लखनऊः स्वामी चिन्मयानंद पर लगे रेप केस के मामले पर जहां चर्चा गरम है. वहीं सामाजिक संस्थाएं भी लगातार इस केस पर और सरकार पर सवाल उठाते नजर आ रही है. प्रदेश की कई महिला संगठनों ने प्रेसवार्ता आयोजित कर चिन्मयामंद मामले में जांच न करने का आरोप लगाकर कुछ मांगे सरकार के सामने रखी हैं. इस प्रेसवार्ता में साझी दुनिया संस्था की अध्यक्ष और लक्खा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा, एडवा से मधु गर्ग, सीमा कटियार, ऐपवा से ताहिरा हसन, महिला फेडरेशन से आशा मिश्रा, आली की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा और अन्य लोग मौजूद रहें.
रूपरेखा वर्मा ने यह भी कहा कि साफ-तौर पर देखा जाता है, कि जब कोई क्रिमिनल भाजपा से जुड़ा होता है, तो उसके सारे अपराध माफ कर दिए जाते हैं. कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में भी यहीं किया गया और अब स्वामी चिन्मयानंद के मामले में भी उन पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है. पीड़िता का आरोप है कि धाराएं सही ढंग से नहीं लगाई गई है और इसपर सुनवाई करने के लिए भी कोई नहीं है. हम सभी महिला संगठनों की यह मांग है कि एक लड़की पर किए गए उत्पीड़न की जांच सही ढंग से की जाए और निष्पक्ष रूप पीड़िता को इंसाफ मिल सके.
आली संस्था की कार्यकारी निदेशक और वकील रेनू मिश्रा ने कहा कि पीड़िता ने स्वयं इस बात पर ऑब्जेक्शन उठाया है. पीड़िता का आरोप है कि उसके द्वारा दी गई धाराएं क्यों नहीं लगाई गई और तुरंत केस क्यों नहीं दर्ज किया गया. पीड़िता को 11 घंटे बैठाकर पूछताछ की गई, जैसे वह पीड़ित नहीं आरोपी है और इन सबके बाद न तो पीड़िता का मेडिकल कराया गया और न ही चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया गया. यह सभी बातें सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के खिलाफ हैं लेकिन एसआईटी इस केस को रेप के केस की तरह नहीं देख रही है. हमारी मांग हैं कि चिन्मयानंद के खिलाफ धारा 376 के मामलों के तहत जांच की जाए, इस केस को दिल्ली ट्रांसफर किए जाए, पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा दी जाए.
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