोर्ट के सिपाही) के जरिये न भेजकर आदेश की कॉपी स्पीड पोस्ट से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेजी गयी. वैसे भी 5 मार्च को धनंजय सिंह को एमपी/एमएलए कोर्ट ने नैनी जेल भेजा था तो वारंट भी पैरोकार द्वारा वही भेजना चाहिए. इससे साफ जाहिर है की पुलिस की नियत में कहीं न कहीं खोट है. यह सोची समझी रणनीति के तहत ऐसा किया गया है. जिससे धनंजय सिंह जेल से बाहर आ सके.
जेल में रची गई थी रिहाई की योजना
पूर्व सांसद धनंजय सिंह की रिहाई की योजना जेल में ही रची गई. दरअसल, बीते 25 मार्च को ही कोर्ट ने धनंजय सिंह की जमानत बहाल कर रिहाई आदेश जारी किया था. नए जमानतदारों ने बेल बांड भरा उसके बाद धनंजय की जमानत बहाल हुई. धनंजय ने इस पूरे मामले को बिल्कुल गोपनीय रखा. वकीलों को निर्देश दिए की रिहाई आदेश चुपचाप स्पीड पोस्ट के जरिए नैनी जेल न भेजकर सीधे फतेहगढ़ जेल भिजवाया जाए और हुआ भी यही, आदेश पहुंचते ही 31 मार्च की सुबह गोपनीय ढंग से जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार शुक्ला ने धनंजय सिंह की जेल से रिहाई कर दी और धनंजय वहां से भूमिगत हो गया.
अजीत सिंह हत्याकांड में वांछित है धनंजय सिंह
लखनऊ में हुए मऊ के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड में धनंजय सिंह का नाम आया है. एनकाउंटर में मारे गए गिरधारी विश्वकर्मा और जख्मी शूटर का इलाज करने वाले लखनऊ व जौनपुर के दोनों डॉक्टरों के बयान में भी धनंजय की संलिप्तता पाई गई. उसके बाद लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने अजीत की हत्या में धनंजय सिंह को 120 बी व अन्य धाराओं में मुलजिम बनाया. धनंजय के खिलाफ वारंट जारी कर गिरफ्तारी के लिए लखनऊ, दिल्ली, उत्तराखंड व जौनपुर समेत कई ठिकानों पर दबिश दी गई. लेकिन, धनंजय सिंह पुलिस की पकड़ में नहीं आया उसने चुपचाप पुराने मुकदमे में जमानत कटवा कर प्रयागराज एमपी/एमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. धनंजय अजीत सिंह हत्याकांड में वांछित है.
आजम खान के मामले में यूपी पुलिस ने चंद घंटों में रिसीव कराया था 'बी' वारंट
सीतापुर जेल में बंद आजम खान के मामले में यूपी पुलिस ने बड़ी तेजी से काम किया. आजम खान को रामपुर में अवैध निर्माण के मामले में गिरफ्तार किया गया और सीतापुर जेल भेजा गया. पूर्व मंत्री आजम खान के खिलाफ जल निगम में भर्ती घोटाले का एसआईटी जांच कर रही थी. एसआईटी की जांच में आजम खान दोषी पाए गए थे. एसआईटी ने आजम खान समेत कई के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी. आजम खान के जेल पहुंचते ही एसआईटी ने चंद घंटों में भर्ती घोटाले का 'बी' वारंट सीतापुर जेल पहुंचा दिया. अवैध निर्माण में जमानत मिलने के बाद भी आजम खान जेल से नहीं निकल सके.
'बी' वारंट यानी कोर्ट में वाद लंबित
'बी' वारंट के जरिये जेल प्रशासन को ज्ञात होता है कि संबंधित मुलजिम इस अन्य मुकदमें में भी वांछित है. फिर वह पुलिस के जरिये मुलजिम को उक्त मामले में कोर्ट पेशी पर भेजता है. अगर अन्य कोई वारंट नहीं है तो उक्त मामले में जमानत के आदेश के बाद मुलजिम को रिहा कर दिया जाता है.