लखनऊ: कानपुर में विकास दुबे के घर पर दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमले को लेकर पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. एडीजी कानून व्यवस्था ने खुद इस घटना को एक बड़ी चूक बताया है. वहीं दूसरी ओर आईजी अमिताभ ठाकुर ने पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर डीजीपी के निर्देशों की अनदेखी के आरोप लगाए हैं.
अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा कि डीजीपी ने 4 जून 2020 को सर्कुलर जारी किया था, जिसमें डीजीपी महोदय ने कहा था कि पुलिस के साथ आपराधिक की मारपीट और हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं. ऐसी घटनाओं से सीनियर पुलिस अधिकारियों पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है. पुलिस पर हमले की घटनाएं बहुत गंभीर है, इसकी रोकथाम के लिए डीजीपी महोदय ने उपाय बताए थे. मेरा मानना है कि डीजीपी साहब के इस सर्कुलर को ध्यान में लिया जाता तो कानपुर की इस घटना को रोका जा सकता था, इसलिए हमें इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है.
लॉकडाउन के दौरान पुलिस कर्मचारियों पर हुए हमले को लेकर भी डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने निर्देश जारी किए थे. डीजीपी के निर्देशानुसार पुलिस कर्मचारी अगर किसी दबिश पर जाते हैं तो उन्हें उपकरणों से लैस होकर मौके पर जाना चाहिए, जिससे कि पुलिस कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
कानपुर की घटना के बाद यूपी पुलिस विभाग में मंथन चल रहा है. इसके साथ ही सवालिया यह भी खड़े हो रहे हैं कि जब रात को पुलिस दबिश पर गई तो अपराधियों को पहले से इसकी सूचना कैसे मिल गई. वहीं दबिश के दौरान पुलिस कर्मचारियों ने सुरक्षा उपकरण जैसे कि बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य उपकरणों का प्रयोग क्यों नहीं किया. पुलिस विभाग के पास ड्रोन उपलब्ध है तो अपराधी की लोकेशन ट्रेस करने के लिए ड्रोन का प्रयोग क्यों नहीं किया गया.
जिस तरह से अपराधियों ने इस घटना को अंजाम दिया उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि घटना को अंजाम देने वाले अपराधी काफी शातिर किस्म के हैं. पुलिस कर्मचारियों की हत्या करने के साथ ही अपराधी ने पुलिस कर्मचारियों की एक एके-47 राइफल, एक इंसास राइफल, दो 9mm पिस्टल भी लूट ली.