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चिन्मयानंद की गिरफ्तारी पर महिला संगठनों ने उठाया सवाल

प्रदेश की कई महिला संगठनों ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर चिन्मयामंद मामले में एसआईटी के सही तरीके से जांच न करने का आरोप लगाकर कुछ मांगे सरकार के सामने रखी हैं. साथ ही पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा दिए जाने की मांग की है.

जानकारी देती वकील रेनू मिश्रा.
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Published : Sep 24, 2019, 1:24 PM IST

लखनऊः स्वामी चिन्मयानंद पर लगे रेप केस के मामले पर जहां चर्चा गरम है. वहीं सामाजिक संस्थाएं भी लगातार इस केस पर और सरकार पर सवाल उठाते नजर आ रही है. प्रदेश की कई महिला संगठनों ने प्रेसवार्ता आयोजित कर चिन्मयामंद मामले में जांच न करने का आरोप लगाकर कुछ मांगे सरकार के सामने रखी हैं. इस प्रेसवार्ता में साझी दुनिया संस्था की अध्यक्ष और लक्खा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा, एडवा से मधु गर्ग, सीमा कटियार, ऐपवा से ताहिरा हसन, महिला फेडरेशन से आशा मिश्रा, आली की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा और अन्य लोग मौजूद रहें.

देखें वीडियो.
साझी दुनिया संस्था की अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा ने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद का मामला ही नहीं बल्कि पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. चाहे बाबा राम रहीम हो या आसाराम बापू और अलावा कुलदीप सिंह सेंगर. इन सभी मामलों में महिलाओं का उत्पीड़न किया गया है. वहीं जब कार्रवाई की मांग की जाती है, तो मामले को टालमटोल करने की पूरी कोशिश की जाती है.

रूपरेखा वर्मा ने यह भी कहा कि साफ-तौर पर देखा जाता है, कि जब कोई क्रिमिनल भाजपा से जुड़ा होता है, तो उसके सारे अपराध माफ कर दिए जाते हैं. कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में भी यहीं किया गया और अब स्वामी चिन्मयानंद के मामले में भी उन पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है. पीड़िता का आरोप है कि धाराएं सही ढंग से नहीं लगाई गई है और इसपर सुनवाई करने के लिए भी कोई नहीं है. हम सभी महिला संगठनों की यह मांग है कि एक लड़की पर किए गए उत्पीड़न की जांच सही ढंग से की जाए और निष्पक्ष रूप पीड़िता को इंसाफ मिल सके.

आली संस्था की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा ने कहा कि पीड़िता ने स्वयं इस बात पर ऑब्जेक्शन उठाया है. पीड़िता का आरोप है कि उसके द्वारा दी गई धाराएं क्यों नहीं लगाई गई और तुरंत केस क्यों नहीं दर्ज किया गया. पीड़िता को 11 घंटे बैठाकर पूछताछ की गई, जैसे वह पीड़ित नहीं आरोपी है और इन सबके बाद न तो पीड़िता का मेडिकल कराया गया और न ही चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया गया. यह सभी बातें सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के खिलाफ हैं लेकिन एसआईटी इस केस को रेप के केस की तरह नहीं देख रही है. हमारी मांग हैं कि चिन्मयानंद के खिलाफ धारा 376 के मामलों के तहत जांच की जाए, इस केस को दिल्ली ट्रांसफर किए जाए, पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा दी जाए.


ये भी पढ़ें:- लखनऊ: SGPGI ने चिन्मयानंद का मेडिकल बुलेटिन किया जारी, स्थिति पहले से सामान्य

लखनऊः स्वामी चिन्मयानंद पर लगे रेप केस के मामले पर जहां चर्चा गरम है. वहीं सामाजिक संस्थाएं भी लगातार इस केस पर और सरकार पर सवाल उठाते नजर आ रही है. प्रदेश की कई महिला संगठनों ने प्रेसवार्ता आयोजित कर चिन्मयामंद मामले में जांच न करने का आरोप लगाकर कुछ मांगे सरकार के सामने रखी हैं. इस प्रेसवार्ता में साझी दुनिया संस्था की अध्यक्ष और लक्खा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा, एडवा से मधु गर्ग, सीमा कटियार, ऐपवा से ताहिरा हसन, महिला फेडरेशन से आशा मिश्रा, आली की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा और अन्य लोग मौजूद रहें.

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साझी दुनिया संस्था की अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा ने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद का मामला ही नहीं बल्कि पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. चाहे बाबा राम रहीम हो या आसाराम बापू और अलावा कुलदीप सिंह सेंगर. इन सभी मामलों में महिलाओं का उत्पीड़न किया गया है. वहीं जब कार्रवाई की मांग की जाती है, तो मामले को टालमटोल करने की पूरी कोशिश की जाती है.

रूपरेखा वर्मा ने यह भी कहा कि साफ-तौर पर देखा जाता है, कि जब कोई क्रिमिनल भाजपा से जुड़ा होता है, तो उसके सारे अपराध माफ कर दिए जाते हैं. कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में भी यहीं किया गया और अब स्वामी चिन्मयानंद के मामले में भी उन पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है. पीड़िता का आरोप है कि धाराएं सही ढंग से नहीं लगाई गई है और इसपर सुनवाई करने के लिए भी कोई नहीं है. हम सभी महिला संगठनों की यह मांग है कि एक लड़की पर किए गए उत्पीड़न की जांच सही ढंग से की जाए और निष्पक्ष रूप पीड़िता को इंसाफ मिल सके.

आली संस्था की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा ने कहा कि पीड़िता ने स्वयं इस बात पर ऑब्जेक्शन उठाया है. पीड़िता का आरोप है कि उसके द्वारा दी गई धाराएं क्यों नहीं लगाई गई और तुरंत केस क्यों नहीं दर्ज किया गया. पीड़िता को 11 घंटे बैठाकर पूछताछ की गई, जैसे वह पीड़ित नहीं आरोपी है और इन सबके बाद न तो पीड़िता का मेडिकल कराया गया और न ही चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया गया. यह सभी बातें सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के खिलाफ हैं लेकिन एसआईटी इस केस को रेप के केस की तरह नहीं देख रही है. हमारी मांग हैं कि चिन्मयानंद के खिलाफ धारा 376 के मामलों के तहत जांच की जाए, इस केस को दिल्ली ट्रांसफर किए जाए, पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा दी जाए.


ये भी पढ़ें:- लखनऊ: SGPGI ने चिन्मयानंद का मेडिकल बुलेटिन किया जारी, स्थिति पहले से सामान्य

Intro:लखनऊ। स्वामी चिन्मयानंद पर लगे रेप केस के मामले पर जहां चर्चा गरम है वही सामाजिक संस्थाएं भी लगातार उन पर और सरकार पर सवाल उठाते नजर आ रही है उत्तर प्रदेश कि कई महिला संगठनों ने आज प्रस्ताव में एक कॉन्फ्रेंस आयोजित कर आनंद ले पर ठीक तरह से जांच न करने का आरोप लगाकर कुछ मांगे सरकार के सामने रखी हैं। इस प्रेस वार्ता में सारी दुनिया के अध्यक्ष और लक्खा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा, एडवा से मधु गर्ग, सीमा कटियार, ऐपवा से ताहिरा हसन, महिला फेडरेशन से आशा मिश्रा, आली की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा और तमाम अन्य लोग मौजूद रहे।


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इस अवसर पर साझी दुनिया संस्था के अध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा ने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद का मामला नहीं बल्कि पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं चाहे वह बाबा राम रहीम का हो या फिर आसाराम बापू का इसके अलावा कुलदीप सिंह सेंगर और अब यह मामला। इन सभी मामलों में महिलाओं का उत्पीड़न किया गया है और जब कार्यवाही करने की मांग की जाती है तो टालमटोल करने की पूरी कोशिश की जाती है। वर्मा ने यह भी बताया कि यह भी साफ तौर पर देखा जाता है कि जैसे ही कोई क्रिमिनल भाजपा से जुड़ जाता है वैसे इसके सारे अपराध माफ कर दिए जाते हैं। कुलदीप सिंह सेंगर मामले में भी यही किया गया और अब स्वामी चिन्मयानंद के मामले में भी उन पर कार्यवाही करने के बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। पीड़िता की भी यह मांग है कि धाराएं सही ढंग से नहीं लगी लेकिन इस पर सुनवाई करने के लिए कोई भी नहीं है। हम सभी महिला संगठनों की यह मांग है कि एक लड़की पर किए गए यह उत्पीड़न की जांच सही ढंग से की जाए और निष्पक्ष रूप से की जाए तभी पीड़िता को इंसाफ मिल सकता है।

आली संस्था की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा कहती हैं कि पीड़िता ने स्वयं इस बात पर ऑब्जेक्शन उठाया है कि उसके द्वारा दी गई धाराएं क्यों नहीं लगाई गई और तुरंत केस क्यों नहीं दर्ज किया गया। पीड़िता का 11 घंटे बैठाकर पूछताछ की गई जैसे वह पीड़ित नहीं आरोपी हो और इन सबके बाद पीड़िता का न तो मेडिकल कराया गया और न ही चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया गया। यह सभी बातें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ भी हैं, लेकिन एसआईटी इस केस को रेप के केस की तरह दिख ही नहीं रही है। न हॉस्टल के वार्डन से पूछताछ की गई न ही प्रिंसिपल से। ऐसे में हमारी यह मांगे हैं कि चिन्मयानंद के खिलाफ धारा 376 के संगीन मामलों के तहत जांच की जाए और निष्पक्ष जांच की जाए। इस केस को दिल्ली ट्रांसफर किए जाए। सबसे जरूरी बात कि पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा दी जाए।


Conclusion:

बाइट- रूपरेखा वर्मा, समाजसेविका

बाइट- रेनू मिश्रा, आली
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