लखनऊ : लोक निर्माण विभाग में अफसरों और अभियन्ताओं की लापरवाही से करीब छह हजार करोड़ से ज्यादा का बजट लैप्स हो गया. नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के समय पिछले साल के बजट में से करीब छह हजार करोड़ रुपए मरम्मत और सड़क निर्माण सहित अन्य कार्य में खर्च ही नहीं किये जा सके, जिससे वित्तीय असन्तुलन की समस्या भी लोक निर्माण विभाग से लेकर वित्त विभाग तक देखने को मिली. यह जानकारी जब लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद को मिली तो उन्होंने विभाग के प्रमुख सचिव अजय चौहान से स्पष्टीकरण तलब किया है. मंत्री ने प्रमुख सचिव से एक सप्ताह में पूरा जवाब मांगा और जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई की बात कही है.
उल्लेखनीय है कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने करीब 9,000 करोड़ रुपये सरकार को वापस लौटा दिए, जोकि 2022-23 वित्तीय वर्ष के दौरान 27,140 करोड़ रुपये के बजट का एक-तिहाई है और छह हजार करोड़ रुपए लैप्स होने की बात सामने आ रही है. जिसको लेकर मंत्री ने जवाब मांगा है, वहीं हर वित्तीय वर्ष में सरकारी विभागों के लिए बिना खर्च धनराशि लौटाना आम बात होती जा रही है, पीडब्ल्यूडी के मामले में भी यह राशि कम होने के बजाय काफी बढ़ गई है. इससे वित्तीय असन्तुलन बढ़ गया है. जानकारी के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान लोक निर्माण विभाग ने 27,140 करोड़ रुपये में से 8.914 करोड़ रुपये खर्च करना निर्धारित था, लेकिन हो नहीं पाया.
बजट में सड़क नेटवर्क बेहतर करना, सड़क निर्माण, नए पुल और अन्य मरम्मत कार्य सहित अन्य बड़े फ्लाईओवर सहित अन्य निर्माण कार्य करने थे. विभाग के प्रमुख सचिव अजय चौहान ने कहा कि 'धनराशि खर्च न होने की जानकारी हुई है. इसका संज्ञान लिया गया है. जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी.'