लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती प्रकरण में गुरुवार सुबह अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी के आवास के बाहर प्रदर्शन किया. अभ्यर्थियों ने सुबह से ही घर के बाहर खड़े होकर नारेबाजी शुरू कर दी. आंदोलित अभ्यर्थी आवेदन में संशोधन का मौका दिए जाने और भर्ती प्रक्रिया में दोबारा शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं.
अभ्यर्थियों का कहना है कि आवेदन के दौरान उनसे त्रुटियां हुई, जिसके चलते उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया. अभ्यर्थियों की माने तो काउंसलिंग के दौरान उनसे संशोधन के संबंध में शपथ पत्र भी लिया गया था. आश्वासन दिया गया कि सुधार हो जाएगा, लेकिन सुधार कर काउंसलिंग में शामिल करने के बजाय उन्हें प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया गया है. उनका कहना है कि सरकार एक बार मौका दें. अगर अपने वास्तविक अंकों के बाद भी प्रदेश स्तरीय और जनपद स्तरीय चयन सूची में नहीं आते हैं, तो चयन निरस्त किया जाए अन्यथा नहीं.
पहले दिया आश्वासन अब मुकर गए
अभ्यर्थियों का कहना है कि बीते 7 महीने से वह फार्म में हुई त्रुटि को लेकर धरना प्रदर्शन करते रहे हैं. शासन द्वारा दोबारा मौका देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अभी तक मौका नहीं दिया गया. दिनांक 5 जून को शासनादेश संख्या 80 / 68-5-2021 के तहत अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव किया गया. अभ्यर्थियों से यह कहा गया आपके द्वारा मेरिट प्रभावित हो रही है, इसलिए आपका संशोधन मान्य नहीं किया जाएगा. जबकि हम सभी लोग अपने वास्तविक अंकों से अपने जनपद और प्रदेश स्तरीय मेरिट में अपना स्थान बनाए हुए हैं.
पढ़ें- 69 हजार सहायक शिक्षक भर्तीः OBC, SC अभ्यर्थियों का शिक्षा मंत्री के आवास पर प्रदर्शन
यह है स्थिति
अध्यापक भर्ती परीक्षा का फार्म अलग होता है, जो सिर्फ पात्रता परीक्षा थी. लेकिन शासन ने अपनी सुविधा के लिए 69 हजार शिक्षक भर्ती के नए आवेदन फार्म में हम सबसे सिर्फ जनपद, राष्ट्रीयता और पहचान पत्र को ही भरवाया गया. हम अपनी भूल कैसे सुधार पाते.
अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र को निरस्त करके उनकी सीटों को थर्ड काउंसलिंग में जोड़ा जा रहा है, इससे अभ्यार्थियों के साथ अन्याय किया जा रहा है. जबकि थर्ड काउंसलिंग में जो भी बच्चे आएंगे, उनका गुणांक हम सबके गुणांक से कम है.