लखनऊ: लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर तमाम ऐसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बसें और ओला उबर टैक्सी संचालित हो रही है जिनमें जीपीएस की सुविधा ही नहीं है. ऐसे में अगर कोई दुर्घटना हो जाती है या फिर टैक्सी के अंदर किसी महिला से छेड़छाड़ होती है तो इसकी जानकारी जुटा पाना काफी मुश्किल होता है. ओला और उबर टैक्सी में कई ऐसी घटनाएं हो भी चुकी हैं. अब परिवहन विभाग ने इन वाहनों को टेक्नोलॉजी से लैस करके कमांड सेंटर से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है.
उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चन्द्र भूषण सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को परिवहन आयुक्त कार्यालय में सार्वजनिक सेवा की बसों और ओला/उबर जैसी सेवाओं में संचालित हो रहे वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस लगाते हुए कमाण्ड सेंटर से इण्टीग्रेड किए जाने के विषय पर बैठक हुई.
परिवहन आयुक्त ने कहा कि इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई कराये जाने के लिए यूपी-112 एवं नगर विकास प्राधिकरण की एक संयुक्त तकनीकी समिति गठित की जाए. इस बैठक में उबर कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि उनका ऐप तैयार है, जिसकी टेस्टिंग भी यूपी डायल-112 में हो चुकी है.
परिवहन आयुक्त ने निर्देश दिए कि उक्त ऐप को शीघ्र ही कन्ट्रोल कमाण्ड सेंटर से इन्टीग्रेट किया जाए. इस संबंध में आवश्यक सभी कार्यवाही शीघ्र पूर्ण कर लिया जाए. उन्होंने कहा कि वीएलटीडी योजना के क्रियान्वयन के लिए परिवहन विभाग अलग से कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया जाए इस संबंध में अन्य राज्यों में लागू व्यवस्था का पहले अध्ययन किया जाएगा. उक्त योजना का समावेश नगरीय परिवहन निदेशालय में बने कंट्रोल कमांड सेंटर के साथ भी करने पर विचार किया जाएगा. परिवहन आयुक्त ने सार्वजनिक सेवा प्रदाता कंपनियों ओला/उबर वाहनों में पैनिक बटन शीघ्र लगाए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा है कि महिला सुरक्षा और आपातकाल में लोगों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.
बैठक में पुलिस अधीक्षक (आपरेशन्स), यूपी-112, संयुक्त निदेशक नगरीय परिवहन निदेशालय, बीएसएनएल के यूपी सर्किल के आरके जायसवाल, उबर सेवा प्रदाता कंपनी के प्रतिनिधि, एमडी एलसीटीएसएल, अपर परिवहन आयुक्त पीएस सत्यार्थी, संभागीय परिवहन अधिकारी संजय नाथ झा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
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