लखनऊ : प्रोन्नति, वेतन विसंगति समेत अन्य सेवा सम्बन्धी प्रकरणों पर शासन की तरफ से बरती जा रही उदासीनता से नाराज खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) ने सोमवार को रमाबाई पार्क में धरना प्रदर्शन किया. विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे खंड शिक्षाधिकारियों ने कहा कि शासन हम लोगों की मांगों पर विचार नहीं कर रहा है. इस संबंध संघ की तरफ से प्रदेश के बेसिक शिक्षामंत्री, प्रमुख सचिव बेसिक, शिक्षा महानिदेशक सहित अन्य उच्चाधिकारियों को कई बार ज्ञापन भेजा गया है, लेकिन हमारी समस्या का कोई समाधान नहीं किया गया. प्रदेशभर से धरना में आये बीईओ ने कहा कि शासन स्तर पर हम लोगों की मांग को एक महीने के अंदर में पूरा नहीं किया गया तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया जाएगा.
खंड शिक्षा अधिकारी संघ (बीईओ) के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ला ने कहा कि बीईओ के वेतन विसंगति निवारण के क्रम में उच्च न्यायालय की तरफ से 06 मई, 2002 को जारी किए गए आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2010 में एसएलपी खारिज होने के बाद भी सरकार की तरर्फ से वर्ष 2023 में दोबारा इसी प्रकरण पर सर्वोच्च न्यायालय में अपील राज्य सरकार व विभाग द्वारा योजित की गयी है, जो कि हठधर्मिता एवं शासकीय धन का दुरूपयोग है.
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के अलावा छठी वेतन समिति की संस्तुति खंड शिक्षा अधिकारी पद के लिए सीधी भर्ती का वेतनमान 8,000-13,500 एवं तहसील स्तर पर उप जिला शिक्षा अधिकारी (खंड शिक्षा अधिकारी के पदोन्नति का पद), के कुल 322 पद वेतनमान पर 10,000-15,200 का शासनादेष निर्गत किया जा रहा. जबकि सचिव, बेसिक षिक्षा, उत्तर प्रदेष शासन द्वारा 28 फरवरी 2011 को ही पत्रावली अनुमोदित कर वित्त विभाग को प्रेषित की गयी जिसमें खण्ड शिक्षा अधिकारी सम्वर्ग के लिए का प्रस्ताव भी गया है, लेकिन अब तक शासनादेश निर्गत नहीं किया गया है. हमारे साथी एक ही संवर्ग से सेवानिवृत्त हो जा रहे हैं. सरकार की तरफ से लोक सेवा आयोग से चयनित वर्ष 1988 एवं 1995 बैच के बीईओ की कोई पदोन्नति नहीं की गई है.
निजी मोबाइल के जरिए लिया जा रहा काम : बीईओ संघ के महामंत्री वीरेंद्र कुमार कनौजिया ने कहा कि निजी मोबाइल फोन के जरिए ही सहारा काम कराने का प्रयास सरकार की तरफ से किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बीईओ की मान्यता पोर्टल पर आई0डी0 एवं लागिन अब तक नहीं बनाई गई है. निजी मोबाइल पर मान्यता एप चलाये जाने की अपेक्षा विभाग कर रहा. पिछले साल मान्यता प्रकरण पर सरकार की तरफ से 19 बीईओ को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दे दी गयी. कई बार निरस्त किए जाने की मांग भी की गई है, लेकिन अब तक यथावत रखा गया है. बीईओ की असंस्तुति के बाद भी बिना मानक के विद्यालयों को निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए उच्चाधिकारियों की तरफ से आज भी मान्यता दी जा रही है.